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आप भी लीडर बन सकते हैं | The Leader in You by Dale Carnegie Book Summary in Hindi

Aap Bhi Leader Ban Sakte Hain | The Leader in You by Dale Carnegie Book Summary in Hindi

Aap Bhi Leader Ban Sakte Hain | The Leader in You by Dale Carnegie Book Summary in Hindi
आप भी लीडर बन सकते हैं | The Leader in You by Dale Carnegie Book Summary in Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। क्या आप अपनी life में कुछ हासिल करना चाहेंगे? क्या आप अच्छे संबंध बनाना चाहेंगे? क्या आप अपनी सबसे कीमती धरोहर - आपके निजी और व्यावसायिक जीवन के लोगों - का मूल्य बढ़ाना चाहेंगे? क्या आप अपने भीतर छिपे लीडर को खोजना और उसे बाहर निकालना पसंद करेंगे? अगर ऐसा है, तो इस पोस्ट को आगे पढ़ते रहें क्योकि आगे जो जानकारी दी जा रही है, हो सकता है उसे पढ़कर आपकी ज़िंदगी ही बदल जाए।

1.अपने भीतर छिपे लीडर को खोजना

        चार्ल्स श्वाब को steel business में एक मिलियन डॉलर की सालाना salary मिलती थी। इतनी मोटी salary मिलने की सबसे बड़ी वजह लोगों के साथ व्यवहार करने की उनकी योग्यता थी। ज़रा कल्पना करें! एक मिलियन डॉलर सालाना सिर्फ़ इसलिए, क्योंकि वे लोक व्यवहार में निपुण थे! आइये देखे कैसे:

        एक दिन दोपहर को श्वाब अपनी एक स्टील मिल में घूम रहे थे। उन्होंने कुछ मज़दूरों को वहाँ सिगरेट पीते देखा, जहाँ बोर्ड लगा था : धूम्रपान वर्जित है। आपको क्या लगता है कि चार्ल्स श्वाब ने उस साइनबोर्ड की तरफ़ इशारा करके यह कहा होगा, “क्या तुम्हें पढ़ना नहीं आता?” बिलकुल नहीं, लोक व्यवहार में माहिर व्यक्ति भला ऐसा कैसे कर सकता है?

        श्वाब ने दोस्ताना अंदाज़ में उन लोगों से बातचीत की। चलते-चलते श्वाब ने उन लोगों को कुछ सिगार दिए और आँख मारते हुए कहा, "अगर आप इन्हें बाहर पिएँगे, तो मुझे अच्छा लगेगा।" श्वाब ने बस इतना ही कहा। वैसे मज़दूर अच्छी तरह जानते थे कि श्वाब को उनके नियम तोड़ने के बारे में मालूम था। लेकिन वे मन ही मन श्वाब से कृतज्ञ भी थे, क्योंकि उन्होंने उन्हें नीचा नहीं दिखाया।

        चार्ल्स श्वाब एक लीडर थे। पद के कारण नहीं। ऊँची salary के कारण भी नहीं। उन्हें लीडर बनाने वाली ख़ासियत यह है कि उन्होंने लोक व्यवहार में महारत हासिल की है।

        जिस चीज़ की ज़रूरत है, वह है लीडरशिप। ताकि वह सब हासिल करने में लोगों की help की जा सके, जिसमें वे सक्षम हैं। ताकि future के लिए एक सपना बुना जा सके। ताकि लोगों को encourage किया जा सके, Guidance और Training दी जा सके और सफल संबंध बनाए तथा क़ायम रखे जा सकें।

अपनी नेतृत्व शक्तियों को पहचानना सफलता की दिशा में पहला क़दम है।

2.संवाद शुरू करना 

        अच्छी तरह संवाद करना सीखने का कोई गोपनीय नुस्ख़ा नहीं है, लेकिन कुछ basic concepts ज़रूर होते हैं, जिनमें माहिर होना आसान है। यहाँ सफल संवाद के शुरुआती क़दम बताए जा रहे हैं। उन पर अमल करेंगे, तो आप सफलता की राह पर चलना शुरू कर देंगे।

1. संवाद को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
2. दूसरों के प्रति खुला नज़रिया रखें।
3. संवाद के लिए अनुकूल माहौल बनाएँ।

        संवाद के लिए खुलेपन और विश्वसनीय माहौल की ज़रूरत होती है; सफल संवाद बहुत फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।

संवाद विश्वसनीय संबंधों की बुनियाद पर ही बनता है।

3.लोगों को प्रेरित करना

        लोग अपने नाम को बहुत ज़्यादा महत्व देते हैं, यह बात एंड्रयू कारनेगी को बचपन में ही पता चल गई थी। बचपन में दस साल की उम्र के एंड्रयू के पास बहुत सारे ख़रगोश थे। दिक्क़त यह थी कि कारनेगी के पास उन्हें खिलाने के लिए कुछ नहीं था। उनके मन में एक बेहतरीन विचार आया। उन्होंने पड़ोस के छह-सात बच्चों से कहा कि अगर वे हर दिन ख़रगोशों को खिलाने के लिए घास-पत्ती लाएँगे, तो वे उनके सम्मान में ख़रगोशों का नामकरण उनके नाम पर कर देंगे। यह योजना जादू की तरह कामयाब हुई। एंड्रयू कारनेगी यह घटना कभी नहीं भूले। बरसों बाद उन्होंने बिज़नेस में इस technique का use करके लाखों डॉलर बनाए। आइये देखे कैसे:

        वे पेनसिल्वेनिया रेलरोड को स्टील की पटरियाँ बेचना चाहते थे। उस वक़्त जे. एडगर थॉमसन उस कंपनी के प्रेसिडेंट थे। एंड्रयू कारनेगी ने ख़रगोशों वाला सबक़ याद रखते हुए पिट्सबर्ग में एक विशाल स्टील मिल शुरू की और उसका नाम जे. एडगर थॉमसन स्टील वर्क्स रखा। अब मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ। जब उसके बाद पेनसिल्वेनिया रेलरोड को स्टील की पटरियों की ज़रूरत पड़ी, तो आपको क्या लगता है जे. एडगर थॉमसन ने पटरियाँ कहाँ से ख़रीदी होंगी?

        यदि आपको लोगो को प्रेरित करना है तो ऐसी भावनाएँ जगाना ही लीडर का काम है। जैसे "हम इस काम में एक साथ हैं।” “हम एक टीम के सदस्य हैं।” “हम जो करते हैं, वह मूल्यवान है।” “हम सर्वश्रेष्ठ हैं।” यही वह शब्द है, जिसमें सच्ची प्रेरणा उगती है। आप यह काम किसी भी तरीक़े से करें, लेकिन करें ज़रूर। अपनी ज़िंदगी में मौजूद लोगों को बता दें कि आप उनका बहुत सम्मान करते हैं और उनके काम की प्रशंसा करते हैं। उन्हें जता दें कि वे आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और आपकी दिली इच्छा है कि वे ज़्यादा से ज़्यादा सीखें, तरक़्क़ी करें और अपनी पूर्ण संभावना तक पहुँचें। प्रेरणा इसी को कहते हैं।

किसी से ज़बरर्दस्ती असाधारण काम नहीं करवाया जा सकता। लोगों में अच्छा काम करने की इच्छा होनी चाहिए।

4.दूसरों में सच्ची दिलचस्पी का इज़हार करें

        इसे समझने के लिए क्यों न दुनिया में दोस्त बनाने वाले सबसे बड़े विजेता की तकनीक का अध्ययन करें? वह कौन है? आप उसे सड़क पर दौड़ते हुए देख सकते हैं। आपके दस फ़ुट क़रीब पहुँचते ही वह अपनी दुम हिलाने लगता है। अगर आप रुककर उसे थपथपाते हैं, तो वह उछलकर जताता है कि वह आपको कितना ज्यादा पसंद करता है। और इसके पीछे उसका कोई छिपा हुआ उद्देश्य या स्वार्थ नहीं होता। वह आपको रियल एस्टेट नहीं बेचना चाहता या आपसे शादी नहीं करना चाहता। अब तक तो आप समझ गए होंगे कि वह कुत्ता है। क्या आपने कभी सोचा है कि कुत्ता ही इकलौता ऐसा जानवर है, जिसे जीने के लिए कोई काम नहीं करना पड़ता? मुर्गी को अंडे देने पड़ते हैं। गाय को दूध देना होता है और चिड़ियों को गाना पड़ता है। लेकिन कुत्ता सिर्फ़ प्रेम देकर ही अपनी आजीविका कमाता है।

        दूसरे आपमें दिलचस्पी लें, यह चाहकर आप दो साल में जितने दोस्त बना पाएँगे, उससे ज़्यादा दोस्त आप दूसरों में सच्ची दिलचस्पी लेकर दो महीनों में ही बना सकते हैं। बहरहाल, आप और मैं कई ऐसे लोगों को जानते हैं, जो ज़िंदगी भर दूसरों को ख़ुद में दिलचस्पी लेने के लिए परेशान करते रहते हैं। ज़ाहिर है, यह तरीक़ा ज़रा भी कारगर नहीं है। लोगों की आपमें दिलचस्पी नहीं है। उनकी दिलचस्पी मुझमें भी नहीं है। उनकी दिलचस्पी तो खुद में है - सुबह भी, दोपहर में भी और रात को भी।

दूसरे लोगों में सच्ची दिलचस्पी दिखाने से ज़्यादा असरदार और पुरस्कारदायक कुछ भी नहीं है।

5.सामने वाले के नज़रिए से स्थिति देखना

        जब कंपनी के अंदर यह प्रक्रिया use की जाती है, तो इससे एक नए क़िस्म का संवाद होने लगता है। “अगर आप अपने बॉस की रुचियों के संदर्भ में सोचना सीख लेते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप और वो एक जैसा सोच रहे हैं। आप खुला संवाद शुरू कर देते हैं। कभी भी सिर्फ़ अपने बारे में न सोचें। अपनी ज़रूरतों के बारे में ही न सोचें। दुसरो की ज़रूरतों के बारे में भी सोचें। और सोचें कि उन्हें खुलकर बोलने के लिए प्रेरित करने और उनकी ज़रूरतों को समझने के लिए आपको उनसे कैसे सवाल पूछने चाहिए। अगर आप अपने ग्राहकों, परिवार वालों और दोस्तों के साथ ज़्यादा सफल संबंध बनाना चाहते हैं, तो स्थिति को सामने वाले के दृष्टिकोण से देखना शुरू कर दें।

खुद से बाहर निकलकर यह पता लगाएँ कि सामने वाले के लिए क्या महत्वपूर्ण है।

6.सीखने के मकसद से सुनें

        दूसरों की बातें सुनने के दो बहुत अच्छे कारण हैं। एक तो यह कि इससे आप नई बातें सीखते हैं और दूसरा यह कि लोग अपनी बात सुनने वाले लोगों से खुश होते हैं। लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग ज़िंदगी भर इस सबक़ को नज़रअंदाज़ करते रहते हैं।

        हर जगह के लोगों को यह अच्छा लगता है कि दूसरे व्यक्ति उनकी बातें ग़ौर से सुन रहे हैं। वे अच्छी तरह सुनने वाले लोगों से लगभग हमेशा खुश होते हैं और बेहतर प्रतिक्रिया करते हैं। किसी की बातें सुनना उसके प्रति सम्मान दिखाने की सबसे अच्छी तकनीकों में से एक है। यह इस बात का संकेत है कि हम उसे महत्वपूर्ण मानते हैं। यह इस बात का सूचक है, "आप जो सोचते हैं, करते हैं और जिस पर यक़ीन करते हैं, वह मेरे लिए महत्वपूर्ण है।"

अच्छा श्रोता जितनी अच्छी तरह दूसरों से अपनी बात मनवा सकता है, उतना कोई दूसरा नहीं कर सकता।

7.भविष्य के लिए टीम बनाना

        सफल टीमवर्क कोई जादू से नहीं हो जाता। यदि हम खेल की बात करे तो इसके लिए खिलाड़ियों के सहयोगी समूह की ज़रूरत होती है। इसके लिए एक योग्य कोच की भी ज़रूरत होती है।
आप कुछ लोगों को सिर्फ़ एक साथ रखकर - चाहे वे कितने ही योग्य क्यों न हों - उनसे ज़बर्दस्त प्रदर्शन की उम्मीद नहीं रख सकते। सफल टीम तैयार करना एक कला है। कोच चाहे जितना महान हो, रातोंरात विजेता टीम तैयार नहीं कर सकता। लेकिन आने वाले समय में जो भी लीडर बनना चाहता है, उसे कुछ बुनियादी कोचिंग तकनीकों में माहिर बनना होगा। ये तकनीकें बिज़नेस जगत में भी उतनी ही ज़रूरी हैं, जितनी कि खेल जगत में।

1.उद्देश्य का साझा एहसास कराएँ

        मिलकर काम करने वाले लोग ज़बर्दस्त लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। टीम को जो चीज़ ख़ास उछाल देती है, वह है व्यक्तिगत सदस्यों का एकीकृत या साझा सपना।

2.लक्ष्यों को टीम के लक्ष्य बनाएँ

        जब तक पूरी टीम नहीं जीतती है, तब तक दरअसल कोई भी नहीं जीतता। यह अवधारणा खेल जगत पर सबसे ज़्यादा लागू होती है, लेकिन यह हर तरह की टीम के बारे में सच है। व्यक्तिगत रिकॉर्ड इतिहास की पुस्तकों के लिए तो अच्छे होते हैं, लेकिन दरअसल ये बाद की चीजें हैं। इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है पूरी टीम का संयुक्त प्रदर्शन।

3.लोगों के साथ इंसानों जैसा व्यवहार करें

        जब लोग टीम में शामिल होते हैं, तो उनकी निजता अचानक गायब नहीं हो जाती। उनके व्यक्तित्व तब भी अलग-अलग ही होते हैं। उनमें तब भी अलग-अलग योग्यताएँ होती हैं। उनमें तब भी अलग-अलग आशाएँ और डर होते हैं। योग्य लीडर उन भिन्नताओं को पहचान लेगा, उनकी क़द्र करेगा और टीम के फ़ायदे के लिए उनका सही इस्तेमाल करेगा।

4.हर सदस्य को टीम के प्रोजेक्ट के लिए ज़िम्मेदार बनाएँ

        लोगों को यह महसूस करने की ज़रूरत होती है कि उनका योगदान महत्वपूर्ण है। वरना वे उस काम पर पूरा ध्यान नहीं देंगे, जो उन्हें मिला है। प्रोजेक्ट को टीम के नाम कर दें। समूह को ही ज़्यादा से ज़्यादा निर्णय लेने दें। सहभागिता की माँग करें। समाधान का आदेश न लादें। इस बात पर ज़ोर न दें कि चीज़ें एक ख़ास तरीक़े से ही की जाएँ।

5.श्रेय बाँटे, इल्ज़ाम अपने सिर लें

        जब टीम अच्छा प्रदर्शन करे और उसके नाम का डंका बजे, तो टीम के हर सदस्य को इसका श्रेय देना लीडर की ज़िम्मेदारी होती है। सबके सामने पीठ थपथपाना, बोनस, कंपनी की पत्रिका में लेख - प्रशंसा चाहे जिस रूप में हो, वह हर सदस्य तक पहुँचनी चाहिए।

6.टीम का आत्मविश्वास बढ़ाने के हर अवसर को लपक ले

        महान लीडर टीम में दृढ़ता से विश्वास करता है और हर सदस्य के सामने यह बात ज़ाहिर भी करता है।

7.जुड़ें और जुड़े रहें।

        यह नीति टीम की बुनियाद वाले नए संसार में काम नहीं करती। शक्तिशाली लीडर को टीम के सदस्यों से जुड़ना होगा और जुड़े रहना होगा। कल्पना करें कि लीडर एक व्यस्त एयरक्राफ्ट कैरियर का कमांडर है, जो डेक पर खड़ा हुआ है। हवाई जहाज़ आ रहे हैं। कुछ जा भी रहे हैं। जहाज़ को दिशा में बने रहना है और साथ ही हमले से भी बचना है। उसे इन सारी चीज़ों के बारे में एक साथ सोचना पड़ता है।

8.मार्गदर्शक बने।

        “आप किस तरह बेहतर बनना चाहेंगे?” “आप अपने कैरियर को यहाँ से आगे कहाँ ले जाना चाहते हैं?” “आप किस तरह की नई ज़िम्मेदारियाँ लेना चाहेंगे?” ये सारे सवाल पूछना लीडर के रूप में आपका काम है। आपके पास जितना भी ज्ञान और अनुभव है, उससे लक्ष्य हासिल करने में टीम के सदस्यों की मदद करना भी आप ही की ज़िम्मेदारी है।

        ☝ इन कुछ simple techniques का use करके अपनी टीम को सफल होते हुए देखें। लीडर जो सबसे बड़ा पुरस्कार हासिल कर सकता है - लीडर जो सबसे बड़ी विरासत छोड़ सकता है - वह है योग्य, आत्मविश्वास से भरे और सहयोगी लोगों की टीम, जो खुद नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हों।

टीम के खिलाड़ी ही आने वाले कल के लीडर्स हैं।

8.दूसरों की गरिमा का सम्मान करना

        आज पहले की तुलना में ज़्यादा अनेकता और भिन्नता (diversity) नज़र आती है। यह भिन्नता बिज़नेस जगत में जितनी स्पष्ट है, उतनी कहीं और नहीं है। महिलाएँ, समलैंगिक (Gay), अपाहिज, विभिन्न नस्लों और प्रजातियों के लोग- ये सभी आज के समीकरण का हिस्सा हैं। बदले हुए माहौल में सफल होने के लिए यह जरुरी है कि आप हर एक के साथ आरामदेह तरीके से आगे बढ़ें, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या संस्कृति जो भी हो।

        “बेबाक सच्चाई तो यह है कि आप जितने भी लोगों से मिलते हैं, वे सभी किसी न किसी पहलू में खुद को आपसे श्रेष्ठ समझते हैं। और उनके दिल तक पहुँचने का एक अचूक रास्ता यह है कि आप किसी भी तरीक़े से यह बात उन तक पहुँचा दें कि आप दुनिया में उनके महत्व को पहचानते हैं, वाक़ई पहचानते हैं।"

दूसरों के प्रति सच्चा सम्मान ही प्रेरित करने की बुनियाद है।

9.सम्मान, प्रशंसा और पुरस्कार

        सभी लोग, सबसे सफल कॉरपोरेशन के प्रेसिडेंट से लेकर सुपरमार्केट के क्लर्क तक, यह सुनना चाहते हैं कि वे आला दर्जे का काम कर रहे हैं, वे स्मार्ट हैं, सक्षम हैं और उनकी मेहनत पर गौर किया जाये। अक्सर एक अच्छे कर्मचारी को महान कर्मचारी में बदलने के लिए बस थोड़े से सम्मान, सही पल पर प्रोत्साहन की एक खुराक - की ही ज़रूरत होती है।

         डेल कारनेगी कहते हैं, "लोगों को बदलने की कोशिश करते वक़्त क्यों न हम उसी कॉमन सेंस का इस्तेमाल करें, जिसका इस्तेमाल हम कुत्तों को बदलने की कोशिश करते वक्त करते हैं? क्यों न हम कोड़े के बजाय गोश्त का इस्तेमाल करें? क्यों न आलोचना के बजाय प्रशंसा का इस्तेमाल करें? ज़रा सा भी सुधार हो, तो उसकी प्रशंसा करें। इससे सामने वाले को लगातार प्रेरणा मिलती है।"

         पुरस्कार, सम्मान, प्रशंसा। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप इसे कैसे करते हैं। फ़र्क़ तो इस बात से पड़ता है कि आप इसे करते हैं और बार-बार, हर बार करते हैं। दरअसल, कर्मचारियों को पुरस्कार देने का निचोड़ यही है। यक़ीनन, पैसा अद्भुत चीज़ है। लेकिन यही एकमात्र असरदार पुरस्कार नहीं है। अगर आपके पास ख़र्च करने के लिए पैसा हो, तो उसका समझदारी से इस्तेमाल करें। लेकिन श्रेष्ठता को पुरस्कार दें। कर्मचारियों की सहभागिता (involvement) प्रोत्साहित करें। इसे ऐसे तरीक़ों से खर्च करें, जिससे लोग प्रेरित हों। प्रशंसा का स्वागत सिर्फ़ बच्चे ही नहीं करते हैं। यह बिज़नेस की दुनिया में भी बहुत दूर तक जाती है।

लोग पैसे के लिए काम करते हैं, लेकिन सम्मान, प्रशंसा और पुरस्कारों के लिए एक मील आगे तक जाकर काम करते हैं।

10.ग़लतियों, शिकायतों और आलोचना से निबटना


        ग़लतियों, शिकायतों और आलोचना से निबटने के लिए इन कदमो का use करे:-

पहला क़दम - एक ऐसा माहौल बनाना, जिसमें लोग सलाह लेने या रचनात्मक आलोचना सुनने के प्रति खुला नज़रिया रखें। बार-बार यह संदेश दें कि ग़लतियाँ ज़िंदगी का स्वाभाविक हिस्सा हैं। इस संदेश को सब तक पहुँचाने का एक अचूक तरीक़ा अपनी ग़लतियों को स्वीकार करना है।

दूसरा कदम - आलोचना करने या दोष देने से पहले दो बार सोचें। अगर ग़लती करने वाला व्यक्ति पहले से ही जानता है कि यह कैसे हुई, क्यों हुई और इसे दोबारा होने से रोकने के लिए क्या करना चाहिए, तो आपको कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं है। लोग जितना बुरा महसूस करते हैं, उन्हें उससे ज्यादा बुरा महसूस कराने में कोई तुक नहीं है।

तीसरा क़दम - आलोचना करने में धीमें चलें, खुद पर क़ाबू रखें, कुछ basic techniques का use करें, ताकि सामने वाला कान खोलकर आपके शब्द सुने। हालाँकि लोगों को कभी भी अपने बारे में नकारात्मक बातें सुनना अच्छा नहीं लगता, लेकिन वे ज़्यादा ग्रहणशील होंगे, अगर आप उनकी ग़लत चीज़ों के बजाय सही चीज़ों पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

डेल कारनेगी ने कहा है, "आलोचना की प्रक्रिया सच्ची प्रशंसा और सराहना से शुरू होनी चाहिए।”

गलतियाँ मानने में जल्दबाज़ी करें और आलोचना करने में धीमें चलें। सबसे बड़ी बात सृजनात्मक (creative) बनें।

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