सामान नहीं, ज्ञान | Hindi Inspirational Story
सामान नहीं, ज्ञान | Hindi Inspirational Story |
आखिरकार उसने उनसे पूछ ही लिया, आप भारत से आए हुए लगते हैं। लेकिन जहाज से अपना सामान क्यों नहीं उतारते? स्वामी जी शांत स्वर में बोले, मैं सामान का बोझ नहीं ढोता, सिर्फ ज्ञान का अर्थ समझता हूँ। वह अमेरिकी उनकी बात सुन हैरान हो गया। उसने फिर पूछा, तो यहां कहा ठहरेंगे? यहां आपका कोई न कोई मित्र तो होगा? स्वामी जी बोले, हां, यहां मेरा एक मित्र तो है। अमेरिकी ने अब सवालों की जैसे झड़ी लगा दी, कौन है वह? उसका क्या नाम है? क्या वह आपको लेने आ रहा है?
स्वामी जी ने उस व्यक्ति के कंधे पर हाथ रखकर मुस्कराते हुए कहा, समझ लीजिए कि मेरा वह मित्र आप ही हैं। प्रेम की पवित्रता और निश्छलता से भीग चुका वह व्यक्ति सचमुच स्वामी रामतीर्थ का मित्र बन गया। जब तक स्वामी जी अमेरिका में रहे. उसी के यहां रहे। स्वामी जी के ज्ञान और आत्मविश्वास ने उस व्यक्ति को ही नहीं, उसके परिवार और मित्रों को भी स्वामी जी का शिष्य बना दिया।