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जीत या हार रहो तैयार | Jeet Ya Haar Raho Taiyar By Dr. Ujjwal Patni Book Summary In Hindi

Jeet Ya Haar Raho Taiyar By Dr. Ujjwal Patni Book Summary In Hindi

जीत या हार रहो तैयार | Jeet Ya Haar Raho Taiyar By Dr. Ujjwal Patni Book Summary In Hindi
जीत या हार रहो तैयार | Jeet Ya Haar Raho Taiyar By Dr. Ujjwal Patni Book Summary In Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। इस पोस्ट में "जीत या हार रहो तैयार" By Dr. Ujjwal Patni book की Summary दी जा रही है। इस पोस्ट को सोच समझकर पढ़ियेगा क्योंकि इसमें मीठी, किताबी और पुचकारने वाली बातें नहीं है। हो सकता है कि यह book आपको झंझोड़े, चोट पहुंचाये, शर्मिन्दा करे, उद्वेलित करें, प्रेरित करे या कड़वे सच सामने ले आये। लेकिन, एक बात तय है, आपके मस्तिष्क में विचारों का विस्फोट जरूर होगा और आप फिर से जूझने के लिए तैयार होंगे, बिना जीत-हार की परवाह किये। तो पढ़ते रहिये...... 

प्रेरक और पुस्तक दोनों का कोई मोल नहीं

        बुद्धिमान लोग कहते है कि Publisher books बेचकर कमाता है, Author रॉयल्टी से कमाता है और ज्ञान की दुकान चलती रहती है। कोई भी प्रेरक किसी की जिंदगी नहीं बदल सकता । कोई भी book किसी की उलझन नहीं सुलझा सकती। कोई भी कहानी किसी को राह नहीं दिखा सकती। कोई भी सलाह किसी की गलत आदत नहीं सुधार सकती और कोई भी सिर्फ book पढ़कर आज तक करोड़पति नहीं हुआ क्योंकि सबसे महत्त्वपूर्ण उस book को पढ़ने वाला व्यक्ति है। यदि पाठक बदलना नहीं चाहता, अपनी कमजोरियों और असफलता के साथ जीना चाहता है, तो प्रेरक और पुस्तक, दोनों का कोई मोल नहीं ।

        अक्सर books में लिखे बेहतरीन inspirational ideas भी लोगों को उत्तेजित नहीं कर पाते, झंझोड़ नहीं पाते, क्योंकि लोग उन ideas को दिमाग में प्रवेश ही नहीं करने देते है। यदि आप सीखने की प्रक्रिया आरंभ करना चाहते है, तो 'सब कुछ जानते है', को हटाना पड़ेगा क्योंकि जानना महत्वपूर्ण नहीं है, मानना महत्वपूर्ण है।
  • गुस्सा संबंधों को नष्ट कर देता है, सब जानते है लेकिन...
  • दो नंबर का कार्य करने पर फंस सकते है, सब जानते हैं लेकिन...
        इसी तरह की हजारों बातें है, जिन्हें हम जानते हैं, लेकिन उनके प्रति गंभीर नहीं होते, उन्हें अमल में नहीं लाते और अंत में उनकी कीमत चुकाते है। जो जानता नहीं इसलिए पालन नहीं कर पाता, वह अज्ञानी है, लेकिन जो जानते है फिर भी पालन नहीं करते, वे मूर्ख है। आप अपनी श्रेणी स्वयं चुनिए ,अज्ञानी, मूर्ख या बुद्धिमान। 

असफल होने का अर्थ जीवन का अंत नहीं

  • किसी भी व्यक्ति को असफल बनाने के लिए कौन जिम्मेदार होता है, दूसरे लोग या वह स्वयं ?
  • कोई अवसर का लाभ नहीं उठा पाया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है, दूसरों की या स्वयं की ?
  • कोई योग्यता होते हुये भी Normal Life जी रहा हो तो कौन इसका जिम्मेदार है, दूसरे या वह स्वयं ?
  • कोई आधे मन से कार्य करता है और अंत में निराशा हाथ लगती है तो इसका जिम्मेदार कौन है, दूसरे या वह स्वयं ?
  • कोई हाथ पर हाथ रखकर भाग्य के भरोसे बैठा है और अपने जीवन का सर्वनाश कर रहा है तो इसका जिम्मेदार कौन है, दूसरे या वह स्वयं ?
        किसी भी इंसान को दूसरे उतना धोखा नहीं देते, जितना वह खुद को देता है। कुछ असफलताओं के बाद व्यक्ति के मन में हीन भावना आ जाती है और वह कायर हो जाता है। वह इस बात पर चिंतन नहीं कर पाता कि जीत और हार तो जीवन का हिस्सा है। वह उन कारणों को भी नहीं ढूँढ़ पाता, जिनकी वजह से उसके प्रयास असफल हुए। वह स्वयं को भाग्यहीन व्यक्ति मान लेता है। उसे लगता है कि संसार में उसका कोई मूल्य नहीं है। वह यह मान लेता है कि दूसरे उससे बेहतर है और वह आम रहने के लिए पैदा हुआ है। चाहे आपके साथ जो भी घटा हो, कितना भी बुरा जीवन क्यों न जिया हो, आपके जीवन का अभी अंत नहीं हुआ है। आपका मूल्य खत्म नहीं हुआ है। किसी को भी हक नहीं है कि किसी बेकार चीज़ की तरह आपको कबाड़ में डाल दें।

वरदान कहें या अभिशाप

        इंसान सोचता क्या है और होता क्या है। जिन पर भरोसा करता है वे धोखा देते हैं और जिनसे कोई उम्मीद नहीं होती, वो मुश्किलों में साथ निभाते हैं। जिन घटनाओं को दुर्भाग्य समझते हैं, वो अचानक ही सौभाग्य में बदल जाती है और सौभाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है। ऐसे उदाहरण हम सब के जीवन में कई बार आते हैं, उन घटनाओं को वरदान कहें या अभिशाप। For Example :

        World के greatest speaker डेल कारनेगी फुटबॉल के खिलाड़ी बनना चाहते थे। उनकी कम ऊँचाई की वजह से उन्हें अच्छे मौके नहीं मिले और उन्होंने फुटबॉल के बारे में सोचना छोड़ दिया। वे हमेशा भगवान के सामने अपनी ऊँचाई को लेकर शिकायत करते थे। वे ऊँचाई को अभिशाप मानते थे क्योंकि उन्हें फुटबाल खेलना छोड़ना पड़ा, लेकिन बाद में उनकी reputation world के most popular speaker और Author के रूप में फैली। फुटबॉल न खेल पाने को वरदान माने या अभिशाप। 

साथ छोड़िए, साथ चुनिए

        आप कैसे लोगों के साथ है, यह जीवन की ऊँचाई निर्धारित करने में बेहद महत्त्व रखता है। इंसान अपने माता-पिता, भाई-बहन आदि को नहीं चुन सकता लेकिन life में कैसे friends के साथ रहना है, इसका चुनाव इंसान के हाथ में रहता है। इन साथियों का पूरी तरह साथ छोड़ दीजिए :
  • जो दूसरों से धोखा करते है और आपसे वफादारी के वादे करते है।
  • जो दूसरों के बारे में गलत अफवाहें फैलाते है और पीठ पीछे गलत बातें बोलते है।
  • जो समाज विरोधी या असामाजिक कार्यों में लिप्त है, जिन पर जब कानून की मार पड़ेगी तो वे कहीं के नहीं रहेंगे।
  • जो अपने माता-पिता का तिरस्कार और अनादर करते है।
  • जो जिंदगी के बारे में हमेशा निराशावादी बात करते है,पूरी तरह Negative है और हर कार्य के पहले डर पैदा करते हैं।
  • जो अपने गलत कार्यों में आपको भी भागीदार बनाना चाहते है।
  • जो आपकी गलत बातों का कभी विरोध नहीं करते।
  • जिनके लिए पैसा ही सब कुछ है, humanity और relation कोई मायने नहीं रखते।
        जो साथ छोड़ने के योग्य है परन्तु उनके साथ रहना आपकी मजबूरी है, उनके साथ काम से काम रखिए। जो सफल और सकारात्मक लोग है, उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाइए और उनका साथ चुनिए, भले ही इसके लिए थोड़ा झुकना पड़े।

तनाव है तो जिंदगी है

        तनाव कोई बुरी चीज नहीं है। जो भी जी रहे हैं, विभिन्न परिस्थितियों से जुझ रहे है, उन्हें तनाव स्वाभाविक है। Author का मानना यह है कि तनाव रहित जीवन ढूँढ़ने की बजाए, हमें यह सोचना होगा कि - तनाव को कैसे कम करें? तनाव के कारणों को कैसे दूर करें?

        सबसे पहले तो यह स्वीकार कीजिए कि जिदंगी में हमेशा आपके मनमुताबिक घटनाएँ नहीं घटेगी। ऐसी घटनाएं आपके साथ भी होगी जो कभी आपको खुशी देगी और कभी गम। जब खुशी वाली कोई बात हो तो दिल खोलकर खुश हो जाइए और जब बेहद दुखी हो तो दो बूंद आँसू भी निकल जाए, क्या फर्क पड़ता है। भावनाओं को ज्यादा  control करने की कोसिस मत कीजिए, यह कोसिस आपको तनाव से भर देगा।

किसी भी तनावपूर्ण परिस्थिति में Author यह सोचते है :-
  1. इस परिस्थिती में क्या-क्या ऐसे कार्य है जो मेंरे Control में है, उन कार्यों की तुरंत जवाबदारी लेते हुए उन्हें Control में लेता हूँ।
  2. जो कार्य मेरे Control में नहीं, उन्हें महत्वहीन मान लेते हूँ, उनमें अपनी शक्ति व्यर्थ नहीं करता।

स्वयं की मार्केटिंग कीजिए

  • लोग आपको आदर नहीं देंगे जब तक आप स्वयं को आदर नहीं देंगे
  • लोग आपकी कीमत नहीं समझेगे, जब तक आप अपनी कीमत नहीं समझेगे
  • लोग आपकी प्रतिभा नहीं पहचानेगे जब तक आप अपनी प्रतिभा नहीं पहचानेगें
        यदि आप एक सफल singer बनना चाहते है तो आपको अपना शानदार बायोडाटा, प्रशंसा पत्र, specific photograph और अपने songs का ऑडियो सीडी या कैसेट अलग-अलग music companies और directors को भेजना पड़ेगा, स्वयं की मार्केटिंग करनी होगी। अपनी qualities को best रूप से present करना होगा। यदि आप सोच रहें हैं कि बिना मार्केटिंग किये घर बैठे एक दिन आपके Talent को पहचान लिया जायेगा, तो आप गलत सोच रहे हैं।

क्या आपका भी जुमला है टाइम नहीं है

        दोस्तों ! सिर्फ प्रतिभा, योग्यता या क्षमता होना सफलता की गारंटी नहीं है। Achievements काम करने से हासिल होती है, यदि आप पूरी लगन से अपनी क्षमता को काम करने में नहीं लगाएंगे तो ढेर सारे गुण होते हुये आप आम ही रह जाएंगे। कुछ लोग  "टाइम नहीं है, बिजी था, सांस लेने की फुरसत नहीं है," आदि लाइनो से अपनी विफलता को ढंककर रखते है। जो लोग ये लाइनें इस्तेमाल करते है, अक्सर वो BWW (busy without work) यानि बिना कार्य के व्यस्त लोग होते है।
  1. जो काम करना जरूरी हो, उन्हें तुरन्त करें और जिन्हें नहीं करना हो, उनके लिये ना कहना सीखें। ना' सुनकर एक बार दूसरों को बुरा लग सकता है। लेकिन दूसरी बार वे आपका time waste करने का दुस्साहस नहीं करेंगे।
  2. पॉकेट/मोबाइल/डिजिटल डायरी रखें। हर रात सोने से पहले अगले दिन के program को अपनी डायरी में लिख लें। इससे आपको टालमटोल या बहानेबाजी नहीं करनी पड़ेगी। 
  3. यदि आप किसी important काम में Busy नहीं है और कोई काम याद आए तो तुरन्त करें। उसे बाद के लिए ना टालें।

ताकत के साथ दिशा भी जरूरी है

        आपको काम करना है, आपने यह ठान लिया है। आपमें शक्ति है, आपमें योग्यता है, आप अवश्य कर सकते है लेकिन फिर भी आप क्यों हार जाते हैं। कई बार हम गंभीरता से सोचे बिना काम शुरू कर देते है, और फिर मेहनत व समय खराब करके उस काम को आधे में ही छोड़ देते है। किसी भी योजना या काम को हाथ में लेने के पहले यह सोच लीजिए, क्या वह आपके लक्ष्य का हिस्सा है। क्या आप वाकई पूरी गंभीरता से उस दिशा में जाना चाहते है, और यदि एक बार दिशा के बारे में आश्वस्त हो गए तो फिर जितनी ताकत लगाएंगे, उतनी तेज पहुंचेंगे।

जिन्दगी की प्राथमिकताएं तय कीजिए

        दुनिया में हर व्यक्ति के life के अलग-अलग goal होते है, सबकी सोच में फर्क होता है और सोच के अनुसार ही इंसान अपनी प्राथमिकताएं तय करता है। दोस्तों ! कहने को सारी किताबें और ज्ञानी लोग कहते है कि Family और कार्यक्षेत्र (workspace) में संतुलन होना चाहिये लेकिन हकीकत में ऐसा हो नहीं पाता। हमेशा कोई न कोई पहलू असंतुष्ट रह जाता है। आपको Family, workspace, Health, Society आदि में सही सामजस्य स्थापित करना हो तो, फिर आपको सही प्राथमिकताएं निर्धारित करनी होगी।

अतीत से मुक्ति जरूरी है

        दो व्यक्ति रात को नदी के तट पर पहुँचे। उन्हें नदी के उस पार जाना था। दोनों नशे में थे। अचानक उन्हें एक नाव दिखाई दी। उन्होंने सोचा खुद ही नाव चलाकर नदी पार कर लेते हैं। नाव पर बैठकर दोनों सारी रात चप्पू चलाते रहे। सुबह रोशनी हुई तो उन्होने देखा कि नाव तो अभी भी उसी किनारे पर है। गौर से देखा तो उन्हें पता चला कि नाव तो किनारे पर बंधी थी और वो बंधी नाव में सारी रात चप्पू चलाते रहे और एक मीटर का भी सफर तय नहीं हुआ। 

        दोस्तों! ठीक इसी तरह, एक ओर तो हम अतीत की विफलताओं, परेशानियों के बारे में सोचते रहते है वहीं दूसरी ओर भविष्य में सफलता पाने की कामना करते है। जब तक आप अपना अतीत नहीं छोड़ेंगे, पूरी ऊर्जा से नये जीवन की शुरुआत नहीं करेंगे तब तक आपको सही रास्ता नहीं मिलेगा। 

ऊपर वाला कर्मवीरों को चाहता है

        जब भी हम मुश्किल में होते है, अचानक ही हमें ईश्वर याद आ जाता है। डाक्टर भी Patient को बचाने के सारे प्रयास करने के बाद कहता है, सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में हैं। यकीन कीजिए, वो ऊपर वाला बहुत शक्तिशाली है और वो अपने बन्दों को खुश देखना चाहता है। वो उन्हें उनके काम का उचित परिणाम देना चाहता है। उसके दरबार में देर तो हो सकती है परन्तु अंधेर नहीं है। बस वो इंतजार करता है कि आप पूरी तन्मयता से काम करें।

जैसा नजरिया, वैसा संसार

        दुनिया को देखने का हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है। गुलाब के पौधे में किसी को फूल नजर आता है तो किसी को काँटे। जो व्यक्ति जैसा सोचता है उसे दुनिया वैसी ही नजर आती है। कुछ लोगों को problem दिखती है तो कुछ लोगों को हर ओर opportunities। कुछ लोग Birthday पर दुखी होते है कि उम्र कम हो गई तो कुछ
खुश होते है कि एक शानदार साल बीता और एक शानदार साल सामने है। अपनी सोच के अनुसार चीजें नजर आती है और वैसी ही घटती है।

थोड़ा सा एक्सट्रा

        Daily सुबह से शाम तक उन्हीं कामो को उन्हीं तरीकों से करके आपको जिंदगी में कुछ extra हासिल होना मुश्किल है यदि आपको जिंदगी में कुछ extra (अतिरिक्त) चाहिए तो आपको जिंदगी को कुछ extra देना होगा।
Life एक competition की तरह है, यहाँ सबसे सक्षम (Capable) player ही जीत सकता है, इसलिए आज से हर काम में extra interest दिखाना शुरु कीजिए।

सकारात्मक लोग नकारात्मक लोग

        प्रसिद्ध विचारक शेक्सपियर ने कहा भी है कि कोई वस्तु अच्छी या बुरी नहीं होती, परन्तु हम उसके बारे में जैसा सोचते है वह वैसी हो जाती है। नकारात्मक सोच वाले लोग अक्सर उन बातों पर रोकर और निन्दा करके time waste करते है जिन्हें बदल नहीं सकते, इस वजह से वे वह काम भी नहीं कर पाते, जिन्हें वे कर सकते है। सकारात्मक सोच वाले उन कामो में पूरा समय लगाते है, जिन्हें वे कर सकते है और उन पर दिमाग ही नहीं लगाते, जिन पर Control possible नहीं।

आपके आसपास कैसे लोग है। सकारात्मक या नकारात्मक

        नकारात्मक लोगों का साथ एक जघन्य अपराध है। क्या आपने कभी सोचा है कि हार, असफलता, मुश्किल और बाधा जैसे शब्द और विचार हमारे दिमाग में आते कहाँ से हैं। हमारे अपने परिवार और आसपास में ऐसे लोग होते है जो जाने अनजाने अपने आचरण और शब्दों से यह भय हमारे भीतर भर देते है। वे अक्सर हमारी क्षमताओं को कम करके आंकते है।

        Author अपने व्यक्तिगत जीवन में नकारात्मक व्यक्तियों से Advice नहीं लेते, उनके पास नहीं जाते, उनके साथ समय नहीं बिताते। जिस प्रकार रंग की एक बूँद सैकड़ों लीटर पानी को रंगीन कर देती है, उसी प्रकार एक नकारात्मक व्यक्ति बड़े-बड़े कामो का नाश कर देता है। 

मेरी श्रद्धांजलि कैसी होगी

        जिस दिन मैं मरूँगा, लोग मुझे किस तरह याद करेंगे? मेरी श्रद्धांजली में लोग क्या कहेंगे? बहुत कठिन है यह सोचना, उससे भी कठिन है उसे स्पष्ट रूप से लिखना। हर कोई चाहता है कि लोग हमें दुनिया से जाने के बाद भी याद करते रहे, कमी महसूस करें। लेकिन क्या हम उस दिशा में काम कर रहे हैं, जैसा हम याद किया जाना चाहते
है। क्या हम वे काम कर रहे है जिनकी दूसरे लोग दिल की गहराइयों से श्रद्धांजली देते हुए सराहना कर पाएंगे। सोचिए, आपको कैसी श्रद्धांजली मिलने वाली है?

गर्व जरूरी है अंहकार और दिखावा नहीं

        दोस्तों ! यदि आप में गुण है तो अंहकारपूर्ण दिखावा करने की कोई जरूरत नहीं। रणनीति (strategy) बनाकर आप काम करते जाइए, Planning के साथ मार्केटिंग कीजिए, गुण स्वयं ही सबको नजर आएंगे।आप सबको एक बार मूर्ख बना सकते है परन्तु हर किसी को बार-बार मूर्ख नहीं बना सकते। अक्सर झूठा दिखावा करने वाले, अंहकार दिखाने वाले और डींगे हांकने वाले लोग सोसायटी में निन्दा का पात्र बनते है।

यह सफलता क्या बला है 

        सफलता की हर व्यक्ति की अलग-अलग परिभाषा है, सबके लिए इसके मायने अलग है, कोई थोड़े में खुश है, कोई ज्यादा में खुश हैं। लेकिन एक बात तय है, सफलता का हौव्वा हो गया है और हम असफलता से डरने लगे है । जबकि इतिहास कहता है कि असफलता रास्ता है और सफलता लक्ष्य है, असफलता पड़ाव है और सफलता मंजिल है। क्या रास्ते के बिना मंजिल, और पड़ाव के बिना लक्ष्य प्राप्ति संभव है, शायद नहीं।

आखिर क्या है सफलता का फार्मूला ?
  • कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है, या
  • सफलता के लिए सकारात्मक सोच चाहिए, या
  • बिना भाग्य के कोई सफल नहीं हो सकता, या
  • सफलता मार्केटिंग के दम पर मिलती है।
Author इन सभी बातों से सहमत है इसलिए एक फार्मूला लाये जिससे आप पुन: शुरुआत कर सके और बहानों से बच सकें।

सफलता में योगदान
35 % - कड़ी मेहनत।
35% - बुद्धिमत्ता, नजरिया, दिशा। 
15% - भाग्य। 
15% - मार्केटिंग, व्यक्तित्व, अन्य।
सफलता 70% या उससे ज्यादा अंक होने पर मिलती है।

लक्ष्य बिना सब दूर अंधेरा

        आपका लक्ष्य एकदम Specific होना चाहिए जो पहचाना जा सके। उसकी कोई मात्रा हो, जो पाने योग्य हो, इंसान की सीमाओं में हो, जो सच्चाई के करीब हो और जिसको पाने की आपने समय सीमा तय कर रखी हो। 

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उत्साह नहीं, तो मुर्दा हो

        यदि आप अपने काम के प्रति उत्साहित रहे, दूसरों की भीड़ से अलग नजर आए तो आपकी तरक्की को कोई नहीं रोक सकता। यदि आप जीवन में जीत चाहते है तो जिस काम को करते है, उससे प्यार करना शुरू कर दीजिए।  यदि आप उस काम से प्यार नहीं करते तो उस काम को करना छोड़ दीजिए। अरुचि से निरुत्साहित होकर किए गए कार्य सदैव अधूरे रह जाते है।
  • जो भी कार्य करो, उसे पूरे जुनून और पागलपन के साथ करो।
  • मुस्कुराते रहो, जिंदगी की बाधाएँ स्वत: हट जाएंगी।
  • जो परिस्थितियां आपके नियंत्रण में नहीं है, उन पर रोना छोड़ दो।
  • निरुत्साहित और सुस्त आदमी की संगत कोई पसंद नहीं करता ।

अस्वीकार किए जाने का भय

        Author हमेशा सोचते थे कि कामो की जिम्मेदारी लेने हेतु सक्षम लोग आगे क्यों नहीं आते, गुणी व प्रतिभावान लोग अपनी प्रतिभा दिखाने की बजाय क्यूँ चुपचाप भीड़ का हिस्सा बन कर खड़े होते हैं। आज यकीन से कहा जा सकता है कि इन सारे लोगों को दूसरों द्वारा अस्वीकार किए जाने का डर है और शायद यही आज संसार का सबसे बड़ा डर है।

बहानों की अर्थी या सफलता का जनाजा 

        व्यक्तित्व की सबसे बड़ी बीमारी है - बहानाइटिस या एक्सक्यूसाइटिस। इसी बीमारी के कारण बहुत से काबिल लोग अपनी योग्यताओं के साथ अन्याय कर रहे हैं। Author के अनुसार जब भी कोई इंसान बहाना बनाता है। तो उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए क्योंकि वो किसी और को नहीं खुद को धोखा दे रहा है।

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गुणी लेखकों, मुझे क्षमा करना

        कुछ दिन पहले Author ने कुछ books पढ़ी, Author उन लेखकों की Knowledge पर संदेह नहीं कर रहे है परन्तु उन books के बारे में अपनी राय देना चाहते है। Books के Title कुछ ऐसे थे - सफलता 30 दिनों में (यहाँ लोगों की आधी जिंदगी निकल गई और आज तक वे जूते घिस रहे हैं, क्या ऐसे लोग 30 दिन में सफल हो जाऐंगे?), 7 दिनों में करोड़पति बनिए (यदि वह लेखक 7 दिन में करोड़पति बनना जानता है तो book लिखकर time waste क्यों कर रहा है?), जीतिए हर बार, कैसे हर बार सफलता पाएं (हर बार क्या जीतना वाकई संभव है, यदि संभव है तो फिर इंसान हारता क्यूँ है? क्या संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति होगा जो कभी नहीं हारा।), एक हफ्ते में अपने आपको बदलिए (लोगों की पूरी उम्र निकल जाती है अपनी एक आदत बदलने में और फिर भी पूरी तरह नहीं जाती। ऐसे में क्या यह संभव है कि इंसान एक हफ्ते में खुद को बदल डाले।), सफल होने के सरल नुस्खें (क्या सफलता सरलता से हासिल हो सकती है, यदि वो इतनी सरल है तो हर कोई सफल क्यों नहीं हो जाता )।
  • किताबें चुनकर पढ़िए, वे आपको सही रास्ते पर भी ले जा सकती है और गलत पर भी।
  • यदि आपको पढ़ने की आदत नहीं है तो आप ठहरे हुए पानी की तरह है जो कुछ समय बाद दुर्गन्ध मारने लगता है।
  • यदि आप नहीं बदलना चाहते तो दुनिया का कोई प्रेरक या किताब कुछ नहीं कर सकती।
  • मीठी पुचकारने वाली पुस्तकों के साथ सच कहकर शर्मिन्दा करने वाली पुस्तकें भी पढ़ें।

जो चाहिए वो बाँटो

        जिंदगी बूमरैंग की तरह होती है, आपका किया हुआ व्यवहार घूम कर आपके पास आता है, आपके कहे हुए शब्द घूमकर आपके पास आते है, आप जो भी दुनिया को देते है वह आपके पास कई गुना होकर लौट आता है इसलिए- "जैसा व्यवहार अपने साथ चाहते है, वैसा ही व्यवहार दूसरों को दीजिए"

क्या आप स्वयं पर विश्वास करते है

        यदि आप जाने-अनजाने लगातार अपने मस्तिष्क को विश्वास और जीत का संदेश भेजते है तो मस्तिष्क उन्हें स्वीकार करता है, और वैसे ही काम करता है। यदि आप अविश्वास और हार का संदेश भेजते है तो मस्तिष्क उन्हें भी स्वीकार करता हैं और वैसे ही काम करता है।

क्या आप भी अवसर का रोना रोते है?

        जिनमें पाने की लगन है, और जो जीतना चाहते है, ऐसे बुद्धिमान और कर्मठ व्यक्ति अपने लिए खुद ही अवसर का निर्माण कर लेते है। ऐैसे ढेरों नायकों की गाथाएँ हमारे सामने है। जो लोग इस दुनिया में आगे निकलते है, वे ऐसे लोग है जो अपनी मनचाही परिस्थितियों की तलाश करते है, और अगर उन्हें वैसी परिस्थिति नही मिलती है, तो वे वैसी परिस्थितियों का निर्माण कर लेते है।
  • सदैव तैयार रहिए, जाने कब,कहाँ से, कैसा अवसर आ जाए।
  • टालमटोल की घातक आदत से बचिए।
  • कोई अवसर छोटा या बड़ा नहीं होता।
  • बुद्धिमान लोगों की तरह अवसरों का निर्माण करना सीखिये ।
  • यदि कोई अवसर हाथ से निकल जाए तो पछताने में व्यर्थ समय नष्ट न करो, फिर से नए अवसर के लिए तैयार हो जाइये ।

मेरा सबसे प्यारा गुरुमंत्र लोड मत लो - LML

        यदि आप life में नाराज होने, दूसरों से दुश्मनी पालने या उदास होने के कारणों का विश्लेषण करेंगे तो ज्यादातर  आप पाएंगे कि वह आपकी अपेक्षाओं (expectations) की वजह से होता है। ऐसे कारणों की वजह से होता है जिनका महत्त्व नहीं होता।

        दोस्तों ! जीवन भर यदि आप छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होते रहेंगे तो आप हमेशा stress में रहेंगे। ऐसे लोगों को तुनक मिजाज कहा जाता है। ऐसे लोग हर परिवार में होते है। एक ऐसी घटना जिस पर कोई प्रतिक्रिया न भी व्यक्त की जाती तो काम चल जाता, एक ऐसी बहस जिसमें आप दूसरे को नीचा नहीं भी दिखाते तो भी चलता, लेकिन फिर भी हम खुद पर control नहीं रख पाते और उबलते रहते है। ऐसी स्थिति में हमेशा Author इस सिद्धान्त का पालन करते है कि जो बीत गया सो बीत गया अब "लोड मत लो!"

परिवार प्रथम है

        दोस्तों! अच्छा जीवन जीने के लिए धन जरूरी है, क्षमताओं को सिद्ध करने के लिए उपलब्धियाँ जरूरी है लेकिन जीवन को सम्पूर्ण और संतुष्टिपूर्ण बनाने के लिए एक परिवार जरूरी है। एक परिवार जो आपको उदास देखकर दुखी होता है और आपकी ऊँचाई देखकर खुश होता है। एक परिवार जो किसी भी स्थिति में आपसे कोई लालच नहीं रखता, एक परिवार जो आपसे बेहद प्रेम करता है और जिनकी दुनिया ही आप से है। इसलिए समाज प्रथम या मित्र प्रथम की जगह परिवार प्रथम में विश्वास कीजिए।

परिणाम चाहिये फोकस कीजिए

        working capacity को बढ़ाने और goals को प्रभावी ढंग से पाने के लिए Author कछ ठोस formula बता रहे है जिन्हें वे अपने जीवन में अपनाते - काम का क्रम (sequence) निर्धारित कीजिए इसे सरल तरीके से करने के लिए एक छोटा सा प्रयोग कीजिए। आज के या इस हफ्ते के कामो को 4 हिस्सों में divide कर लीजिए -
  1. अत्यंत जरूरी
  2. जरूरी
  3. सामान्य
  4. गैर जरूरी
अपने कामो की सूची को इन categories में लिख डालिए और इसी क्रम से इन कामो को कीजिए ।

आपका यू.एस.पी. क्या है?

        यह यू.एस.पी. शब्द मार्केटिंग तथा कई दूसरे areas में खासा popular है। USP का मतलब है, Unique Selling Proposition। वह खास बात या गुण जो आपकी मुख्य पहचान है, मुख्य ताकत है तथा उसकी वजह से ही आपका मूल्य है। यूएसपी शब्द sales में ज्यादा use होता है, लेकिन आइए, इसे आज हम आपके लिए उपयोग में लाते हैं। मान लीजिये, आपका बाजार में मोल लग रहा है और आपको अपनी सबसे बड़ी तीन खासियत बतानी है जिनकी वजह से आपकी कीमत ज्यादा लगे। आप कुछ भी बता सकते हैं। For Example : 
  • आप बातचीत में निपुण हैं।
  • आप विपरीत परिस्थितियों में भी काम निकाल लेते हैं।
  • आप सीखने के लिए हर समय तैयार रहते हैं।
  • आपके संपर्क तगड़े हैं।
  • आप आर्थिक रुप से दमदार हैं।
  • आपको अपने कार्य क्षेत्र में महारत हासिल हैं।
  • आप जो भी काम लेते हैं, कर के दिखाते हैं आदि-आदि.
        अपनी तीन बेहतरीन खूबियाँ लिख डालिए। उन खूबियों को अपनी ताकत बनाइये, खुद पर गर्व करिए। अपने गुणों पर भरोसा करके पूरी ईमानदारी से लक्ष्य के लिए जुट जाइए।

इन वाक्यों को तलाक दे दीजिए

        यदि आप लोगों की भाषा पर गौर करें तो उनके अंदर की हिचकिचाहट और डर को आप पढ़ सकते हैं। इंसान अपने बारे में क्या सोचता है, वह कितना positive है, कितना साहसी है, किन बातों का उसे डर है, यह धीरे-धीरे भाषा व आदतों में झलकने लगता है। ये लाइनें, इनसे जुड़ी भावनाऐं और आदतें, इन सबको हमें तुरंत तलाक देना होगा तभी प्रगति के पथ पर अग्रसर होना संभव है।

1.लोग क्या कहेंगे

        हर बात में नुक्स निकालना, राय देना और व्यंग्य करना समाज के बहुत बड़े वर्ग का नि:शुल्क रोजगार है। इनकी सोचोगे तो कहीं के नहीं रहोगे। ये लोग पलटते भी बहुत जल्दी है, आप जरा से सफल हुए नहीं कि यही लोग कहेंगे-हम तो पहले से जानते थे, वह तो बड़ी होनहार थी, वह शुरु से ही ब्रिलिएंट था आदि-आदि।

2.मुझसे यह नहीं होगा

        दोस्तों, यह एक आत्मघाती वाक्य है और यह धीरे-धीरे आपकी छवि को Negative बना देगा। आप खुद को अंदर से कमजोर महसूस करेंगे और आपका पतन निश्चित हो जायेगा। आज से इस कमजोर लाइन को तलाक दीजिए और एक नया वाक्य उपयोग में लाइए: "दुनिया में कोई और कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूँ।"

3.मूड नहीं हैं

        समझ में नहीं आता कि यह 'मूड' क्या बला है और यह शब्द हमारी भाषा में घुसा कैसे आप सड़क पर जा रहे हैं और कोई कुत्ता आपको काटने दौड़े तो क्या आप यह कहने का साहस कर सकते हैं, आज मूड नहीं है, इसलिए नहीं दौडूँगा, लो आज मुझे काट लो। दोस्तों, जो काम जरुरी है, उसके लिए मूड कैसा। काम शुरु कर दो, मूड अपने आप ही बन जाता है।

4.मेरा भाग्य ही खराब है

        इस दुनिया में बहुत कम लोगों ऐसा है जो पूरी मेहनत और बुद्धिमता से सही दिशा में मेहनत कर रहे हैं और फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो पूरी लगन से अपना काम नहीं कर रहे हैं, गलत direction में प्रयास कर रहे हैं और असफल होने पर भाग्य का बहाना बना रहे हैं। दोस्तों, बैठकर रोने की बजाए, किस्मत चमकने का इंतजार करने की बजाए, ज्योतिषयों का चक्कर लगाने की बजाए, आप चुपचाप पूरी ताकत और समर्पण से अपने काम में जुट जाओ।

5.कल कर लूगा

        कुछ लोगों को जब भी जिम्मेदारी या काम दिया जाता है तो वे तुरंत कहते हैं कि कल कर लूगा। इसके पीछे ढेर सारे बहाने होते हैं, जैसे आज व्यस्त हूँ, तबियत ठीक नहीं लग रही है आदि। खास बात यह है कि इन लोगों का "कल" कभी नहीं आता। ऐसे 'बिजी विदाऊट वर्क' लोगों से दुनिया भरी पड़ी है। और ये सारे योग्य लोग अपनी आदतों की वजह से अयोग्य होते चले जा रहे हैं। 

दूसरे प्रोत्साहन नहीं देते की फरक पैंदा

        कुछ लोगों को मैं अक्सर यह कहते हुए सुनता हूँ कि हमें कोई प्रेरणा देने वाला नहीं मिला, माता-पिता ने कभी आगे नहीं बढ़ाया, कोई ऐसा नहीं जिसने कभी पीठ थपथपाई हो इसलिए हम तरक्की नहीं कर पाए। प्रेरणा और प्रोत्साहन संजीवनी की तरह काम करता है, लेकिन हमारे सामने ढेरों उदाहरण है जो सफलता के शिखर पर है पर उनके जीवन में भी कोई प्रेरणा नहीं थी। आत्म प्रशंसा और आत्म प्रोत्साहन के वह तरीके जिनसे Author प्रोत्साहित होते है।

1.स्वयं से अच्छी बातें कीजिए

        यह अनेक वैज्ञानिक रिसर्च द्वारा सिद्ध हो चुका है कि यदि आप मस्तिष्क को स्वयं के बारे में अच्छे व ऊंचे विचार देते हैं तो मस्तिष्क उसी प्रकार कार्य करता है। यदि स्वयं पर और स्वयं की क्षमताओं पर यकीन करते हैं, तो आपके कार्य स्वतः ही सिद्ध होने लगते हैं।

2.स्वयं को पुरस्कार दीजिए

        पुरस्कारों का जीवन में बड़ा महत्व होता है क्योंकि इससे व्यक्ति को उपलब्धि पाने का अहसास होता है। मैं अक्सर उपलब्धियों पर खुद को पुरस्कृत करता हूँ, कभी खुद को नये कपड़े भेंट करता हूँ, कभी जूते, कभी कोई अच्छी किताब, घड़ी, कुछ ना कुछ चलता रहता है। आप अपनी उपलब्धियों पर अपने सबसे खास और प्यारे स्वजनों को भी तोहफे दे सकते हैं, वह भी खुद को पुरस्कृत करने जैसा होगा।

3.जश्न मनाइये

        यदि आपकी सफलता पर कोई और जश्न मनाने वाला ना हो, यदि दूसरों को आपकी सफलता का महत्व समझ ना आ रहा हो तो निराश मत होइये । खुश होने के लिए आप अपने लिए एक जश्न रख सकते हैं। अपने खास लोगों को पार्टी दे सकते हैं, कुछ दिनों के लिए अपने पसंदीदा हॉलीडे स्पाट पर जा सकते हैं, पिक्चर देख सकते हैं, हर वह काम कर सकते हैं जो आपको पसंद हो लेकिन आप रोज ना कर पाते हैं। सार यह है कि अपनी उपलब्धि पर खुद को कुछ अलग महसूस कराइए । वह दिन आम दिनों से अलग होना चाहिए।

        ☝यह summary है "जीत या हार रहो तैयार | Jeet Ya Haar Raho Taiyar" By Dr. Ujjwal Patni book की। यदि detail में पढ़ना चाहते है इस बुक को यहां से खरीद सकते है 👇

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