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लोगों को 90 सेकेंड में प्रभावित करें | Convince Them in 90 Seconds or Less By Nicholas Boothman Book Summary In Hindi

Logo Ko 90 Seconds Mein Prabhavit Kare | Convince Them in 90 Seconds or Less

Logo Ko 90 Seconds Mein Prabhavit Kare | Convince Them in 90 Seconds or Less By Nicholas Boothman Book Summary In Hindi
Logo Ko 90 Seconds Mein Prabhavit Kare | Convince Them in 90 Seconds or Less By Nicholas Boothman Book Summary In Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। "लोगों को 90 सेकेंड में प्रभावित करें" By Nicholas Boothman Book किसी नए Business concept के बारे में नहीं है; यह तो इस बारे में है कि आप 90 seconds या इससे कम समय में अपने ग्राहकों, सहकर्मियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और अजनबियों के साथ जुड़ना सीखकर Business और Life में ज़्यादा सफल कैसे बन सकते हैं। यह Book आपको दिखा देगी कि आप अपने शरीर, अपने दिमाग़, अपनी आवाज़ और सबसे बढ़कर अपनी कल्पना का पूरा लाभ कैसे लें, ताकि आपको एक महत्त्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी (Competitive) लाभ मिल जाए और आप हर संबंध की संभावना को अधिकतम कर सकें, चाहे यह संबंध Business के क्षेत्र में हो, Personal हो या फिर सामाजिक हो।

बुनियादी बातें

        सफलता की संभावना पहली छवि से जितनी तय होती है, उतनी किसी भी दूसरी चीज़ से नहीं होती। लोगों से जुड़ने और अपने विचारों को विश्वसनीय तरीक़े से व्यक्त करने की योग्यता कुछ सरल बुनियादी बातों पर निर्भर करती है। जो इस प्रकार है :

1.लोगों से नज़रें मिलाएँ और मुस्कराएँ। आपका message वहाँ जाता है, जहाँ आपकी आवाज़ जाती है, और आपकी आवाज़ वहीं जाती है, जहाँ आपकी आँखें इसे भेजती हैं। आँखों के संपर्क से विश्वास उत्पन्न होता है। मुस्कान से आप खुश और आत्मविश्वास से भरे दिखते हैं। तीन बार ख़ुद से "ग्रेट" कहें और मूड में आ जाएँ।

2.सामने वाले जैसे बनें - गिरगिट बनें। हम अपने जैसे लोगों के साथ आरामदेह और तनावरहित महसूस करते हैं। तुरंत जुड़ाव हासिल करने के लिए अपनी बॉडी लैंग्वेज दूसरों जैसी बना लें।

3.कल्पना को जकड़ेंगे, तो आप हृदय को जकड़ लेंगे। इंद्रिय-समृद्ध (Sense rich) भाषा और चित्रों का इस्तेमाल करें, ताकि आपके आशय को दूसरे लोग देख सकें, सुन सकें, महसूस कर सके और यहाँ तक कि ख़ुशबू भी सूँघ सकें और स्वाद ले सकें।

4.विश्वसनीय बने। यह इस बारे में है कि आप दूसरों से जो कराना चाहते हैं, उनमें वह काम करने की इच्छा उत्पन्न करें। इसे कारगर बनाने के लिए तीन तत्व मौजूद होने चाहिए : विश्वासपूर्ण छवि, अचूक तर्क और भावनाओं को प्रेरित करना। इन तीनों स्तरों पर आग्रह करें, ताकि व्यक्ति, समूह या श्रोता महसूस करें : मैं आप पर विश्वास करता हूँ, आपकी बात में समझदारी दिखती है और आप मुझे प्रेरित करते हैं। विश्वास सबसे पहले आना चाहिए।

5.केएफ़सी (KFC)। संवाद का अर्थ इसे मिलने वाली प्रतिक्रिया में निहित है। अपने संवाद की सफलता या असफलता के लिए आप ख़ुद 100% ज़िम्मेदार हैं। केएफ़सी सफल संवाद का फ़ॉर्मूला है।

के(K): जानें कि आप क्या चाहते हैं (Know what you want)।

एफ़(F): पता लगाएँ कि आपको क्या मिल रहा है (Find out what you’re getting)। मिलने वाले सारे फ़ीडबैक पर ध्यान दें और उससे सीखें, ताकि आप यह जान सकें कि कौन सी चीज़ आपको अपने लक्ष्य की दिशा में ले जा रही है और कौन सी इससे दूर ले जा रही है ।

सी(C): आप जो करते हैं, उसे बदल लें, जब तक कि आपको वह न मिल जाए, जो आप चाहते हैं (Change what you do until you get what you want)। उसी चीज़ को बार-बार करना और भिन्न परिणामों की उम्मीद करना निरर्थक है।

मानव स्वभाव के साथ जुड़ना

        जब भी आप किसी अजनबी से हेलो कहते हैं, तो वह अचेतन रूप से निर्णय लेता है कि दौड़े, लड़े या वहीं रुका रहे। अचेतन स्तर पर एक ही झटके में दर्जनों निर्णय लिए जाते हैं। आपने लोगों को कहते सुना होगा, "मैं जिस पल उससे मिला, उसी पल से उसे पसंद करने लगा।" लेकिन यह सब कैसे होता है?

        जब "पसंद"/"नापसंद" के फ़िल्टर एक बार तय हो जाते हैं, तो इसके बाद हर चीज़ मुलाक़ात के शुरुआती पलों से प्रभावित होती है : अगर मैं आपको पसंद करता हूँ, तो मैं आपके सर्वश्रेष्ठ पहलुओं को देखूँगा और मेरी नज़र में आप कोई ग़लती नहीं कर सकते। लेकिन अगर मैं आपको पसंद नहीं करता, तो फिर आपकी कोई भी चीज़ मेरे हिसाब से सही नहीं हो सकती। हम लोगों को तुरंत आकलन करने से नहीं रोक सकते, लेकिन इस तरह हम उन आकलनों को अपने पक्ष में ज़रूर कर सकते हैं। 

1.लड़ो-या-भागो प्रतिक्रिया को ख़त्म करना

दूसरों को अपने बारे में जल्दी से सकारात्मक आकलन करने के लिए प्रोत्साहित करें।

➤अपनी बॉडी लैंग्वेज और व्यक्तिगत हुलिए के बारे में जागरूक रहें। हम ऐसे लोगों की ओर आकर्षित होते हैं, जो स्वस्थ और स्फूर्ति भरे दिखते हैं। नज़रिया, मुद्रा, चेहरे के हाव-भाव और आँखों का संपर्क आपके द्वारा भेजी जाने वाली ऊर्जा पर प्रभाव डालते हैं। एक अनूठा अंदाज़ खोजें, जो रौब और मिलनसारिता का मिश्रण हो।

➤किसी के पास जाने से पहले अपने नज़रिये को स्थिति के अनुरूप ढालें।

➤खुली बॉडी लैंग्वेज का प्रदर्शन करें और खुले हृदय का संकेत करें: मुस्कराएँ, नज़रें मिलाएँ, अपने हृदय का संकेत सामने वाले व्यक्ति के हृदय की ओर करें, और उसे स्पष्टता से दिखा दें कि आपके हाथों में कोई चीज़ छिपी नहीं है - कि आपसे उसे कोई खतरा नहीं है।

➤नर्म करने वाला प्रश्न पूछे: "माफ़ करें, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूँ?" "आप यह कैसे बता सकते हैं...?" "आप ...के बारे में क्या सोचते हैं?"

➤अपनी बॉडी लैंग्वेज और आवाज़ के लहज़े को सामने वाले के अनुरूप बनाएँ। अगर आप किसी छोटे समूह से मिल रहे हैं, तो हर व्यक्ति की ओर मुड़ते समय उससे तालमेल बनाएँ।

➤हम खुद को या दूसरों को लोगों के बारे में जल्दी से आकलन करने से नहीं रोक सकते, लेकिन हम आँखों को दिखाई देने वाली चीज़ों से आगे तक देखना सीख सकते हैं। कोई व्यक्ति कैसा दिखता या लगता है, इसमें न खोकर रह जाएँ। वह कैसा है, इस बारे में पुरानी ग़लत धारणाओं में भी न उलझे रहें। आप क्या चाहते हैं, इसे याद रखें और अपने परिणाम पर केंद्रित बने रहें।

➤लोगों के स्थान का सम्मान करें। सामने वाले के बहुत ज़्यादा क़रीब जाने से लड़ो-या-भागो प्रतिक्रिया प्रेरित हो सकती है। अनपेक्षित घुसपैठ तालमेल के लिए बुरी होती है, ख़ास तौर पर यदि यह अचानक हो।

2.नज़रिये, बॉडी लैंग्वेज और सामंजस्य पर काम करें 

➤नज़रिया संक्रामक है। यह आपके बारे में वह पहली चीज़ है, जिस पर लोग ग़ौर करते हैं और यह तुरंत आपके आस-पास वाले लोगों को अपने रंग में रंग देता है।

➤नज़रिया आपकी बॉडी लैंग्वेज, आपकी आवाज़ के लहज़े और आपके शब्दों के चयन से मिलकर बनता है। अगर आप उत्साही हैं, तो उत्साही दिखें, अपनी आवाज़ को उत्साही रखें और उत्साही शब्दों का इस्तेमाल करें।

➤आप अपने नज़रिये को नियंत्रित और संतुलित कर सकते हैं, बसर्ते आप चाहें। आपका मस्तिष्क और आपका शरीर एक ही तंत्र के दो हिस्से हैं - एक को बदलेंगे, तो दूसरा अनुसरण करेगा।

➤उपयोगी नज़रिये जैसे गर्मजोशी, उत्साही और आत्मविश्वासी बनना, लोगों को हमारी ओर आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, अनुपयोगी नज़रिये जैसे नाराज़, घरमंडी या अधीर होना, लोगों को हमसे दूर करते हैं। 

➤आपकी बॉडी लैंग्वेज क्या कहती है, इस बारे में जागरूक बनें, क्योंकि आपसे संबंध जोड़ते वक़्त लोग आधे से ज़्यादा ध्यान इसी पर देते हैं।

➤खुली बॉडी लैंग्वेज जैसे बिना बँधे हाथ-पैर, आँखों का अच्छा संपर्क, मुस्कराना, आगे झुकना - हृदय को खोलता है और स्वागत करता है। यह संकेत देता है, "मैं व्यवसाय के लिए खुला हूँ।"

➤बंद बॉडी लैंग्वेज जैसे बाँहें रक्षात्मक अंदाज़ में बँधी हुई, आँखों के संपर्क से कतराना, अपने हाथ छुपाना, दूर हटना - हृदय की रक्षा करती है और लोगो को दूर करती है। इससे यह संकेत मिलता है, "मैं व्यवसाय के लिए बंद हूँ।"

➤ तालमेल वाले लोग अचेतन रूप से एक दूसरे की बॉडी लैंग्वेज और भाषा की विशेषताओं की नक़ल करते हैं। अगर आप किसी दूसरे के शरीर की मुद्राओं की जान-बूझकर नक़ल करते हैं, तो आप समझ और विश्वास का अहसास उत्पन्न कर देंगे और आश्चर्यजनक जुड़ाव बन सकता है। इसी तरह, अगर आप सामने वाले की आवाज़ की नक़ल करते हैं - किसी धीमे बोलने वाले से धीमे बोलना, किसी तेज़ बोलने वाले से तेज़ी से बोलना, शांत बोलने वाले से शांत बोलना - तो आपमें जल्द ही तालमेल बन जाएगा।

➤जब आपकी बॉडी लैंग्वेज, आवाज़ का लहज़ा और शब्द सभी एक ही चीज़ कहते हैं, तो आप सामंजस्यपूर्ण या विश्वसनीय होते हैं। राज़ी करने के लिए आपको विश्वसनीय होना होता है। यदि आपके शब्द और आपकी बॉडी लैंग्वेज एक ही चीज़ नहीं कह रहे हैं, तो लोग दुविधा में पड़ जाएँगे और बिचक जाएँगे।

➤फ़ीडबैक दें और लें, शाब्दिक भी और ग़ैर-शाब्दिक भी: रुचिवान दिखें और रुचि लेकर काम करें, आगे की ओर झुकें, कुर्सी के कोने पर बैठ जाएँ, मुस्कराएँ, कंधे उचकाएँ, हँसें। अगर आप प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, तो लोग यह मान लेंगे कि आपकी रुचि नहीं है और वे सोचेंगे कि काश वे कहीं और होते।

➤फ़ीडबैक मुलाक़ात को योजना, दिशा और गहराई देता है। जब आप जुड़ाव बना रहे हैं, तो फ़ीडबैक उस मुलाक़ात की निरंतर गुणवत्ता के लिए ज़िम्मेदार होता है।

➤अच्छी तरह दिए गए फ़ीडबैक से लोगों को ऐसा महसूस होता है कि आप उन पर ध्यान दे रहे हैं और वे आपके साथ जो संवाद कर रहे हैं, उसका असर हो रहा है।

3.मस्तिष्क की भाषा बोलें

➤आपका मस्तिष्क केवल सकारात्मक जानकारी की ही प्रोसेसिंग कर सकता है। चित्र, ध्वनियाँ, भावनाएँ और इससे कम हद तक गंध और स्वाद मस्तिष्क की भाषा हैं। मस्तिष्क नकारात्मक चित्र (कोई चीज़ न करना, कोई चीज़ न देखना) की प्रोसेसिंग नहीं कर सकता; यह केवल सकारात्मक जानकारी के साथ काम कर सकता है। इसलिए इस बारे में चेतन रहें कि आप जो शब्द चुनते हैं, उनसे दूसरों के दिमाग में नकारात्मक सुझाव न बोएँ।
  • सकारात्मक अंदाज़ में बोलें।
  • "कोई समस्या नहीं" के बजाय कहें, "मुझे ख़ुशी हुई।"
  • "फ़ोन करने में न हिचकें" के बजाय "मुझे फ़ोन करें" शब्दों का इस्तेमाल करें।
➤ख़ुद के और दूसरों के सामने अपने अनुभव बताते समय हममें बँधे-बँधाए ढरों में अटकने की प्रवृत्ति होती है। चेतन रूप से एक सकारात्मक व्याख्यात्मक शैली बनाएँ और अपने उत्साही नज़रिये से दूसरों को अपने रंग में रंग डालें।

➤आप कोई चीज़ क्यों कर रहे हैं, लोगों को यह कारण बताने से इस बात पर काफ़ी असर होता है कि वे आप पर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। लोगों में स्वचालित रूप से उन आग्रहों को मानने की प्रवृत्ति होती है, जब उन्हें कोई कारण बताया जाता है कि उन्हें ऐसा क्यों करना चाहिए। पढ़ते रहें, क्योंकि आप बहुत कुछ सीखने वाले हैं।

4.इंद्रियों के साथ जुड़ें

इन्द्रियगत प्राथमिकताएं: किसी दूसरे तक जानकारी पहुँचाने का सबसे कारगर तरीक़ा अपनी संवाद शैली को उसकी संवाद शैली के अनुरूप ढालना है। लोग आम तौर पर इन तीन श्रेणियों में से किसी एक में आते हैं :
  • दृश्यात्मक। मुझे बताओ या दिखाओ कि यह कैसा दिखता है। दृश्यात्मक लोगों को चित्र देखने और अपने अनुभवों की तसवीर बनाने की ज़रूरत होती है।
  • श्रव्यात्मक। मुझे बताओ या दिखाओ कि इसकी आवाज़ कैसी है। श्रव्यात्मक लोगों को ध्वनियाँ सुनने और अपने अनुभव बोलकर बताने की ज़रूरत होती है।
  • काइनेस्थेटिक। मुझे बताओ या दिखाओ कि यह कैसा महसूस होता है। काइनेस्थेटिक लोग शारीरिक अनुभूति को व्यक्त करके संवाद करते हैं।
जान-बूझकर तालमेल बंनाना: अपनी बॉडी लैंग्वेज, आवाज़ के लक्षणों, पसंदीदा शब्दों और इंद्रियगत प्राथमिकताओं को सामने वाले जैसा बनाकर आप उसके साथ तालमेल स्थापित कर सकते हैं।

व्यक्तित्व के साथ जुड़ना

      एक बार जब आप किसी व्यक्ति की बुनियादी मानवीय सहज प्रवृत्तियों के साथ जुड़ जाते हैं और वे आपके साथ इतना आरामदेह महसूस करते हैं कि आप पर विश्वास करने लगते हैं, तो आप दूसरे दौर में दाख़िल होते हैं : अपने संसार को उनके संसार के साथ जोड़ना। इसे हासिल करने के लिए आपको तीन चीज़ें जानने की ज़रूरत है : 

1.व्यक्तित्व को पोषण दें

➤कारोबारी गिरगिट अपने ग्राहकों और सहकर्मियों के व्यक्तित्व के अनुरूप ढलता है और उन्हें पोषण देता है।  कंपनियाँ हमेशा चार बुनियादी व्यक्तित्वों की तलाश में रहती हैं: स्वप्नदर्शी, जो विचार सोच सकें; विश्लेषक, जो सुनिश्चित करें कि वे विचार काम करें; राज़ी करने वाले, जो विचारों को मान्यता व सराहना दिला सकें; नियंत्रक, जो यह सुनिश्चित करें कि चीजें पूरी हो जाएँ। ज्यादातर लोगो में इन गुणों का मिश्रण होता है, लेकिन आम तौर पर इनमें से कोई एक प्रबल होता है। तालमेल जोड़ने का तरीका यह है:
  • स्वप्नदर्शी। उसे सपना देखने की जगह और प्रेरणा दें। उसके व्यक्तिगत स्थान का सम्मान करें। विकल्पों में बात करें।
  • विश्लेषक। विवरण पर ध्यान दें, अच्छी तरह व्यवस्थित रहें और तथ्यों तक सीमित रहें।
  • राज़ी करने वाले। उस पर उत्साह से प्रतिक्रिया करें और उसकी स्वतः स्फूर्त प्रवृत्ति की सराहना करें। विवरणों को कागज़ पर लिख लें।
  • नियंत्रक। उसे विकल्प दें (फिर उसे अपने मनचाहे परिणाम की ओर ले जाएँ)। उसके गुणों को स्वीकार करें और उसका समय बर्बाद न करें।
➤अपनी संवाद योग्यताओं को बेहतर बनाने के लिए अपनी शक्तियों में छिपी कमज़ोरियों की जाँच करें।
  • स्वप्नदर्शी। क्या आप अनिर्णायक हैं? क्या आपकी पहली छवि ग़लत बनती है? क्या आप हाँ कहते हैं, जब आप दरअसल नहीं कहना चाहते हैं? या नहीं कहते हैं, जब आपका मतलब दरअसल हा होता है?
  • विश्लेषक। क्या आप बड़ी तसवीर के अवसर चूक जाते हैं? क्या आप अति आलोचक हैं? क्या आप अलग-थलग या दूर-दूर नज़र आते हैं?
  • राज़ी करने वाला। क्या आप बहुत ज़्यादा बोलते हैं? क्या आप आमने-सामने के मुक़ाबले से बचते हैं? क्या आपको केंद्रित बने रहने में मुश्किल आती है?
  • नियंत्रक। क्या आप बहसप्रेमी या ज़िद्दी हैं? आप फ़ीडबैक की प्रोसेसिंग कितनी अच्छी तरह करते हैं?

2.अपने कारोबार की प्रकृति को जानें

➤एक कलात्मक रूप से बुने मिशन स्टेटमेंट से एक अच्छा विचार बड़ा विचार बन जाता है - जो सरल, संक्षिप्त और यादगार तरीक़े से स्पष्ट करता है कि संगठन का अस्तित्व क्या है और इससे क्या फ़र्क पड़ता है।
  • बड़ा विचार किसी संगठन को व्यक्तित्व दे सकता है। यह यादगार होना चाहिए, इसे संगठन की आत्मा को जकड़ना चाहिए और हर एक को एक ही दिशा में संकेत करना चाहिए।
  • बड़ा विचार सीधे किसी प्रॉडक्ट या सेवा का ज़िक्र नहीं करता है, बल्कि उसका ज़िक्र करता है जो कंपनी करती है। यह आपके व्यवसाय की सच्ची प्रकृति से उत्पन्न होता है।
  • बड़े विचार को इस मंत्र को जल्दी से प्रेरित करना चाहिए, "मैं इस वक्त इसे कर रहा हूँ या नहीं?" ग्राहकों और सहकर्मियों के साथ निर्णय लेते समय किसी कर्मचारी के मन में आने वाला पहला विचार बड़ा विचार ही होना चाहिए।
➤अपने ख़ुद के व्यक्तिगत बड़े विचार को स्पष्ट करके आप अपने कामकाजी जीवन को अधिक दिशा और अर्थ दे सकते हैं। इसे इस तरह बनाएँ, ताकि यह आपको समझदारी भरा लगे।

➤दस सेकंड का विज्ञापन दूसरों को आपके कामकाज का मूल्य इस तरह बताता है, जिससे बातचीत का आमंत्रण मिले। एक बार जब आप इसे पेश कर दें, तो सामने वाले को इतना Curious होना चाहिए कि वह "बड़ी बात" कहने के बजाय यह कहे "मुझे ज़्यादा बताएँ"। 
  • दस सेकंड के विज्ञापन के तीन हिस्से होते हैं: आप क्या करते हैं, आप यह किसके लिए करते हैं और इससे उनका जीवन कैसे बेहतर बनता है?
  • अपने दस सेकंड के विज्ञापन को छोटा और सटीक रखें।
  • अनौपचारिक स्थितियों के लिए, पब नीति का इस्तेमाल करें - "आप जानते हैं कैसे...?/देखिए, मैं... /ताकि वे... कर सकें" प्रारूप ।

3.अपनी शैली खोजें

➤जब लोग पहलेपहल आप पर प्रतिक्रिया करते हैं, तो वे आपके नज़रिये पर प्रतिक्रिया करते हैं - वे आपके दिए अनकहे संदेश पर प्रतिक्रिया करते हैं। आपकी शैली उस संदेश का हिस्सा है। बेहतरीन पहली छाप छोड़ने के लिए एक अनूठी शैली बनाएँ, जो स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति हो। 
  • प्रभावी पेशेवर शैली मिलनसारिता और रौब को संतुलित करती है।
  • एक ऐसी छवि का निर्णय लें, जिसे आप प्रसारित करना चाहते हों। खुद से पूछे : मेरे व्यक्तित्व की शैली कैसी है? अपने कपड़ों के ज़रिये मैं अपनी शक्तियों और व्यक्तित्व के बारे में दूसरों तक क्या कौन सा संदेश पहुँचाना चाहता हूँ? क्या मेरी वर्तमान पोशाक यह करती है?
  • आप जो पद चाहते हैं, उसके अनुरूप पोशाक पहनें - उस पद की नहीं, जहाँ आप इस समय हैं।
  • याद रखें, जब आपकी पोशाक कमज़ोर होती है, तो लोग आपके कपड़ों पर ग़ौर करते हैं; जब आपकी पोशाक आदर्श होती है, तो वे आप पर ग़ौर करते हैं।
  • अगर आप निर्णय लेते हैं कि आप एक अलग छवि पेश करना चाहते हैं, तो प्रयोग करते रहें और फेरबदल करते रहें, जब तक कि आपको एक ऐसा हुलिया न मिल जाए, जो आपके लिए कारगर हो।
  • यदि आपको सहायता की ज़रूरत हो, तो किसी पेशेवर की मदद लेने पर विचार करें, जैसे परामर्शदाता या व्यक्तिगत सलाहकार।
  • दूसरे आप पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं, इस बारे में जागरूक बनें। इस बात पर ग़ौर करें कि उस प्रतिक्रिया से आपको कैसा महसूस होता है।

संबंध बनाना

        दूसरे लोग आपकी सबसे बड़ी शक्ति हैं। उनके साथ संबंध बनाएँगे, तो वे आपको व्यवसाय, प्रेरणा, प्रमोशन और कोई दूसरा सहयोग प्रदान कर सकते हैं, जो आप चाहें। संबंध बनाने में असफल होंगे, तो यही लोग आपको आसानी से आपकी मनचाही सफलता से पीछे रोक सकते हैं।

1.संवाद के तार खोल दें

➤मेलजोल करना एक ऐसी योग्यता है, जो कुछ लोगों के लिए ज़्यादा स्वाभाविक होती है, लेकिन नए लोगों के साथ संबंध जोड़ने के लिए आवश्यक योग्यताएँ हर व्यक्ति सीख सकता है। लोगों के अभिवादन का अचूक और आज़माया हुआ तरीक़ा पाँच हिस्सों में बाँटा जा सकता है :
  • खुलें। अपने नज़रिये और अपने शरीर को खोलें। अपने हृदय का संकेत उस व्यक्ति की ओर करें, जिससे आप मिल रहे हैं ।
  • निगाह मिलाएँ। पहले निगाह मिलाएँ । सामने वाले की आँखों के रंग को मन में दर्ज करें।
  • मुस्कराएँ। पहले मुस्कराएँ। अपनी मुस्कान में अपने नज़रिये को झलकने दें और दिखाएँ कि आप आत्मविश्वासी, ईमानदार तथा उत्साही हैं।
  • बोलें। गर्मजोशी भरी और दोस्ताना आवाज़ में उस व्यक्ति का अभिवादन करें। अपना नाम पहले बताएँ। "मैं जोआना हूँ।" पहल करें। नाम याद रखने की आदत डालें।
  • अनुकरण करें। अपनी बॉडी लैंग्वेज और आवाज़ को सामने वाले जैसी बना लें।
परिचय कारोबार का एक अहम हिस्सा है। उन्हें शालीन तरीक़े से देना एक निखरे हुए पेशेवर की पहचान है।
  • जब भी संभव हो, किसी का अभिवादन करने के लिए खड़े हो जाएँ। यह आपके बीच अवरोध हटाने का बस एक और तरीका है।
  • हाथ मिलाने की प्रक्रिया को दृढ़, फटाफट और सम्मानजनक रखें।
  • एक दूसरे से परिचय कराकर लोगों को साथ जोड़ें। एक कुशल समन्वयक (Coordinator) की छवि बनाएँ। छोटे सितारे का परिचय बड़े सितारे से कराएँ।
  • परिचय कराए जाने का इंतज़ार न करें। किसी को अपना परिचय देने के लिए खोजें या ख़ुद का परिचय देने के अवसरों की ताक में रहें।
  • यदि उचित हो, तो अपने परिचयकर्ता (Introducer) को एक-दो चीज़ें बताएँ, जिनका ज़िक्र वह सामने वाले से कर सके ।
➤आप जिस व्यक्ति या जिन व्यक्तियों के साथ जुड़ रहे हैं, उनके साथ आप जितनी जल्दी समानता खोज लेते हैं, तालमेल उतनी ही जल्दी स्थापित हो सकता है। मुफ़्त जानकारी तकनीक का इस्तेमाल करें और कल्पना को चिंगारी देने वाले प्रश्न पूछे। दूसरों के बारे में जिज्ञासु बनें।

2.लोगों से बात करे 

सफलता से जुड़ने के ज़मीनी नियम हैं: उनसे बात करे और उनसे बात कराते रहें। एकाग्रचित्त (Concentrated) बने रहें, सक्रियता से अवलोकन करें, सक्रियता से सुनें, फ़ीडबैक और प्रोत्साहन दें और हमेशा बोलने से ज़्यादा सुनें।

प्रश्न: प्रश्न बातचीत के स्पार्क प्लग होते हैं। सही तरीक़े के प्रश्न पूछने से बातचीत की गेंद इधर से उधर होती रहती है।
  • खुले प्रश्न पूछें, जिनसे लोग खुलते हैं। उन्हें उनके हृदय और कल्पना की ओर भेजें। उनका जवाब छोटी सी "हाँ" या "ना" से नहीं दिया जा सकता। ऐसे प्रश्न प्रायः "कौन," "क्या," "कहाँ," "क्यों,' "कब," या "कैसे" से शुरू होते हैं।
  • बंद प्रश्नों से बचें, जो लोगों को बंद कर देते हैं। उनका जवाब अक्सर एक ही शब्द से दिया जा सकता है। जैसे: "क्या आप अच्छे हैं?" "क्या आपने यह किया था?" "क्या आपके पास यह है?"
  • कल्पना को सीधे आदेश दें : "आप... के बारे में क्या सोचते हैं?" "मुझे... के बारे में बताएँ।"
  • सक्रियता से सुनें, ताकि आप संकेत पकड़ सकें और उन्हें सवालों के रूप में दोहराएँ।
  • प्रश्न का उत्तर प्रश्न से देने की कोशिश करें- इससे तालमेल का अहसास बनने में मदद मिल सकती है।
➤जब बातचीत गति पकड़ लेती है, तो अब समय है कि विनम्र और पूछताछ की बातचीत से थोड़ी ज़्यादा व्यक्तिगत चर्चा की ओर आगे बढ़ा जाए।
  • अनौपचारिक वक्ता की भाषा इंद्रियों और कल्पना के प्रति आग्रह करती है, जबकि तथ्यों पर बात करने वाला केवल जानकारी माँगता है। बेहतरीन अनौपचारिक वक्ता की बातचीत अंतरंग और आरामदेह होती है, यहाँ तक कि गपशप भरी भी।
  • अनौपचारिक वक्ता संबंध बनाने का महत्त्व जानता है और किसी से संपर्क करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि कोई ऐसा व्यक्ति आपका परिचय कराए, जिसका वह सम्मान करता हो।
  • अपने लक्ष्यों पर केंद्रित बनें और पूरी बातचीत में ख़ुद को पटरी पर रखें। खुद को वांछित परिणाम की याद दिलाएँ और सकारात्मक बने रहें।
  • शारीरिक और शाब्दिक फ़ीडबैक देना अनिवार्य है। अपनी बॉडी लैंग्वेज से दिखाएँ कि आप सामने वाले को समझते हैं और उसमें रुचि रखते हैं।
  • आप जिसके भी साथ हों, उस व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित करें। आपके बीच निकटता का यह अहसास आपके साझेदार को महत्त्वपूर्ण होने का अहसास दिलाएगा।
  • जिज्ञासु बनें। सवाल पूछने, संलग्न बने रहने और अपने साथी के दिल की बात निकालने पर आप समझ जाएँगे कि उसे कौन सी चीज़ चलाती है।
  • यदि कोई व्यक्ति आपको अपना बिज़़नेस कार्ड देता है, तो उससे सम्मान के साथ पेश आएँ।
➤विज्ञापन नहीं, जानकारी दें। अपने बड़े विचार और अपने दस सेकंड के विज्ञापन के किसी पहलू को समुदाय के हित से सीधे जोड़ें।

➤ग्राहकों तक नियमित रूप से पहुँचने की कोशिश करें। अपनी पहुँच को उनकी रुचियों और आवश्यकताओं के अनुरूप बनाएँ। आप कोई रोचक क्लिपिंग या वेब लिंक भेज सकते हैं या उनका परिचय किसी संभावित ग्राहक से करा सकते हैं। या आप कुछ खाने-पीने का सामान पहुँचा सकते हैं।

3.सही नीति खोजें

अवस्थाओं की कड़ियाँ जोड़ना। पता लगाएँ कि कौन सी भावनात्मक अवस्थाओं की कड़ियाँ जोड़ना है, ताकि लोग इस वक़्त जहाँ हैं, वहाँ से उन्हें अपनी मनचाही जगह तक पहुँचाया जाए अपने खुद के नज़रिये, इंद्रिय-समृद्ध भाषा और बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल करके घर पर, ऑफ़िस में, कार्यस्थल पर या खेल में भावनात्मक अवस्था की कड़ियाँ जोड़ने का अभ्यास करें। अभ्यास करें, अभ्यास करें, अभ्यास करें!

नौकरी के इंटरव्यू। इंटरव्यू देने से पहले कंपनी पर शोध करें। आप जो जानकारी हासिल करते हैं, उसका इस्तेमाल करके दस सेकंड का एक विश्वसनीय विज्ञापन तैयार करें, जो आपको कंपनी के साथ जोड़ता हो - जो दिखाता हो कि आपका अनुभव, योग्यताएँ और शक्तियाँ आपको कैसे उस पद के लिए आदर्श बनाती हैं।

➤फ़ोन पर। फ़ोन पर आपके पास पढ़ने के लिए बॉडी लैंग्वेज नहीं होती। सामने वाले के शब्दों और आवाज़ के लहज़े के सिवा कोई संकेत नहीं होता, जो बताए कि वह क्या सोच रहा है या महसूस कर रहा है। इसलिए आपको इस बारे में सतर्क रहना चाहिए कि आपकी आवाज़ कैसी लगती है और आप ख़ुद को कैसे व्यक्त करते हैं। आपका लहज़ा और बोलने की गति भी आपके शब्दों के चयन जितनी ही महत्त्वपूर्ण होती है।

सामाजिक मेलजोल। कारोबारी लंच या अन्य सामाजिक अवसर जुड़ने, पड़ताल करने और व्यक्त करने के अवसर हैं। सबसे प्रभावी तरीक़े से मेलजोल करने के लिए यह याद रखें कि आप क्या चाहते हैं, उपयोगी नज़रिया और खुली बॉडी लैंग्वेज रखें, किसी से अपना परिचय दिलाएँ, संबंध जोड़ने पर केंद्रित रहें और अगर ज़रूरत हो, तो किसी समूह में शामिल हो जाएँ।

4.महान वक्ताओं के रहस्य

➤नीतिकथा, दंतकथा और क़िस्से कुछ सबसे पुराने और सबसे शक्तिशाली संप्रेषण (Communication) औज़ार हैं। वे लगभग हर जगह प्रभावी होते हैं। कहानियाँ कल्पना को सुलगा देती हैं और इंद्रियों को आकर्षित करती हैं । अच्छी कहानी सुनना हर एक को पसंद होता है। कहानी मानव मन के तार्किक पहलू से इंद्रियगत संसार तक का पुल बनाती है; यह हमारी आंतरिक कल्पना को बाहरी वास्तविकता से जोड़ने का तरीक़ा है। इसका इस्तेमाल अपने रोज़मर्रा के संवाद और भाषणों में करें। कल्पना को जकड़ लें और किसी व्यक्ति या समूह को चार क़दमों में कर्म के लिए प्रेरित करें : ध्यान, रुचि, इच्छा और कर्म। इसे करने के लिए आप तीन स्पष्ट तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं : सींख कबाब, आई-कोला, और पायदान।

  • सीख कबाब में एक हुक होता है, जिससे आप अपने श्रोताओं का ध्यान जकड़ते हैं; एक पॉइंट होता है, जो आपका मुख्य संदेश है; स्टीक, आपका कठोर डाटा; और सिज़ल, भावनात्मक संलग्नता बनाने के लिए कोई मज़ेदार चीज़। इसका इस्तेमाल तेज़, शक्तिशाली, यादगार प्रस्तुतियाँ बनाने के लिए किया जाता है।
  • आई-कोला ("एक तरह से... जैसा है") सजीव, आसानी से समझने योग्य उपमाओं और तुलनाओं का इस्तेमाल करके जटिल विचारों को सरल, रोचक और यादगार बना देता है।
  • पायदान कहानी सुनाने का एक ठोस तंत्र प्रदान करता है, जो श्रोताओं को बाँधता है। इसमें दृश्य और चुनौती बताना, समस्या सुलझाने की कोशिशों का वर्णन, फिर अंत में समाधान प्रकट करना शामिल है।
➤आप कहानी सुनाने की योग्यताओं का इस्तेमाल बहुत सारे तरीक़ों से कर सकते हैं, जिनमें ये शामिल हैं :
  • कर्मचारियों, ग्राहकों, सहकर्मियों, शेयरहोल्डरों, मित्रों और परिवार वालों के सामने विचार प्रचारित करना
  • व्यवहार, आदतों और नज़रियों में परिवर्तन लाना
  • व्यक्तियों, समूहों एवं जनसंख्या का नेतृत्व करना और प्रोत्साहित करना
  • अवरोध तोड़ना और कायाकल्प की चिंगारी भरना
  • ख़ुद को लोगों के दिमाग़ में सबसे ऊपर रखना
  • अपने आदर्श बताना
  • भावनात्मक जुड़ाव बनाना और व्यक्तिगत स्तर पर संप्रेषण करना
  • अपने प्रॉडक्ट्स और सेवाओं को सजीव बनाना
  • जटिल विचारों को सरल बनाना
  • तथ्यों व आँकड़ों की प्रस्तुतियों को मसालेदार बनाना
सबसे अहम बात, याद रखें : कोई पॉइंट नहीं, तो कोई प्रस्तुति नहीं।

5.शो चलता रहेगा

जब आप कोई प्रस्तुति देते हैं, तो आपकी सीखी अब तक की हर चीज़ काम आती है।

विश्वसनीयता और रौब स्थापित करें। सचमुच उपयोगी नज़रिये, आँख के संपर्क, मुस्कान, व्यक्तिगत पोशाक और रोचक आवाज़ के लहज़े से ऐसा करें।

पहले नब्बे सेकंड या इससे कम समय में अपने पॉइंट या मुद्दे को बता दें। श्रोताओं के दिमाग़ में तीन प्रश्न घुमड़ रहे होते हैं : "तो क्या?" "किसे परवाह है?" "इसमें मेरे लिए क्या है?" श्रोताओं को जब यह पता नहीं होता कि वे वहाँ क्या कर रहे हैं, तो इससे उन्हें जितनी चिढ़ होती है, उतनी किसी दूसरी बात से नहीं होती। आपके पॉइंट में एक कारण और परिणाम शामिल होना चाहिए, जिससे वे जुड़ाव महसूस कर सकें ।

अपने विषय की परवाह करें। कभी भी मंच पर अभिनेता बनने की कोशिश न करें। खुद को एक बड़े विचार - किसी सार्थक चीज़ से बाँध लें और श्रोताओं के साथ आपका जुड़ाव हृदय से आएगा।

अपनी साँस को नियंत्रित करें। भरपेट साँस जैसी तकनीक अपनाएँ (अंदर सॉँस लें, चार तक गिनें; चार तक रोकें; चार तक बाहर निकालें; चार तक रोकें - दस बार दोहराएँ), ताकि आप तनावरहित हो सकें और जनता के सामने बोलने के डर से उबर सकें।

थोड़ा व्यक्तित्व दिखाएँ। अपनी प्रस्तुति में अपने व्यक्तित्व को चमकने दें। इससे आप अपने श्रोताओं के साथ ज़्यादा अच्छी तरह संबंध जोड़ सकते हैं और संवाद कर सकते हैं।

आई-कोला, सींख कबाब और कहानी बताने की तकनीकों का इस्तेमाल करें। वे आपके श्रोताओं को उनकी इंद्रियों की ओर ले जाती हैं - चित्रों, ध्वनियों, भावनाओं, गंधों और स्वादों की ओर, कल्पना के क्षेत्र की ओर । उनका इस्तेमाल करें। उनसे प्रस्तुति ज़्यादा समृद्ध बनती है।

☝ यह Summary है "लोगों को 90 सेकेंड में प्रभावित करें" Book की, जिसके Author है Nicholas Boothman. यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस Book को यहां से खरीद सकते है 👇

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