Trending

मुश्किल दौर में आगे बढ़ने के 7 रहस्य | Turn Setbacks Into Greenbacks by Willie Jolley Book Summary in Hindi

Mushkil Daur Mein Aage Baadne Ke 7 Rahasya | Turn Setbacks Into Greenbacks by Willie Jolleya

मुश्किल दौर में आगे बढ़ने के 7 रहस्य | Turn Setbacks Into Greenbacks by Willie Jolley Book Summary in Hindi
मुश्किल दौर में आगे बढ़ने के 7 रहस्य | Turn Setbacks Into Greenbacks by Willie Jolley Book Summary in Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। अगर आपके पास आर्थिक चुनौतियाँ रही हैं जैसे आपकी नौकरी चली गई है, आपका घर या बचत चली गई है - और इस वजह से आपको लगता है कि आप अपना मानसिक संतुलन खोने वाले हैं, तो यह पोस्ट आपकी मदद कर सकती है! दूसरी ओर, अगर आपके सामने अब तक कोई आर्थिक चुनौती नहीं आई है, तब भी यह पोस्ट आपकी मदद कर सकती है!, क्योंकि अगर आप पर्याप्त लंबा जिएँगे, तो आपके जीवन में कुछ आर्थिक विपत्तियाँ जरूर आएँगी। तो इस पोस्ट में "मुश्किल दौर में आगे बढ़ने के 7 रहस्य" by Willie Jolley Book से 7 रहस्य दिए जा रहे है जिससे आप अपनी समृद्धि (prosperity) को बढ़ा पाएंगे, वो भी मुश्किल आर्थिक दौर में।

1.अपनी मानसिकता बनाएँ… दबाव बनाए रखें, लेकिन दहशत में न आएँ (क्योंकि दबाव से हीरे बनते हैं, जबकि दहशत से तबाही आती है)

        पैसे संबंधी चुनौतियाँ किसी न किसी समय हर एक के जीवन में आती हैं। यह आनंददायक समय नहीं होता। ब्लकि यह कष्टदायक होता है। जब हम पर कोई आर्थिक विपत्ति आती है, चाहे यह व्यक्तिगत स्तर पर हो या ज़्यादा बड़े स्तर पर (जैसे: आर्थिक मंदी या डिप्रेशन), तो हमारे भीतर नियंत्रण खोने की बेचैन करने वाली भावना आ सकती है, जो हमारे संतुलन को डगमगा सकती है। अक्सर नियंत्रण खोने के साथ दबाव और तनाव का स्तर भी बढ़ जाता है। जब आप कड़के होते हैं, तंगी में होते हैं और नाउम्मीद होते हैं, तो ध्यान को एकाग्रचित्त करना और एक ऐसा भविष्य देखना मुश्किल होता है, जहाँ पैसे की कोई तंगी न हो और बिल चुकाना इतना मुश्किल न हो। Author को अपने मित्र डॉ. बीचर हिक की यह बात बड़ी पसंद हैः “जब पैसा अजीब हरकतें करता है और परिवर्तन अजीब होता है, तो दबाव और भी बढ़ जाता है!” लेकिन अच्छी ख़बर… सचमुच अच्छी ख़बर… यह है कि इस समस्या का एक समाधान है और यह आपकी सोच से शुरू होता है!

        Author कठोर आर्थिक दौर के दबाव में रह चुके है और इस प्रक्रिया में उन्होंने यह मूल्यवान सबक़ सीखे हैं कि दबाव दरअसल आपकी ज़िंदगी में हीरे बना सकता है, लेकिन यह मानसिकता रखना महत्त्वपूर्ण है कि आप दबाव में कमज़ोर और कटु बनने के बजाय ज़्यादा मज़बूत और बेहतर बनेंगे। अलग तरह से सोचना शुरू करें। अपनी मनचाही चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करें और सकारात्मक तरीक़े से सोचें। उस बारे में न सोचें, जिसे आप न चाहते हों और जिससे आप डरते हों। क्यों? क्योंकि जिस पर भी आप सबसे ज़्यादा समय तक ध्यान केंद्रित करते हैं, वही सबसे मज़बूत बनता है!

        विजेता मानसिकता रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। किसी विपत्ति को संपत्ति में बदलने की दिशा में पहला क़दम अपनी मानसिकता को बनाना है! यह मानसिकता रखें कि आप किसी भी तरह, कैसे न कैसे भी जीतेंगे और जब धूल छँटेगी, तब भी आप खड़े नज़र आएँगे।

        यह द कलर पर्पल फ़िल्म की तरह है, जिसमें मिस सेली अपने घटिया, दुर्व्यवहार करने वाले पति मिस्टर को छोड़कर जाने का निर्णय लेती है। जब वह पति को बताती है कि वह उसे छोड़कर जा रही है, तो वह उससे कहता है कि कोई भी उसे पसंद नहीं करता है, क्योंकि वह बदसूरत है और उसने कभी कोई महत्त्वपूर्ण काम नहीं किया है। सेली मिस्टर की ओर फ़ौलादी आत्मविश्वास से देखती है और कहती है, “हो सकता है कि मैं बदसूरत हूँ और मैंने तुम्हारी नज़रों में कोई महत्त्वपूर्ण काम कभी न किया हो… लेकिन इसके बावजूद मैं यहाँ हूँ! इसके बावजूद मैं यहाँ हूँ!” यह उपलब्धि ऐलान था, महत्त्व का कथन था! तो विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने की दिशा में पहला क़दम सही मानसिकता बनाना है! ज़िंदगी और कारोबार में जीतने के लिए आपको सही मानसिकता बनानी चाहिए - आपको यह संकल्प लेना चाहिए कि आप अपने आरामदेह दायरे के पार जाने के लिए तैयार हैं। एक बार जब आप सही मानसिकता बना लेते हैं और समर्पित हो जाते हैं, तो आपके मन में लक्ष्य की दिशा में तब तक जुटने की इच्छा रहनी चाहिए, जब तक कि आप वहाँ पहुँच नहीं जाते।

2.खुद की इच्छा से सामूहिक अफ़सोस में शामिल न हों

        जब Author आर्थिक मंदियों के बारे में बोलते थे, तो वे फटाफट कह देते थे, “मैं इस मंदी में शामिल नहीं हो रहा हूँ!” यह तब तक अच्छा चला, जब तक कि उन्हें यह अहसास नहीं हुआ कि जिस व्यक्ति ने अभी-अभी अपना मकान या रिटायरमेंट की बचत गँवाई है, उससे “शामिल नहीं होने” की बात कहना थोड़ा अटपटा था। लेकिन जो इंसान किसी भयंकर आर्थिक दुःस्वप्न में जी रहा हो, उसे यह बताना मुश्किल था कि वह अपने जीवन में हो रही चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर दे। Author यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि, “निराशा और विनाश की बातों के तथा बुरी ख़बर व नकारात्मक सोच के क़ायल न बनें!” आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, आप जीवन में कुछ घटनाओं के प्रभाव से नहीं बच सकते। हम यह चयन तो नहीं कर सकते कि आर्थिक मंदियाँ हमें घसीटें या नहीं, लेकिन हम इच्छा से शामिल न होने का चयन ज़रूर कर सकते हैं! दूसरे शब्दों में, हमें क़तार में नहीं लगना है और नकारात्मक काम नहीं करना है। हमें समस्या में योगदान नहीं देना चाहिए; हमें तो समस्या का समाधान बनना चाहिए।

        जीवन में दूसरे लोगों के साथ क़तार में न खड़े हों… विकल्पों की तलाश करें। ईसा मसीह ने कहा था, “अगर अंधे अंधों का नेतृत्व करते हैं, तो दोनों ही गड्ढे में गिर जाएँगे।” (मैथ्यू 15:14 एनकेजेवी)। Author लोगों को विकल्प देखने और वह निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करते है, जो उनके लिए सबसे अच्छी तरह काम करता है। मुझे लात मारो का साइन बोर्ड अपनी पीठ से उतार दें और यह मानसिकता बना लें कि आप आर्थिक मंदी, डिप्रेशन या किसी दूसरी चीज़ में इच्छा से सहभागी नहीं बनेंगे। आप यह महसूस कर सकते हैं, लेकिन आपको इच्छुक समूह में जाने की ज़रूरत नहीं है। बहुत सारे लोग भीड़ का अनुसरण करते हैं, भले ही भीड़ ग़लत दिशा में जा रही हो।

        हमें कम से कम यह करना चाहिए कि लड़े बिना यथास्थिति के साथ न जाएँ। Author के ऑफ़िस की दीवार पर यह कथन लगा है, “जीवन इलाके के लिए युद्ध है। जब आप अपनी मनचाही चीज़ों के लिए लड़ना छोड़ देते हैं, तो आपको अनचाही चीज़ें ख़ुदबख़ुद मिलने लगती हैं!” यह ठान लें कि आप जीवन की मंदियों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, क़तार में नहीं लगेंगे, शिकायत नहीं करेंगे, रोना नहीं रोएँगे, बल्कि खड़े होकर अपने सपनों व लक्ष्यों के लिए संघर्ष करेंगे और कभी भी अपने भविष्य या उन अविश्वसनीय संभावनाओं से उम्मीद नहीं हारेंगे, जो आपके भीतर छिपी हैं।

3.घमंड को अपनी समृद्धि में ज़हर न घोलने दें

        यदि आप अपनी विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने वाले हैं, तो इसके लिए यह ज़रूरी है कि आप अपने गर्व के पार निकल जाएँ और यह निर्णय लें कि आप घमंड को अपनी समृद्धि में ज़हर नहीं घोलने देंगे। हम सबसे आत्म-सम्मान और गर्व रखने की उम्मीद की जाती है, लेकिन बहुत ज़्यादा घमंड हमें अपने लक्ष्य और सपने हासिल करने से रोक सकता है। हम सभी में गर्व और आत्म-गौरव का कुछ स्तर होता है, लेकिन अगर गर्व पर लगाम न कसी जाए, तो यह संसार के प्रति आपके नज़रिये को बदल सकता है और सफलता बढ़ाने वाले अवसरों का लाभ लेने के आपके दृष्टिकोण को बदल सकता है।

        संकट को आर्थिक सफलता में बदलने के लिए आपको नई सोच और कुछ नए कामों की ज़रूरत होती है, क्योंकि अगर आप वही करते रहते हैं, जो आप कर चुके हैं, तो आपको वही मिलेगा, जो आपको मिलता रहा है। आपको कुछ अलग करना होगा और कुछ चीज़ों को अलग तरीक़े से करना होगा। अक्सर लोगों को सफलता पाने से जो चीज़ रोकती है, वह उनकी योग्यता नहीं, बल्कि घमंड होता है। उनका दिल क्या कहेगा, इसके बजाय वे इस बारे में बहुत चिंता करते हैं कि “लोग” क्या कहेंगे? क्या आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया था? क्या आपने अपना सब कुछ दिया था? क्या आपमें अखंडता और चरित्र था? क्या आप ईश्वर के साथ हुए समझौते का अपना हिस्सा पूरा कर रहे थे? (क्योंकि ईश्वर अपना हिस्सा पूरा करता है!) क्या आपको याद है कि जीवन ईश्वर का दिया उपहार है… आप अपने जीवन के साथ जो करते हैं, वह आपका ईश्वर को दिया उपहार है! जैसा मार्टिन लूथर किंग, जूनियर ने बहुत सही कहा था, “अगर किसी इंसान को सड़क साफ़ करने का काम दिया जाए, तो उसे उसी तरह सड़क साफ़ करनी चाहिए, जिस तरह माइकलएंजेलो ने चित्रकारी की थी और शेक्सपियर ने कविता लिखी थी! उसे सड़कें इतनी अच्छी तरह साफ़ करनी चाहिए कि स्वर्ग और पृथ्वी के सभी वासी कहें, “यहाँ सड़क साफ़ करने वाला एक महान व्यक्ति रहता था, जिसने अपना काम अच्छी तरह किया!” घमंड को अपनी दौलत की राह में आड़े न आने दें! घमंड को अपनी समृद्धि में ज़हर न घोलने दें।

        दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, उससे आपको काम करने से नहीं रुकना चाहिए। आपको काम करते रहना चाहिए। अक्सर हम घमंड के कारण अटक जाते हैं और अंततः कुछ भी नहीं कर पाते हैं। डर या कम अपेक्षाओं की वजह से गतिविधि का अभाव और इसलिए सफलता का अभाव उत्पन्न हो सकता है। यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि आप अपना मन बना लें, बढ़ते रहें और मेहनत से काम करें। तो हमें क्या करना चाहिए? कुछ भी, कोई भी चीज़… बस आगे बढ़ जाएँ! आप बैठकर इस बात का इंतज़ार नहीं कर सकते कि सफलता ख़ुदबख़ुद चलकर आपके पास आ जाएगी। अगर आप असफल हो जाएँ, तो दोबारा कोशिश करें, शुरू करें और कोशिश करते रहें, अपने लक्ष्य की दिशा में कोई सकारात्मक चीज़ करें। इंतज़ार न करें, वरना बहुत देर हो सकती है! कर्म करें! और याद रखें… भारी सफलता हमेशा सर्वश्रेष्ठ प्रतिशोध होती है!

4.कल की शक्ति और संभावनाओं के बारे में सोचना न छोड़ें

दौड़ में जीत हमेशा सबसे तेज़ या सबसे शक्तिशाली की ही नहीं होती है, बल्कि उसकी होती है, जो अंत तक सहन करता है। अपनी विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने की दिशा में अगला क़दम है, “कल के बारे में सोचना न छोड़ें।” जो लोग अपने लक्ष्यों पर काम करते रहते हैं, उनका भविष्य आम तौर पर बेहतर बनता है। जब परिस्थितियाँ मुश्किल हों और हम निराश महसूस कर रहे हों, तो हमें ऊपर देखने और ऊँचा सोचने की ज़रूरत है, ताकि हम स्थिति को अलग तरीक़े से देख सकें और नई संभावनाओं को पहचान सकें। घबराकर न रुकें; अपने सपने और लक्ष्य न छोड़ें। इसके बजाय कल और आने वाले बेहतर दिनों के बारे में सोचें। आप एक सकारात्मक नज़रिया रखें, सकारात्मक अंदरूनी दृष्टि रखें और सकारात्मक ऊपर की ओर जाने वाली दृष्टि रखें!

        हमारे भीतर इतनी शक्ति और संभावना है कि हमें ख़ुद पता नहीं होता, लेकिन हममें लगातार अपना विकास करने की इच्छा होनी चाहिए। अगर हम ज़्यादा बड़े परिणाम चाहते हैं, तो हमें बेहतर बनना चाहिए। आप अपना विकास जारी रखें और ख़ुद को विकसित करते रहें! आपको क्या “बनना” चाहिए, ताकि आप “कर” सकें, ताकि आप “पा” सकें, ताकि आप “दे” सकें? अगर आप इन सवालों के जवाब देते हैं, तो आप देखेंगे कि आपका भविष्य ज़्यादा स्पष्ट और ज़्यादा उज्ज्वल बन जाएगा!

5.प्रोएक्टिव बनें

        आपकी आर्थिक स्थिति के कायाकल्प के लिए यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि आप प्रोएक्टिव बनें। प्रोएक्टिव बनने का मतलब है पहल करके कार्य करना। प्रोएक्टिव बनना यह पहचानना है कि आपके व्यक्तिगत कार्यों का आपकी वर्तमान स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है और वे इसे बेहतर बना सकते हैं। प्रोएक्टिव बनने का मतलब है कि आप काम करते हैं, बस बैठकर इंतज़ार नहीं करते हैं। प्रोएक्टिव बनने का मतलब यह है कि आप “उठकर काम करते हैं” (जैसा मेरी माँ महत्त्वाकांक्षी लोगों के बारे में कहा करती थीं)। प्रोएक्टिव बनने का मतलब है कि आप अपने भविष्य के लिए ज़िम्मेदारियाँ लेते हैं और अपने विचारों तथा सपनों को साकार करने के इच्छुक रहते हैं; आप हाथ पर हाथ रखकर उनके प्रकट होने का इंतज़ार नहीं करते हैं। आप उन विचारों और सपनों को हक़ीक़त में बदलने के लिए आवश्यक काम करते हैं और इसके लिए आवश्यक क़दमों पर पूरा सोच-विचार करते हैं।

        प्रोएक्टिव बनना रिएक्टिव या प्रतिक्रियाशील बनने के विपरीत है, जिसका मतलब है चीज़ों के बदलने के लिए किसी बाहरी उद्दीपन का इंतज़ार करना। प्रतिक्रियाशील लोगों की मानसिकता यह होती है कि “चीज़ें जैसी हैं, वैसी हैं और हम उन्हें बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकते।” प्रोएक्टिव लोग चीज़ों के होने का इंतज़ार नहीं करते हैं, वे चीज़ों को घटित कराते हैं! अपनी आर्थिक विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने के लिए यह आवश्यक है कि आप प्रोएक्टिव बनें।

6.सृजनात्मक बनें

        विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने के लिए अगला क़दम यह है कि आप सृजनात्मक बन जाएँ! यह इस बारे में है कि आप नए विचार सोचें और फिर उन पर काम करें। अपनी स्थिति को उलटने के लिए आपको सोचना चाहिए और फिर काम करना चाहिए। सृजनात्मक बनने के लिए विचारशील कर्म के संकल्प की ज़रूरत होती है। आपको नए विचारों और नए दृष्टिकोणों के बारे में सोचने की ज़रूरत होती है। इसके बाद आपको उन विचारों को हक़ीक़त में बदलने के लिए एक योजना बनाने की ज़रूरत होती है। जब आपको ज़्यादा पैसों की ज़रूरत होती है, तो यह समस्या दरअसल पैसे की नहीं, बल्कि विचार की है। अपनी विपत्तियों को संपत्तियों में बदलने में आपको ज़्यादा सृजनात्मक बनने की दिशा में काम करना चाहिए।

        Author कहते है मेने फ़्लोरिडा जाकर lecture दिया और लोगों ने खूब अभिनंदन किया। मैं सातवें आसमान पर था! मैंने अपना चेक लिया और उन्होंने बेहतरीन काम करने के लिए एक छोटा बोनस भी दे दिया। पैसे पाकर मैं रोमांचित था और इसी अवस्था में मैं वापस लौटने वाले विमान पर चढ़ा। लेकिन फिर मैं अपने सारे बिलों और ख़र्च के बारे में सोचने लगा और मुझे अहसास हुआ कि पूरा पैसा ख़र्च होने की व्यवस्था तो पहले ही हो चुकी थी। यह मेरे सिवा बाक़ी हर एक के लिए आवंटित था! अचानक मैं निराश हो गया, क्योंकि अपने अकाउंट में जमा करने का मौक़ा मिलने से पहले ही पैसा चला गया था। जब मैं वहाँ बैठा-बैठा अपनी हालत पर अफ़सोस कर रहा था, तो मैं बीच की ख़ाली जगह में एक ज़्यादा बड़े व्यक्ति से बात करने लगा। उसे अहसास हो गया होगा कि मैं जूझ रहा था और बातचीत के दौरान उसने मुझसे एक प्रश्न पूछा, जिसका मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उसने कहा, “युवक, तुम क्या सोचते हो मेरी उम्र कितनी है?” मैंने उसकी ओर देखकर कहा, “देखिए, मैं कहूँगा यही कोई 60।” वह मुस्कराया और उसने अपना चश्मा उतारकर सीधे मेरी आँखों में देखकर कहा, “युवक, मैं स्वास्थ्य और दौलत पर व्याख्यान देने के लिए पूरे देश में यात्रा करता हूँ और मैं यह काम हर दिन करता हूँ। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि मेरी उम्र 88 साल है और मेरा सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाक़ी है!” उस पल, मेरे लिए हर चीज़ बदल गई! अगर 88 साल का व्यक्ति यह सोच सकता था कि उसके सर्वश्रेष्ठ दिन उसके सामने थे और उसके पीछे नहीं थे, तो फिर मैं क्यों रो रहा हूँ? अगर 88 साल का इंसान ऐसा आशावाद रख सकता है, तो फिर मुझे सफलता से कौन दूर रख रहा था? जवाब यह था कि समस्या मैं ख़ुद था। मैं यह इंतज़ार कर रहा था कि सफलता मेरे पास आए। मैं जाकर सफलता पाने की पुरज़ोर कोशिश नहीं कर रहा था। लोगों के फ़ोन का इंतज़ार करने के बजाय मुझे उन्हें फ़ोन करना चाहिए था। अँगीठी के सामने बैठकर “मुझे गर्मी दो!” चिल्लाने के बजाय मुझे गर्मी उत्पन्न करने के लिए अँगीठी में कुछ डालना चाहिए था।

        जब मैं उस दिन विमान से उतरा, तो मैं एक नया इंसान था। मैं एक नए नज़रिये और नए आशावाद के साथ घर लौटा। मैं फ़ोन पर जुट गया, सेल्स कॉल करने लगा और अपने कारोबार के बारे में ज़्यादा लोगों से बात करने लगा। फिर क्या था, परिस्थितियाँ बदलने लगीं। उस बुजुर्ग व्यक्ति की बात बिलकुल सही थी - सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाक़ी था।

        उस आदमी ने मेरे जीवन में जब ये शब्द बोले थे और मुझे प्रोत्साहित किया था, उसके बाद कई साल गुज़र चुके हैं और तब से बहुत कुछ हो चुका है। मुझे वक्ता के रूप में, लेखक के रूप में और रेडियो व टेलीविज़न पर सफलता मिल चुकी है, लेकिन मैं मानता हूँ कि वृहद संभावनाओं की तुलना में यह सिर्फ़ छोटा सा हिस्सा है। मुझे वाक़ई यक़ीन है कि सर्वश्रेष्ठ का आना अभी बाक़ी है! मैं मानता हूँ कि आपका सर्वश्रेष्ठ आना भी अभी बाक़ी है! प्रश्न यह है, क्या आप इस बात पर यक़ीन करते हैं?

7.प्रार्थनापूर्ण बनें

        आख़िरी क़दम दरअसल पहला क़दम होना चाहिए, क्योंकि यह सबसे महत्त्वपूर्ण क़दम है और यह है प्रार्थनापूर्ण बनना। प्रार्थना परिस्थितियों को बदल देती है और आपको आशा देती है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन का एक अध्ययन कहता है कि आस्थावान लोग ज़्यादा लंबा जीते हैं। जब Author 90-100 वर्ष पार करने वाले लोगों से बातचीत करते है और उनसे दीर्घायु का रहस्य पूछते है, तो उन्हें यह आश्चर्यजनक जवाब मिलता है, “आस्था रखें और ईश्वर पर विश्वास करें!” अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कोई चीज़ कैसे की जा सकती है, तो उस व्यक्ति से पूछें जो यह कर चुका है और उससे सीखें।

        बहुत सारे लोग अक्सर बाइबल की ग़लत व्याख्या करते हैं और सोचते हैं कि अगर वे प्रार्थना करते हैं, तो उन्हें कोई दूसरी चीज़ करने की ज़रूरत नहीं है। उनके पास एक धर्मशास्त्र होता है, जो यक़ीन करता है कि उन्हें प्रार्थना के अलावा कुछ करने की ज़रूरत नहीं है और सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन बाइबल में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि अगर कोई इंसान काम नहीं करता है, तो उसे खाने को नहीं मिलेगा! यह लोगों को बार-बार प्रोत्साहित करती है कि वे प्रार्थना करें और फिर उठकर काम करें। ईश्वर का इंतज़ार न करे कि वे खुद आपकी गोद में मदद डालने आएंगे। उठें और ख़ुद की मदद करें।

        आपके पास न सिर्फ़ आस्था होनी चाहिए, बल्कि आपको उसका इस्तेमाल भी करना चाहिए! आपको अपनी आस्था को संज्ञा नहीं, बल्कि क्रिया मानना चाहिए, जैसे यह कोई कार्य हो, कोई ऐसी चीज़ जिस पर आप काम कर रहे हैं! जब आप अपनी आस्था पर काम करते हैं, तो आपको यह देखने की शक्ति मिल जाती है कि बाइबल के शब्द वास्तविक हैं और धर्मग्रंथ जीवन में नई ऊर्जा तथा रोमांच ला सकते हैं! आस्था कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे हमें पढ़ना चाहिए; यह तो एक ऐसी चीज़ है जिसे हमें जीना चाहिए… हर दिन। आज मैं चाहता हूँ कि आप जिस चीज़ के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन कोशिश करने से घबराते हैं, उसे कर दें। ईश्वर पर विश्वास करें और वह काम अभी शुरू कर दें! अपने जीवन के पर्वतों को आवाज़ दें और उनसे अपने रास्ते से दूर हटने को कहें! पूरे विश्वास से बोलें! यह सचमुच आपकी आस्था के अनुरूप किया जाता है! आप जिस पैमाने पर जीते और देते हैं, उसी पैमाने पर आपको मिलता है! आगे बढ़ें!

👆 यह Summary है "मुश्किल दौर में आगे बढ़ने के 7 रहस्य | Turn Setbacks Into Greenbacks" by Willie Jolley Book की, यदि Detail में पढ़ना चाहते है तो इस Book को यहां से खरीद सकते है 👇

Post a Comment

Previous Post Next Post