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सद्गुरु जग्गी वासुदेव के प्रेरक विचार | Sadhguru Jaggi Vasudev Motivational Quotes in Hindi

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के प्रेरक विचार | Sadhguru Jaggi Vasudev Motivational Quotes in Hindi

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के प्रेरक विचार | Sadhguru Jaggi Vasudev Motivational Quotes in Hindi
सद्गुरु जग्गी वासुदेव के प्रेरक विचार | Sadhguru Jaggi Vasudev Motivational Quotes in Hindi

💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितम्बर, 1957 को हुआ। उनको 'सद्गुरु' भी कहा जाता है। सद्गुरु एक लेखक हैं। वह ईशा फाउंडेशन नामक लाभरहित मानव सेवी संस्‍थान के संस्थापक हैं। ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है। इन्हें Economic and Social Council में विशेष सलाहकार की पदवी प्राप्‍त है। सद्गुरु ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। इस Post में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनमोल विचार बताये जा रहे है जो आपकी जिंदगी बदल सकते है -

कोई भी शानदार चीज तब तक घटित नहीं होगी, जब तक कि हम पूरी लगन के साथ उसको साकार नहीं कर देते।

वह सब जो गतिशील है, वो एक दिन खत्म हो जाएगा। जो निश्चल है, सिर्फ वही हमेशा के लिए है। ध्यान असल में उस निश्चलता की ओर जाने व अस्तित्व का केंद्र बन जाने के बारे में है।

अगर आप अकेले हैं और दुखी हैं तो जाहिर है कि आप खराब संगत में हैं।

दरअसल जीवन में, ‘सही निर्णय’ जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर आप एक निर्णय लेते हैं और उसमें अपना सबकुछ लगा देते हैं तो वह बहुत शानदार तरीके से होगा।

विचार और भावनाएं अलग-अलग चीजें नहीं हैं। जिस तरह आप सोचते हैं, वैसे ही आप महसूस करते हैं।

हम एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं, जहां प्रभुत्व व सत्ता सच्चाई नहीं हो सकती। आने वाले समय में, सिर्फ सत्य ही सत्ता होगा, क्योंकि सभी सत्ताओं की पवित्रता पर सवाल उठाए जाएंगे।

कोई व्यक्ति क्या कर सकता है - दरअसल इसकी कोई सीमा नहीं होती। क्योंकि क्षमताओं को लगातार बढ़ाया जा सकता है।

एक औसत दर्जे के जीवन की यात्रा गर्भ से कब्र तक की होती है। जबकि एक जागरूकता भरा जीवन, जीवन और मृत्यु की प्रक्रिया से ही मुक्त हो जाता है।

बस खुद से पूछिए - आप जीवन से वाकई क्या चाहते हैं? आपको उसी दिशा में जाना चाहिए।

अपने जीवन के भौतिक पहलुओं को सरल बनाना महत्वपूर्ण है, ताकि आपके जो गहरे आयाम हैं, वो व्यक्त हो पाएं।

जीवन आपसे हर तरह के सर्कस, बाजीगरी और करतब तो कराते ही रहता है। अगर आप अच्छी तरह तैयार हैं, तो आप इसे आनंदपूर्वक कर सकते हैं।

स्वर्ग की इतनी ज्यादा बातें इसलिए हो रही हैं, क्योंकि बहुत ज्यादा लोगों ने खुद को नर्क बना लिया है।

आत्म-ज्ञान का मतलब यह एहसास होना है कि आप अब तक कितने बड़े मूर्ख थे। हर चीज यहीं ठीक आपके भीतर थी और आपको इसकी खबर तक नहीं थी।

खुशहाली की खोज में, हमने इस धरती पर हर तरह की नासमझी भरी चीजें की हैं, लेकिन खुशहाली नहीं आई है। अगर आप खुशहाली चाहते हैं, तो अपने भीतर झांकना ही एकमात्र तरीका है।

बेफिक्री के भाव के बिना, आप अपने जीवन में कभी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाएंगे।

सिर्फ इरादे पालने से काम नहीं होते। इससे सिर्फ दिशा तय होती है। यात्रा तो आपको करनी ही होगी।

अगर आप उन चीजों से अपनी पहचान बनाना बंद कर दें जो आप नहीं हैं, तो आपका मन शांत हो जाएगा। ध्यान करने के लिए बस इतना ही करना होता है।

बहुत से लोग भूखे हैं और ऐसा भोजन की कमी के कारण नहीं है। ऐसा सिर्फ इसलिए है, क्योंकि लोगों के दिलों में प्रेम और परवाह की कमी है।

अगर आप आज दुनिया को देखें, तो झूठ का बोलबाला है - सच्चाई लगभग गायब हो गई है। इंसान की परिपूर्णता के लिए इसे उलटने का समय अब आ गया है।

जो समाज बच्चियों को सम्मानपूर्ण दर्जा देने में असफल रहता है, वह पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाएगा। बिना समान अवसर और भागीदारी के मानवता की तस्वीर अधूरी रह जाती है।

हर चीज के प्रति आभार भाव रखने से सफलता और जीत आपकी होगी।

स्त्री-प्रकृति जीवन का सबसे शक्तिशाली आयाम है। बिना स्त्रैण-ऊर्जा यानि शक्ति के अस्तित्व में कुछ भी नहीं होगा।

अगर आप अपने मन, शरीर, और जीवन-ऊर्जा पर थोड़ी और महारत हासिल कर लेते हैं, तो आप अपने भाग्य के मालिक बन सकते हैं।

कुछ ऐसा करना जो खुद से कहीं अधिक विशाल हो – यही जीवन में सबसे बड़ी तृप्ति है।

एक गुरु होने की पूरी कला बस यही है: लोगों के अहंकार को लगातार पंचर करते रहना और फिर भी उनके मित्र बने रहना।

आप कितना काम करते हैं, उसकी मात्रा नहीं, बल्कि आपके अनुभव की गहराई, आपके जीवन को समृद्ध और तृप्त बनाती है।

आत्म-ज्ञान में, कोई सुख नहीं होता, कोई पीड़ा नहीं होती - बस होता है एक बेनाम आनंद, परमानंद।

खुद को इस तरह बनाना कि आपके जीवन का हर पल एक नई संभावना बन जाए, यही इनर इंजीनियरिंग का सार है।

सही तकनीक की सहायता से, साधारण स्थान को, यहाँ तक कि पत्थर के एक टुकड़े को भी ईश्वरीय संभावना में बदला जा सकता है। इस प्रक्रिया को प्रतिष्ठा कहते हैं।

प्रेम कोई आनंद नहीं है; यह एक गहरा, शानदार दर्द है। आापके भीतर हर चीज टूटनी चाहिए। सिर्फ तभी आप जानेंगे कि प्रेम क्या है।

अगर आप सही चीजें नहीं करते, तो आापके साथ सही चीजें नहीं होंगी।

अध्ययन बताते हैं कि अगर हम धरती पर एक लाख करोड़ पेड़ लगाते हैं, तो जलवायु परिवर्तन की पूरी प्रक्रिया को पलटा जा सकता है।

गुस्सा कोई काम व क्रिया नहीं है - यह प्रतिक्रिया है। प्रतिक्रिया की अवस्था गुलामी की अवस्था होती है।

अपने आस - पास की हर चीज के साथ गहराई में और पूरी जागरूकता के साथ जुड़ने में कोई उलझन नहीं होती ; बस आनंद आता है|

ईश्वर हरदम आपके द्वार पर अंदर प्रवेश करने के लिए इंतजार कर रहा है – उसके प्रवेश करने के लिए आपको बस आवश्यक जगह बनानी है।

इसका एहसास होना कि मैं नहीं जानता, जानने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है।

बहुत सारे लोग चेहरे लटकाए घूम रहे हैं। आपको अपने जीवन के आखिरी ‘पोज़’ का अभ्यास करने की ज़रूरत नहीं है। मृत्यु के मामले में, सभी लोग स्वाभाविक रूप से बहुत अच्छे कलाकार होते हैं

अगर प्रेम, आनंद और परमानंद के आंसुओं ने आपके गालों को नहीं भिगोया, तो अभी आपने जीवन का स्वाद नहीं चखा है।

जो लोग यह सोचते हैं कि उनके साथ सिर्फ अच्छी चीजें ही होनी चाहिए, वे जीवन के लिए अयोग्य हैं। अगर आप नहीं जानते कि कठिन परिस्थितियों से ख़ुशी-ख़ुशी कैसे गुजरें, तो आप सभी संभावनाओं से वंचित रह जाएंगे।

मैं कभी अकेला नहीं रहा हूं, क्योंकि सृष्टि के स्रोत ने कभी मुझे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा। वह कभी किसी को एक पल के लिए नहीं छोड़ता।

किसी के बारे में कभी कोई राय न बनाएं। वे अभी इस पल में कैसे हैं, बस यही मायने रखता है। कल वे कैसे होंगे, हम देखेंगे। कल को बनाया जाना चाहिए, इसी पल तय नहीं करना चाहिए।

जीवन में सबसे कीमती चीज खुद जीवन ही है। क्या आप ये अभी समझ रहे हैं या आप इसे सिर्फ अपनी मृत्युशैया पर समझेंगे?

उम्मीद, दुखी लोगों के लिए है। वे उम्मीद करते हैं कि कल वे आनंद में होगे। आनंदित लोग इस पल में ही आनंदित हैं।

आप जिस तरह से सांस लेते हैं, वैसे ही आप सोचते हैं। जिस तरह से आप सोचते हैं, वैसे ही आप सांस लेते हैं।

डर सिर्फ इसलिए पैदा होता है, क्योंकि आप जीवन के साथ नहीं जी रहे हैं - आप अपने मन में जी रहे हैं।

हमारा शरीर मुख्य रूप से मिट्टी और पानी है। हमारी मिट्टी और पानी की गुणवत्ता हमारे भोजन, शरीर, और हमारे जीवन की गुणवत्ता को तय करती है।

अगर आप जीवन के गहरे आयामों की खोज खेल-खेल में करना चाहते हैं, तो आपको एक प्रेममय हृदय, आनंदमय मन, और ऊर्जावान शरीर की जरूरत होगी।

कोई भी रिश्ता हमेशा एक सा नहीं होता- वह हरदम बदलता रहता है | आपको इसे रोज़ाना ठीक से चलाना होता है|

बच्चे बुरे नहीं होते - सिर्फ उन पर पड़ने वाले असर बुरे होते हैं।

जीवन समय का बस एक छोटा सा अंश है। अगर आप जीवन को कीमती समझते हैं, तो आपको हर चीज सही समय पर करनी होगी।


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