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जीवन मधुरस से परिपूर्ण है | Hindi Motivational Story

जीवन मधुरस से परिपूर्ण है | Hindi Motivational Story

जीवन मधुरस से परिपूर्ण है | Hindi Motivational Story
जीवन मधुरस से परिपूर्ण है | Hindi Motivational Story
         💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। एक बार एक व्यक्ति ने लियो टॉलस्टॉय से पूछा, 'जीवन क्या है?' उन्होंने एक क्षण उस व्यक्ति की ओर देखा, फिर कहा एक बार एक यात्री जंगल से गुजर रहा था। अचानक एक जंगली हाथी उसकी तरफ झपटा, बचाव का अन्य कोई उपाय न देखकर वह रास्ते के एक कुएं में कूद गया। कुएं के किनारे में बरगद का एक मोटा पेड़ था। यात्री उस पेड़ की जटा पकड़कर लटक गया कुछ देर बाद उसकी निगाह कुएं में नीचे की ओर गई। नीचे एक विशाल मगरमच्छ अपना मुंह फाड़े उसके नीचे टपकने का इंतजार कर रहा था। डर के मारे उसने अपनी निगाह उपर कर ली।

        उपर उसने देखा कि शहद के एक छत्ते से बूंद-बूंद मधु टपक रहा था। स्वाद के सामने वह भय को भूल गया उसने तल्लीन होकर बूंद-बूंद टपकते हुए मधु की ओर बढ़कर अपना मुंह खोल दिया और पीने लगा, परन्तु यह क्या? उसने आश्चर्यचकित होकर देखा कि वह जटा के जिस मूल को पकड़कर लटका हुआ था, उसे एक सफेद और एक काला चूहा कुतर-कुतर कर काट रहे थे।

        प्रश्नकर्ता की प्रश्नवाचक मुद्रा को देखकर टॉल्सटॉय ने कहा, नहीं समझे तुम?' उसने कहा, 'आप ही बताइए। तब वे समझाते हुए उससे बोले- वह हाथी काल था, मगरमच्छ मृत्यु थी। मधु जीवन-रस था और काला तथा सफेद चूहा रात और दिन। इन सबका सम्मिलित नाम ही जीवन है।

       तात्पर्य यह है कि वर्तमान में हमारा जीवन सीमित समय तक के लिए है और हमें इसकी डैडलाइन भी मालूम नहीं है। फिर भी हम किसी प्रकार के भय से मुक्त रहकर अपने निर्धारित कामों में आनंदपूर्वक तल्लीन रहें। इसी का नाम जीवन है, जो मधुरस से परिपूर्ण है।

याद रखें 👇

        हर एक एक के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं जैसे कि समुद्र में ज्वार-भाटा। हमें चाहिए कि इन दोनों को समभालते हुए समय का आदर करें यानि इसका एक क्षण भी व्यर्थ न जाने दें अगर कोई यह कहे कि 'अभी मेरी यूथ एज है, 40-50 का होने के बाद मैं जीवन के प्रति गंभीरता से सोचूंगा, तो यह उसका कोरा भ्रम है, क्योंकि जीवन तो जन्म से ही चलता आ रहा है महान् व्यक्तियों की जीवनियां बताती हैं कि व्यक्ति के जीवन का मूल्य उसकी लम्बी उम्र से नहीं, बल्कि उसकी कृतियों से आंका जाता है।

        यहां कुछ ऐसे व्यक्यिों के उदाहरण हैं जो 40-50 की आयु से ऊपर नहीं पहुंचे और वे अपनी महान् कृतियों और उपलब्धियों के द्वारा विश्व में अपना नाम छोड़ गए, जैसे- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, स्वामी विवेकानंद, स्वामी शंकराचार्य, जयशंकर प्रसाद, लाला हरदयाल, जॉन कीट्स. पी.बी, शैली, फ्रेंच दार्शनिक पास्कल, जॉन एफ. कैनेडी इत्यादि। मानव-जीवन बार-बार नहीं मिलता है। अतः इस सीमित जीवन में हमें ऐसे प्रशंसनीय कार्य करके अपनी अमिट छाप यहां छोड़े कि आगे चलकर दूसरे लोग उनसे प्ररणा लेते रहें।

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