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जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz in Hindi

You Are What You Think You Are | The Magic of Thinking Big by David J. Schwartz in Hindi

जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz in Hindi
 जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz in Hindi


        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। इस पोस्ट में "Badi Soch Ka Bada Jadoo" book से यह बताया जा रहा है कि सोच किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करती है, कैसे हम जो सोचते है वैसे ही बन जाते है, कैसे हमारी सोच हमारे काम को प्रभावित करती है और कैसे उत्साह को विकसित करके सफलता पाई जा सकती है।

        ज़्यादातर लोगों का व्यवहार उलझन भरा होता है। क्या आपने कभी सोचा कि कोई सेल्समैन एक ग्राहक को इज़्ज़त क्यों देता है जबकि वह दूसरे ग्राहक को नज़रअंदाज़ कर देता है? कोई आदमी एक महिला के लिए दरवाज़ा क्यों खोल देता है, जबकि दूसरी महिला के लिए नहीं खोलता? कोई कर्मचारी एक सुपीरियर के आदेशों का फटाफट पालन क्यों करता है, जबकि दूसरे सुपीरियर के आदेशों का पालन मन्न मारकर करता है? या हम किसी आदमी की बात ध्यान से क्यों सुनते हैं, जबकि दूसरे आदमी की बात अनसुनी कर देते हैं?

        इसका कारण क्या है? एक शब्द में इसका जवाब दिया जाए तो इसका कारण है : सोच। सोच के कारण ही ऐसा होता है। दूसरे लोग हममें वही देखते हैं, जो हम अपने आपमें देखते हैं। हमें उसी तरह का व्यवहार मिलता है जिसके क़ाबिल हम ख़ुद को समझते हैं।

सोच के कारण ही सारा फ़र्क़ पड़ता है।

        वह आदमी जो ख़ुद को हीन समझता है, चाहे उसकी योग्यताएँ कितनी ही क्यों न हों, वह हीन ही बना रहेगा। आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही काम करते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने आपको हीन समझता है, तो वह उसी तरीक़े से काम करेगा। चाहे वह अपनी हीनता छुपाने का कितना भी प्रयास करे, यह मूलभूत भावना लंबे समय तक छुपी नहीं रह सकती। जो व्यक्ति यह महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण नहीं है, वह सचमुच महत्चपूर्ण नहीं होता। दूसरी तरफ़, जो व्यक्ति यह समझता है कि वह कोई काम कर सकता है, वह सचमुच उस काम को कर लेगा। महत्वपूर्ण बनने के लिए यह सोचना ज़रूरी है कि हम महत्वपूर्ण हैं। सचमुच ऐसा सोचें। तभी दूसरे लोग भी हमारे बारे में ऐसा सोचेंगे।

        इस सिद्धांत को आज़माकर देख लें। क्या आपके दिल में किसी ग़रीब और असफल आदमी के लिए सम्मान होता है? बिलकुल नहीं। क्यों ? क्योंकि वह ग़रीब और असफल आदमी खुद का सम्मान नहीं करता। वह आत्म–सम्मान के अभाव में अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है। आत्म–सम्मान हमारे हर काम में साफ़ दिख जाता है। इसलिए हमें इस तरफ़ ध्यान देना होगा कि हम किस तरह अपना आत्म–सम्मान बढ़ा सकते हैं और दूसरों से सम्मान हासिल कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण दिखें

        महत्वपूर्ण दिखने से भी ख़ुद को महत्वपूर्ण समझने में मदद मिलती है। याद रखें कि आपका व्यक्तित्व बोलता है। आप कैसे दिखते हैं, इससे आपकी छवि बनती है। सुनिश्चित कर लें कि आपके बाहरी व्यक्तित्व से आपके बारे में सकारात्मक छवि ही बने। घर से चलते समय सुनिश्चित कर लें कि आप वैसे ही दिख रहे हैं जैसे आप दिखना चाहते हैं। साफ़–सुथरा दिखने में बहुत कम ख़र्च होता है। याद रखें – महत्वपूर्ण दिखें क्योंकि इससे महत्वपूर्ण सोचने में मदद मिलती है।

        कपड़ों का इस्तेमाल आत्मविश्वास बढ़ाने के साधन के रूप में करें। Author के Psychology के प्रोफ़ेसर परीक्षा के एक दिन पहले यह सलाह दिया करते थे, “इस महत्चपूर्ण परीक्षा के लिए अच्छे कपड़े पहनना। नई टाई पहनकर आना। अपने सूट को अच्छे से प्रेस कर लेना। अपने जूते चमका लेना। अच्छे दिखना क्योंकि तुम्हें परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना है।” आप अपने बारे में जो सोचते हैं, वही आप होते हैं। अगर आपके पहनावे से आपको लगता है कि आप हीन हैं, तो आप वाक़ई हीन होते हैं। अगर आपको लगता है कि आप छोटे हैं, तो आप सचमुच छोटे बन जाते हैं। सर्वश्रेष्ठ दिखने की कोशिश करें तभी आप ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ समझेंगे। और सर्वश्रेष्ठ काम कर पाएँगे।

यह सोचें कि काम महत्चपूर्ण है।

        काम के महत्च को तीन ईंट उठाने वालों की इस कहानी से समझते है। एक व्यक्ति ने ईंट उठाने वालों से जब यह सवाल पूछा, “तुम क्या कर रहे हो?” तो पहले ईंट जमाने वाले ने कहा, "ईंट जमा रहा हूँ।” दूसरे ने जवाब दिया, "प्रति घंटे 9.3 डॉलर कमा रहा हूँ।” और तीसरे ने जवाब दिया, "मैं? मैं तो दुनिया का सबसे महान गिरजाघर बना रहा हूँ।"

        यह कहानी हमें यह नहीं बताती कि बाद में इन तीन ईंट वालों की ज़िंदगी में क्या हुआ, परंतु आपको क्या लगता है क्या हुआ होगा? शायद पहले दोनों ईंट वाले ज़िंदगी भर वही काम करते रहे होंगे – ईंट ढोने और ईंट जमाने का। उनमें भविष्य की दृष्टि नहीं थी। वे अपने काम का सम्मान नहीं करते थे। उन्हें कोई चीज़ पीछे से धकेलकर महान सफलता की तरफ़ नहीं ले जा रही थी।

        परंतु तीसरा कारीगर जिसने यह कहा था कि वह महान गिरजाघर बना रहा था, उसने हमेशा ईंटें नहीं उठाई होंगी। शायद वह फ़ोरमैन बन गया होगा या शायद एक कॉन्ट्रैक्टर या शायद एक आर्किटेक्ट। वह आगे की तरफ़ गया होगा, ऊपर की तरफ़ बढ़ा होगा। क्यों? क्योंकि इंसान की सोच ही उसकी प्रगति का आधार है। तीसरे नंबर का कारीगर ऊँचा सोच सकता था, उसके विचार ऊँचे थे और उसे अपने काम के महत्व का एहसास था।

        काम के बारे में आपकी क्या सोच है, उससे आपके बारे में बहुत कुछ पता चलता है और यह भी पता चलता है कि आपमें ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी उठाने की क्षमता है या नहीं।

        आप अपने बारे में जैसा सोचते हैं, आप वैसे ही होते हैं। आपकी विचार शक्ति आपको वैसा ही बना देती है। यह सोचें कि आप कमज़ोर हैं, यह सोचें कि आपमें योग्यता कम है, यह सोचें कि आप असफल हो जाएँगे, यह सोचें कि आप सेकंड क्लास हैं – इस तरीक़े से सोचें और आप निश्चित रूप से असफल ज़िंदगी जीने के लिए विवश हो जाएँगे। परंतु इसके बजाय यह सोचें, मैं महत्वपूर्ण हूँ। मुझमें योग्यता है। मैं फ़र्स्ट–क्लास कर्मचारी हूँ। मेरा काम महत्वपूर्ण है। इस तरीक़े से सोचें और आप सफलता की चोटी पर पहुँच पाएँगे।

        जीतने का सीधा–सा तरीक़ा यह जानना है कि आप अपने बारे में सकारात्मक सोचकर अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। दूसरे लोग आपकी योग्यता का अनुमान आपके कामों से लगाते हैं। और आपके काम आपके विचारों से नियंत्रित होते हैं। आप जो सोचते हैं आप वही होते हैं।

हर दिन अपना उत्साह बढ़ाएँ

        इसे इस example से समझते है :- यदि आप एक कार सेल्समैन है तो किसी customer से मिलने से पहले, उत्साह बढ़ाने के लिए खुद से कहे: "मैं एक अच्छा कार सेल्समैन हूँ और मैं सर्वश्रेष्ठ सेल्समैन बनने जा रहा हूँ। मैं अच्छी कारें बेचता हूँ और मेरा धंधा अच्छा चल रहा है जिन लोगों को मैं फ़ोन कर रहा हूँ उन्हें इन कारों की ज़रूरत है और मैं इन्हें बेचने जा रहा हूँ।"

        यह आत्म–प्रेरक तकनीक है। जिससे आपको customer से मिलने में या फोन करने में ज़रा भी हिचक नहीं होगी। इसके बजह आप उत्सुक होंगे। और आप अपने काम में सफल होंगे।


        यदि आप speech देने बाले है तो हॉल के बहार ख़ाली कमरे में चले जाएँ और ख़ुद से कहें, ‘मैं बहुत अच्छी speech देने जा रहा हूँ। मैं अपनी बात सच्चे दिल से कहूँगा और लोग पूरा मन लगाकर सुनेंगे।' इन शब्दों को लगातार दोहराते रहें, और पूरे विश्वास से ऐसा करें। फिर आप हॉल में आएँ और अपनी speech देना शुरू कर दें।”

        उस छोटी – सी, ख़ुद को दी गई प्रेरणादायक चर्चा का असर यह होगा कि आप बहुत अच्छी speech देने में कामयाब होंगे। प्रेरणादायक आत्म–प्रशंसा का अभ्यास करें। आत्म–निंदा के शब्दों से ख़ुद को छोटा न बनाएँ।

अपनी सोच को विकसित करें। महत्वपूर्ण लोगों की तरह सोचें।

        अपनी सोच को विकसित करने का मतलब है अपने कामो को विकसित करना और इसी से सफलता मिलती है। इन तरीक़ो की मदद से आप महत्वपूर्ण लोगों की तरह सोच पाएँगे:-
  1. जब आप चिंतित होते तो खुद से पूछें क्या कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति इस बारे में चिंतित होगा? क्या मेरी पहचान का सबसे सफल व्यक्ति इस बात से विचलित होगा?
  2. जब आपके दिमाग में कोई विचार आए तो खुद से पूछें अगर यह विचार किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के पास होता, तो वह क्या करता?
  3. जब आप कोई कपडे पहने तो खुद से पूछें क्या मैं ऐसा दिखता हूँ जिसके पास अधिकतम आत्म-सम्मान है?
  4. जब आप बोलते है तो खुद से पूछें क्या मैं सफल लोगों की भाषा बोलता हूँ?
  5. जब आप पढ़ते है तो खुद से पूछें क्या महत्वपूर्ण व्यक्ति इसे पढ़ते है?
  6. जब आप चर्चा करते है तो खुद से पूछें क्या सफल लोग ऐसे चर्चा करते है?
  7. जब आप गुस्सा होते है तो खुद से पूछें क्या कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति इस बात पर गुस्सा होता?
  8. जब आप मज़ाक़ करते है तो खुद से पूछें क्या महत्वपूर्ण व्यक्ति इस तरह के मज़ाक़ करते हैं?
  9. जब आप अपनी नौकरी के बारे दुसरो से कुछ कहते है तो खुद से पूछें महत्वपूर्ण व्यक्ति अपनी नौकरी के बारे में दूसरों को किस तरह बताते हैं?
अपने दिमाग़ में यह सवाल जमकर बिठा लें, ‘क्या महत्वपूर्ण व्यक्ति इसी तरीक़े से काम करता है?

संक्षेप में, याद रखें :

  • महत्वपूर्ण दिखें; इससे आपको महत्वपूर्ण सोचने में मदद मिलती है। आपकी वेशभूषा आपसे कुछ कहती है। सुनिश्चित कर लें कि यह आपके आत्मविश्वास और हौसले को बढ़ाए। आपकी वेशभूषा सामने वाले से भी कुछ कहती है। सुनिश्चित कर लें कि यह सबसे कहे, “यह रहा एक महत्वपूर्ण व्यक्ति – बुद्धिमान, अमीर और भरोसेमंद।”
  • यह सोचें कि आपका काम महत्वपूर्ण है। इस तरीके से सोचें और आपको ऐसे मानसिक संकेत मिलने लगेंगे कि आप अपने काम को किस तरह बेहतर ढँग से कर सकते हैं। सोचें कि आपका काम महत्वपूर्ण है और आपके अधीनस्थ भी सोचने लगेंगे कि उनका काम महत्वपूर्ण है।
  • हर दिन कई बार अपने आपसे प्रेरणादायक बातें करें। “ख़ुद के हाथों ख़ुद को बेचने” का विज्ञापन बनाएँ। हर मौक़े पर ख़ुद को याद दिलाएँ कि आप एक फ़र्स्ट–वलास इंसान हैं।
  • ज़िंदगी की हर परिस्थिति में ख़ुद से पूछें, “क्या महत्वपूर्ण व्यक्ति इसी तरह से सोचते हैं?” फिर जवाब के हिसाब से काम करें।

        ☝ यह Summary है "बड़ी सोच का बड़ा जादू | The Magic of Thinking Big" By David J. Schwartz book के 6th chapter की। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇


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