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लोगों के बारे में अच्छा सोचें | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz in Hindi

Think Right Toward People | The Magic of Thinking Big By David J. Schwartz in Hindi

Badi Soch Ka Bada Jadoo | The Magic of Thinking Big by David J. Schwartz Book Summary in Hindi
लोगों के बारे में अच्छा सोचें | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz in Hindi


        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। सफलता हासिल करने का एक मूलभूत नियम है और वह है सफलता दूसरे लोगों के सहयोग पर निर्भर करती है। आपके और आपके लक्ष्य के बीच एकमात्र बाधा दूसरों का सहयोग है। इसे इस तरह समझते है किसी officer को अपने आदेशों के पालन के लिए कर्मचारियों पर निर्भर होना पड़ता है। अगर वे उसके आदेश नहीं मानेंगे, तो कंपनी का प्रेसिडेंट उस officer को नौकरी से निकाल देगा, जबकि कर्मचारियों का कुछ नहीं बिगड़ेगा। इस पोस्ट में Badi Soch Ka Bada Jadoo Book के 9th Chapter से लोगों के बारे में अच्छा सोचकर ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाने के तरीके दिए जा रहे है और लोग आपको कैसे पसंद करे ये बताया जा रहा है तो इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े.... 

        सफल लोगों के पास लोकप्रिय बनने की योजना होती है। क्या आपके पास है? जो लोग चोटी पर पहुँचते हैं वे इस बारे में ज़्यादा नहीं बताते कि लोगों के बारे में अच्छा सोचने की उनकी तकनीकें क्या हैं। परंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बहुत से महान लोगों के पास लोगों को प्रभावित करने की एक स्पष्ट, निर्धारित, यहाँ तक कि लिखित योजना भी होती है।

For Example : राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन को ही ले लीजिये। प्रेसिडेंट बनने के बहुत पहले लिंडन जॉनसन ने सफलता का अपना दस सूत्रीय कार्यक्रम तैयार किया था। इतिहास गवाह है कि वे इन सूत्रों को अपने जीवन में उतारते थे और ये सूत्र हैं : 
  1. नाम याद रखने की आदत डालें। अगर आप ऐसा नहीं करते, तो सामने वाले को यह लग सकता है कि आपकी उनमें रुचि नहीं है। 
  2. एक ऐसे आरामदेह व्यक्ति बनें, जिससे आपके साथ होने पर कोई तनाव में न रहे। मज़ाकिया, अनुभवी टाइप के व्यक्ति बनें। 
  3. अपने दिमाग़ को ठंडा रखने की आदत डालें ताकि कठिन परिस्थितियाँ आपको उत्तेजित या परेशान न करें।
  4. बड़बोले न बनें। सामने वाले को यह एहसास न होने दें कि आप ख़ुद को सर्वज्ञानी समझते हैं। 
  5. दिलचस्प बनने की आदत डालें, ताकि लोग आपके आस-पास रहना चाहें। 
  6. अपने व्यक्तित्व से “चुभने वाले” तत्वों को बाहर निकाल फेंकें। 
  7. सच्ची धार्मिक भावना से हर ग़लतफ़हमी दूर करने की पूरी कोशिश करें। अपनी शिकायतों को नाली में बहा दें। 
  8. लोगों को पसंद करने का अभ्यास करें, और कुछ समय बाद आप सचमुच उन्हें पसंद करने लगेंगे। 
  9. किसी की उपलब्धियों या सफलता पर बधाई देने का कोई मौक़ा न गँवाएँ, न ही दु:ख या निराशा में संवेदना जताने का अवसर खोएँ । 
  10. लोगों को आध्यात्मिक शक्ति दें और वे आपको पसंद करने लगेंगे।
        ☝ इन दस आसान परंतु बेहद प्रभावी “लोगों को पसंद करने" के नियमों की वजह से प्रेसिडेंट जॉनसन को उनके मतदाताओं ने, संसद ने पसंद किया।

कुछ लोग दोस्ती को खरीदना चाहते है। दोस्ती ख़रीदी नहीं जा सकती। और जब हम इसे ख़रीदने की कोशिश करते हैं, तो हमें दो तरह से नुक़सान होता है : 
  1. हम पैसा गँवाते हैं। 
  2. हम दुर्भावना पैदा करते हैं।
        तो पैसे से दोस्ती न खरीद कर, दोस्ती करने में पहल करें– सफल लोग यही करते हैं। ज्यादातर लोग यह सोचते है कि, “सामने वाले को पहल करनी चाहिए।” “उसे मेरे घर पहले आना चाहिए।” “पहले उसे बात शुरू करनी चाहिए।” दूसरे लोगों को इस तरह से नज़रअंदाज़ करना बहुत आसान होता है। हाँ, यह आसान है और स्वाभाविक है, परंतु लोगों के बारे में अच्छा सोचने का यह सही तरीक़ा नहीं है। अगर आप इस बात का इंतज़ार करेंगे कि दूसरा व्यक्ति दोस्ती की नींव रखे, तो आपके पास कभी ज़्यादा दोस्त नहीं होंगे।

        जब आप किसी अजनबी के बारे में कोई सकारात्मक बात कहते हैं, तो उसका मूड अच्छा हो जाता है। आपको भी अच्छा लगता है। और आपको शांति और ख़ुशी भी मिलती है। हर बार जब भी आप किसी व्यक्ति की तारीफ़ करते हैं, तो आप दरअसल अपने आपको लाभ पहुँचा रहे हैं। यह अपनी कार को जाड़े के दिनों में गर्म करने की तरह है।

तो आप सोच रहे होंगे कि पहल करके दोस्त कैसे बनाये जाते है। पहल से दोस्त बनाने के छह तरीक़े इस प्रकार है: 
  1. हर मौके़ पर दूसरों को अपना परिचय दें– पार्टी में, बैठकों में, हवाई जहाज़ में, ऑफ़िस में, हर जगह। 
  2. यह सुनिश्चित कर लें कि सामने वाला आपका नाम ठीक से जान ले। 
  3. यह सुनिश्चित कर लें कि आप सामने वाले के नाम का उच्चारण ठीक से कर सकें। 
  4. सामने वाले का नाम लिख लें और यह सुनिश्चित कर लें कि आपने उसकी स्पेलिंग सही लिखी हो। अगर आप किसी के नाम की ग़लत स्पेलिंग लिखेंगे तो हो सकता है कि वह दोस्त के बजाय आपका दुश्मन बन जाए। अगर संभव हो, तो उसका पता और फ़ोन नंबर भी लिख लें। 
  5. आप जिन नए दोस्तों से मिलें, उनमें से आप जिससे परिचय बढ़ाना चाहते हों, उन्हें चिट्ठी लिखें या फ़ोन करें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। ज़्यादातर सफल लोग नए दोस्त बनाने के बाद उन्हें चिट्ठी लिखते हैं या फिर फ़ोन पर उनसे बात करते हैं। 
  6. और सबसे आख़िरी बात, अजनबियों से अच्छी बातें करें। इससे आपको भी अच्छा लगेगा और आपका दिन भी अच्छा जाएगा।
        ☝ इन छह नियमों पर अमल करना ही लोगों के बारे में अच्छा सोचने का सही तरीक़ा है। एक बात तो तय है, आम आदमी इस तरह से नहीं सोचता। ”आम” आदमी कभी परिचय देने में पहल नहीं करता। वह इस बात का इंतज़ार करता है कि सामने वाला पहल करे। सफल लोगों की तरह बनें। लोगों से मिलने की कोशिश करें। दब्बू या संकोची न बनें। ज़रा हटकर काम करने से न घबराइएँ। यह पता करें कि सामने वाला व्यक्ति कौन है और उसे बताएँ कि आप कौन हैं।

        कुछ लोग दूसरे लोगों से पूर्णता की उम्मीद करते है। वे छोटी–छोटी बातों पर चिढ़ जाता है, जैसे व्याकरण की ग़लती से, सिगरेट पीने वाले लोगों से, या मैचिंग के कपड़े न पहनने वालों से इत्यादि। इस तरह के लोग अपनी इस कमज़ोरी को 3 तरीको से दूर कर सकते है:

1. यह जान लें कि कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता। कई लोग बाक़ी लोगों से ज़्यादा पूर्ण होते हैं, परंतु कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं कहा जा सकता। हर एक में कुछ न कुछ कमी तो होती ही है। इंसानों को इंसान बनाने वाली चीज़ यही है कि वे ग़लतियाँ करते हैं, हर तरह की ग़लतियाँ। 

2. यह जान लें कि दूसरे व्यक्ति को अलग होने का अधिकार है। किसी भी चीज़ के बारे में सर्वज्ञानी होने का दावा न करें। लोगों को सिर्फ़ इसलिए नापसंद न करें क्योंकि उनकी आदतें आपसे अलग हैं, या उनके कपड़े, उनका धर्म, उनकी पार्टियाँ, उनकी कार आपसे भिन्न हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि आप सामने वाले व्यक्ति के काम की तारीफ़ करें, परंतु यह भी ज़रूरी नहीं है कि आप उसके काम को नापसंद करें। 

3. सुधारक बनने से बचें। अपनी फिलॉसफी में ‘जियो और जीने दो‘ के सिद्धांत का पालन करें। ज़्यादातर लोगों को यह पसंद नहीं होता कि कोई उनकी ग़लतियाँ बताए। किसी के बारे में आपके विचार होना गलत नहीं है, परंतु कई बार उन विचारों को ना कहने में ज़्यादा समझदारी होती है।

        ☝ जब आप इन सुझावों पर अमल करेगे तो आप कुछ ही महीनों बाद पूरी तरह बदल जायेगे, लोगों के प्रति ज़्यादा उदार हो जायेगे। और यह जान जायेगे कि लोग न तो पूरी तरह अच्छे होते हैं, न ही पूरी तरह बुरे होते हैं।

जब भी कोई बात बिगड़ जाए, तो बेंजामिन फे़यरलेस को याद करें। सिर्फ़ दो काम करें : 
  1. ख़ुद से पूछें, “जब प्रमोशन का अगला मौक़ा आएगा, तब तक मैं ऐसा क्या कर सकता हूँ कि मैं उस योग्य बन जाऊँ ?” 
  2. निराश या हताश होने में समय और ऊर्जा बर्बाद न करें। अपने आपको न कोसें। अगली बार जीतने की योजना बनाएँ।

संक्षेप में, इस Chapter की Summary :

  1. अपने आपको हल्का रखें ताकि लोग आपको ऊपर उठा सकें। लोगों के प्रिय बनें। लोकप्रिय बनै। इससे उनका समर्थन भी हासिल होता है और आपके सफल होने में सहयोग भी मिलता है। 
  2. दोस्त बनाने में पहल करें। हर मौक़े पर सामने वाले को अपना परिचय दें। यह सुनिश्चित कर लें कि आप सामने वाले का सही नाम जान लें और यह भी सुनिश्चित कर लें कि वह आपका नाम ठीक से जान ले। आप अपने जिन नए दोस्तों को बेहतर जानना चाहते हों, उन्हें चिट्ठी लिखें या फ़ोन करें। 
  3. हर इंसान अलग होता है और हर इन्सान की सीमाएँ होती हैं, इस बात को स्वीकार करें। किसी भी व्यक्ति से पूर्णता की उम्मीद न करें। याद रखें, हर व्यक्ति को अलग होने का अधिकार है। और हाँ, सुधारक बनने की कोशिश न करें। 
  4. चैनल पी, यानी कि अच्छे विचारों के स्टेशन को बराबर सुनते रहें। किसी व्यक्ति की अच्छाइयों और तारीफ़ के क़ाबिल गुणों को खोजते रहें, उसकी बुराइयों को ढूँढने में अपना समय बर्बाद न करें। इसके अलावा, दूसरे लोगों को अपनी सकारात्मक सोच को नकारात्मक सोच में बदलने का मौक़ा न दें। लोगों के बारे में सकारात्मक चिंतन करें– और आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। 
  5. चर्चा में उदार बनें। सफल लोगों की तरह बनें। दूसरे लोगों को बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। दूसरे व्यक्ति को अपने विचार, अपनी उपलब्धियों के बारे में बातें करने का पूरा मौक़ा दें। 
  6. हर समय शिष्टाचार निभाएँ। इससे लोगों को अच्छा लगता है। इससे आपको भी अच्छा लगेगा। 
  7. जब भी आप असफल हों, तो अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोष न दें। याद रखें : हारने के बाद आप किस तरह से सोचते हैं, इसी बात से तय होता है कि आप कितने समय बाद जीतेंगे।
        ☝ यह Summary है "बड़ी सोच का बड़ा जादू | The Magic of Thinking Big" By David J. Schwartz book के 9th chapter की। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇



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