Trending

अपने श्रोताओं का ध्यान खींचने के 10 तरीके | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi

10 Ways to Grab the Attention of Your Audience | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi

अपने श्रोताओं का ध्यान खींचने के 10 तरीके | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi
अपने श्रोताओं का ध्यान खींचने के 10 तरीके | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। क्या अक्सर speech देते समय आपके श्रोता boring feel करते है? क्या आपकी speech को सुनने कम लोग आते है? Speech में आप जो कहते है क्या श्रोता समझ नहीं पाते है? या श्रोताओं का ध्यान खींचने में आप असफल रहते है? इस पोस्ट में "सफल वक्ता सफल व्यक्ति" By Ujjwal Patni book से 10 तरीके दिए जा रहे है जिससे आप अपने श्रोताओं का ध्यान अपनी और खींचने में सफल हो जायेगे।

1.भाषण और हास्य

        श्रोताओं को हंसाना किसी के लिए सरल तो किसी के लिए कठिन कार्य है। यदि आप चाहते हैं- लोग आपकी बात सुनें, जागृत रहे, मुस्कुराते रहे, ऊर्जावान रहे, आपसे जुड़े रहें तो आपको हास्य का सहारा लेना होगा।

        आप कितने भी अच्छे वक्ता क्यों न हों, यदि आपकी बातों में हास्य न हो तो थोड़ी देर बाद सुनने वाले बोर हो जाते हैं। हास्य से श्रोता वक्ता से जुड़ते हैं। अपनी बातों को स्मरण करने योग्य बनाने और श्रोताओं को गुदगुदाने के लिए आप इन technique का use भी कर सकते है:-

1.अलग-अलग अबाजो का उपयोग

        यदि आप एक presentation देने जा रहे हो तो आप अलग-अलग रिकार्डेड आवाजों या musical instruments का use करें। आप जो बोलते है उसी के हिसाब से आवाजे होनी चाहिए। For Example - वह ट्रेन में जा रहा था (ट्रेन की आवाज) अचानक ऊपर से विमान निकला (विमान की आवाज) और साथ ही तेज बारिश शुरू हो गई (बारिश की आवाज) अचानक दूर एक शेर के दहाड़ने की आवाज आई (शेर की आवाज) और एक गोली चली (बंदूक की आवाज) और फिल्म का इंटरवल हो गया। इस तरह श्रोता बात को ध्यान से सुनते है।

2.प्राप (Prop)

        कोई भी ऐसी वस्तु जिसका हम किसी specific purpose के लिए भाषण में उपयोग करते हैं उसे प्राप कहते हैं। यह अच्छे वक्ताओं को और बेहतर बनाता है। For Example: एक दिन Ujjwal Patni एक जीव संरक्षण और शाकाहार के program में वक्ता के रूप में गए, वहा सभी ने तैयारी करके अलग-अलग जानवरों के मुखौटे और वेश बनाए। व्यक्तियों की जगह माइक पर खुद गाय ने खुद को बचाने की बात की, बकरी ने कहा-मेरी बलि मत चढ़ाओ और एक अंडे में से झांककर चूजा बोला-मुझे भी दुनिया देखनी है। सारे जानवर समुदाय में दुख का माहौल बन गया। Last में सारे जानवर एक हो गए और उन्होंने इंसान को मृत्युदंड दिया। इस तरह के program लोगो का ध्यान खींचते है और वे वहा क्या हुआ हमेसा याद रखते है।

3.हास्यप्रद कहानियां और चुटकुला

        कहानियो और चुटकुलो का सफल उपयोग नए और अनुभवी सभी वक्ताओं को विजेता बनाता है। ज्यादा लंबी कहानी या लंबा चुटकुला उपयोग में न लाएं। चुटकुले का रहस्य खोलने के पहले कुछ पल रुककर विशेष दबाव के साथ पंच लाइन बोलिए। चुटकुले को सही शैली में बोलने के लिए practice कीजिए क्योंकि चुटकुले के माध्यम से लोगों को हंसाना एक विशेष कला है।

4.खुद का मजाक उड़ाएं या खुद पर हास्य करें!

        श्रोता अक्सर आपको अपने से श्रेष्ठ मानकर आपसे दूरी रखते हैं। जैसे ही आप खुद पर हास्य करते हैं या खुद को नीचा दिखाते हैं, वे आपको अपने ही जैसा एक सामान्य व्यक्ति मानकर आपसे जुड़ाव महसूस करने लगते हैं व सब मन ही मन आपके साहस की प्रशंसा भी करते हैं। For Example:

        एक बार Ujjwal Patni ने किसी program में गंभीर होकर कहा कि आप लोग जानना चाहते हैं कि मैं प्रभावी भाषण कला का coach क्यों बना? असल में मेरा दांतों का अस्पताल चलना बंद हो चुका था। उसके बाद जहां भी नौकरी की, अगले ही दिन निकाल दिया जाता था। सारे लोग मुझसे कहते थे, तुम और कोई काम नहीं कर सकते। तुम सिर्फ बातों के जमाखर्च हो, तुम्हें बातों के सिवा कुछ नहीं आता। मैं इतने लोगों के विनम्र आग्रह को टाल नहीं पाया और बातों का काम चुन लिया। इस बात से Ujjwal Patni को जानने वाले और नहीं जानने वाले सभी लोग अपने ठहाके रोक नहीं पाए।

        अब आप जान चुके हैं कि कैसे भाषण में हास्य करे लेकिन हास्य करने से पहले इन बातो का ध्यान रख्खे :-
  • जातिगत या व्यक्तिगत मजाक न करें।
  • धार्मिक व्यंग्यों से बचें।
  • किसी कंपनी या उत्पाद विशेष का मजाक सोच समझकर उड़ायें।
  • संवैधानिक हास्य न करें।
  • शारीरिक अक्षमताओं पर व्यंग्य न करें।
  • बिना किसी को चोट पहुंचाये हास्य पैदा करें।

2.वक्ता और विराम

        यदि आपने विराम कला सीख ली, तो समझो आपने आधी जंग जीत ली। यहां भाषण को विराम देकर मंच छोड़ने की बात नहीं हो रही है बल्कि भाषण के बीच के अर्धविराम (Comma) और पूर्णविराम (Full stop) की बात हो रही है।

        यदि हमें भाषण को सुनने योग्य और प्रभावी रूप देना है तो इन विरामों का सही उपयोग आवश्यक है। कई वक्ता तेजी से (एक्सप्रेस ट्रेन की तरह) बिना रुके अपनी बात पूरी कर देते हैं। सुनने वालों को समझ ही नहीं आता कि कब एक लाइन खत्म हुई और दूसरी शुरू हुई। खूबसूरत शायरी और कविता भी बिना विराम बेजान हो जाती है। ये विराम एक रहस्यमय उत्सुकता जगाते हैं कि आगे आप क्या कहने जा रहे हैं। ये विराम श्रोताओं को आपकी बात सुनने को बाध्य करते हैं। विराम को श्रोताओ के बीच विशेष हथियार माना जाता है।

विराम (Pause) तीन प्रकार का होता है-

1.लघु विराम (Small Pause): यह 1 से 5 सेकंड का होता है और भाषण में कई बार उपयोग किया जाता है।

2.मध्यम विराम (Mid Pause): यह 5 से 10 सेकंड का होता है। किसी बात को विशिष्ट प्रभाव देने हेतु या किसी रहस्य को खोलने हेतु यह विराम लिया जाता है। इस विराम के सही उपयोग से आप अत्यंत प्रभावी बन सकते हैं और श्रोताओं से अपनी बात पर तालियां बजवा सकते हैं।

3.दीर्घ विराम (Long Pause): यह 10 सेकंड से 20 सेकंड का होता है। इसमें अनुभव और अभ्यास की आश्यकता होती है। यदि आप चतुर नहीं हैं तो इस समय में श्रोताओं पर आपका नियंत्रण चला जाएगा। यह गहन चिन्तन, गहरी संवेदनाओं और गंभीर सवालों के साथ उपयोग किया जाता है। योजनाबद्ध विराम आपकी भाषण शैली को विशिष्ट बनाते हैं, आपके गंभीर होने का बोध कराते हैं।

3.अपने शब्द ज्ञान से दिलों को छू लीजिए

        हर किसी की अपनी एक शैली होती है। कोई सीधे शब्दों में साफ भाषण देता है तो कोई अपने शब्दों से आंखों के सामने दृश्य खींच देता है। खूबसूरत, मधुर और साहित्यिक शब्द किसी भी message को नया जीवन देते हैं और आपको आम वक्ताओं की भीड़ से अलग करते हैं। सामान्य तकनीकी भाषणों को छोड़ दें तो काव्यात्मक शैली अपने आप में विशेष स्थान रखती है। इसके लिए भाषा और शब्द ज्ञान अच्छा होना जरूरी है। For Example -

        यदि कोई बात हम सामान्य शैली में कहते है - भारत में सभी चीजों का निर्माण होता है। पहाड़, नदी, बर्फ, ऐतिहासिक शिल्प सब कुछ हमारे देश में है फिर भी आम भारतवासी गरीब है।

        यदि इसे हम काव्यात्मक शैली में कहे तो ये कुछ ऐसा होगा - सुई से लेकर उपग्रह तक, कुतुबमीनार से लेकर ताजमहल तक ऐसी कोई वस्तु नहीं जिसका भारतवासियों ने निर्माण न किया हो। विशाल देश को जोड़ती सड़कें, कोने-कोने को चूमती रेलें, हिमालय के अद्भुत पर्वत, देश को नमन करते विशाल सागर हमें दुनिया के सबसे सुंदरतम देशों की श्रेणी में लाते हैं। फिर भी आम भारतवासी समस्त सुविधाओं से वंचित हैं।

4.शब्दों में जान डालिए दबाव से

        यदि आप चाहते हैं कि लोग आपकी बातों को ध्यान से सुनें तो आपको यह कला सीखनी होगी। Presentation में हमेशा कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द होते हैं जो presentation की जान होते हैं। यदि आप बिल्कुल एक सुर और स्वर में बोलते चले जाएंगे तो वह presentation बेहद boring हो जाएगी। श्रोताओं का ध्यान खींचने के दो तरीके हैं -

1. दबाव बढ़ाना - सामान्य बात कहते हुए अचानक ही किसी शब्द को अतिरिक्त दबाव के साथ बोलना।

2. दबाव हटाना - सामान्य बात कहते हुए अचानक ही दबाव एकदम कम कर देना यानि धीरे से कहना।

        दोनों ही परिस्थितियों में श्रोता गंभीरता से आपकी बात सुनते हैं। आप किसी भी क्षेत्र के बेहतरीन वक्ताओं को देखिए, वह यही तकनीक इस्तेमाल करते हैं।

5.क्या आपमें कोई विशेष गुण या खूबी है?

        हर व्यक्ति में कुछ खास बात होती है। कोई अच्छा गाता है, कोई अच्छा dance करता है, कोई music instrument अच्छा बजाता है तो कोई ऐसी मिमिक्री करता है कि सुनने वाले हंस कर लोटपोट हो जाएं।

        अपनी क्षमताओं को पहचानें और अपनी एक विशेष पहचान बनाने के लिए उनका उपयोग करें। यदि आप एक अच्छी शायरी या कविता लिख सकते हैं तो अपनी speech में उसे original बताते हुए उपयोग कीजिए। यदि आप अच्छे चित्रकार हैं तो अपने भाषण से जुड़ा एक चित्र फ्लिपचार्ट के रूप में स्टेज पर लगा दीजिए या श्रोताओं को दिखाइए। यदि आप अच्छा गाते हैं तो अपने भाषण में दो लाइन गाने की आपको पूरी आजादी है। यदि आप acting करते हैं और कोई विशेष मंच आपको मिल जाए तो आप अपने भाषण में अभिनय के माध्यम से किसी एक पात्र को जिंदा कर दीजिए। आप हर वक्ता से उनकी style की अच्छी चीजे सीखे लेकिन किसी की नकल मत कीजिए। अपनी बातों में originality जरूर रखिए। इस originality को प्रभावी और धारदार बनाने में आपकी सामान्य खूबी अहम रोल अदा करेगी।

6.आवाज के जादू से जीतें दिलों को

मैंने ऐसा गधा कभी नहीं देखा है जो मानव की भांति बातें करता हो, परन्तु ऐसे अनेक मनुष्यों से मेरी भेंट हुई है जो गधों की तरह बातें करते हैं।
-हेनरिक हैनी

        आवाज में उतार-चढ़ाव लाकर आप सामान्य बोलने वालों से विशेष वक्ताओं की श्रेणी में आ सकते हैं। जिन लाइनों को आप श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं वहां अतिरिक्त दबाव और आवाज का परिवर्तन आपकी मदद करते हैं। यदि आवाज चुभने वाली है कड़क है तो आवाज में एक मिठास (sweetness) और सौम्यता (gentleness) लाइए। यदि किसी से अपनापन दिखाना हो तो आवाज में अपनेपन का अहसास होना चाहिए। धीरे-धीरे practice से आवाज में विभिन्न गुण पैदा हो जाते हैं। आवाज में मिठास लाने के लिए अतिरिक्त प्रयास कीजिए, एक खास स्केल पर आवाज में हमेशा सुरीलापन होता है, उस स्केल पर बोलिए।

7.क्या आप लंबे-लंबे पत्रे लेकर मंच पर जाते हैं?

        चाहे हमने अपने भाषण की कितनी ही तैयारी की हो, भूल जाने का डर मन में हमेसा बना रहता है। इसलिए लंबे पत्रे लेकर नए वक्ता मंच पर नजर आते हैं। इसके कई नुकसान हैं -
  1. पन्ने पलटने की आवाज माइक के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचती है और वे समझते हैं आप लिखा लिखाया पढ़ रहे हैं।
  2. आपका पूरा ध्यान पढ़ने पर चला जाता है और भाषण प्रभावी नहीं हो पाता।
  3. आपका श्रोताओं से कोई नेत्र संपर्क (eye contact) नहीं होता।
  4. आपकी body language भी zero हो जाती है।
तो इनसे बचने के लिए इन techniques का use करे -

1.हथेली कार्ड (पाम कार्ड)

        मोटे कागज या कार्डशीट के छोटे साइज के कार्ड बनाइए जो हथेली के बीच फिट हो सके। जितने भी कार्ड आपको एक भाषण के लिए बनाने हों, उन पर क्रम से नंबरिंग कर दीजिए। मोटे अक्षरों में साफ-साफ लिखिए ताकि आपको 1-2 फीट की दूरी से भी नजर आ सके। अपने भाषण को कुछ मुख्य बिन्दुओं में समेट लीजिए।

2.भाषण के छोटे हिस्से कीजिए (मेमोरी बिट्स)

        पुरा भाषण याद करने की बजाय भाषण की पूरी संरचना और तथ्यों से परिचित हो जाइए। उसके बाद पूरे भाषण को सिर्फ तीन या चार हिस्सों में बांट दीजिए। इन तीन या चार प्रमुख headings को याद रखिए, आपको पूरा भाषण याद आ जाएगा। भाषण में चर्चा के बहुत ज्यादा बिन्दु न रखें, सिर्फ दो या तीन सारगर्भित (summed up) और जबरदस्त तथ्यों के आसपास पूरा भाषण खत्म करें।

8.अपने दिल की आवाज सुनिए

नेताओं के भाषण यदा-कदा ही दिल को छूते हैं क्योंकि उनमें विश्वसनीयता और सत्य का अभाव होता है, दूसरी ओर प्रेरक गुरुओं और संतों के चंद शब्द जीवन बदलने की क्षमता रखते हैं। क्योंकि वे सीधे दिल से निकलते हैं और दिल में उतर जाते हैं।
-लेखक

        कुछ लोग पहली नजर में ही अच्छे और अपने लगते हैं वहीं कुछ लोगों से मिलते ही भय महसूस होता है। इसके पीछे कोई तर्क नहीं होता इसलिए हम इसे दिल की आवाज कहते हैं। हम किसी भी मुद्दे या समस्या पर अपनी बात रखें, यदि हमारे मन में उसके प्रति चिंता नहीं है तो हम सुनने वालों पर प्रभाव नहीं डाल पाते। यदि हम स्वयं गंभीर और चिंतित होते हैं तो दूसरा व्यक्ति स्वतः ही उसे महसूस करता है।

        अपने संस्कारों और मान्यताओं पर आधारित बातें कहिए। ऐसी बातें कहिए जिनमें आपके मन और बुद्धि में कोई मतभेद न हो। आपको आपके अंतर्मन का आशीर्वाद हो। जिन्हें कह कर आपके दिल पर कोई बोझ न हो। अक्सर आप देखेंगे कि जो भी भाषण, प्रस्तुति या कला प्रदर्शन आप पूरे मनोयोग से करते हैं, उसके परिणाम बेहतर मिलते हैं।

9.आप, हम और मैं

लोकव्यवहार का सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है कि भाषण और बातचीत से लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा 'आप' शब्द का, उसके बाद 'हम' शब्द का और सबसे कम 'मैं' शब्द का उपयोग करना चाहिए।
- लेखक

        समूह का सबसेजरुरी नियम है जितना श्रेय बांटोगे उतना लौट कर आएगा। आपकी बातों से और व्यवहार से लोगों को यह कभी नहीं लगना चाहिए कि आपको खुद पर अभिमान और अहंकार है। उन्हें यह तसल्ली चाहिए कि वक्ता भी एक दिन उनके ही जैसा था और धीरे-धीरे दूसरे लोगों की मदद से वह सफल हुआ। सफलता का यही मूलमंत्र है। किसी भी भाषण में जब तक दूसरों की प्रशंसा और अपने समूह की सामूहिक प्रशंसा नहीं करते तब तक स्वयं का गुणगान मत कीजिए।

हमेशा इन बातो का ध्यान रख्खे -
  • किसी का श्रेय मत छीनिए।
  • खुद का गुणगान मत कीजिए।
  • विजय और उपलब्धियों का श्रेय पहले दूसरों को दीजिए, फिर खुद लीजिए।
  • दूसरों की दिल खोलकर सच्ची प्रशंसा कीजिए।
  • दूसरों की निंदा अकेले में और खूबियों की चर्चा सबके सामने कीजिए।
  • एक सफल leader की तरह असफलता का जिम्मा अपने कंधों पर लीजिए।

10.अनचाहे शब्दों से बचिए

        इन्हें वर्बल वायरस यानी मौखिक वायरस कहा जाता है। ज्यादातर लोगों की रोजमर्रा की भाषा में धीरे-धीरे कुछ unwanted और unnecessary शब्द आ जाते हैं, जो सुनने में अच्छे नहीं लगते। कुछ लोग इन्हें style के लिए प्रयोग में लाते हैं, परंतु धीरे-धीरे वह style उनकी आदत बन जाती है। जिससे छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। अक्सर हिंदी के बीच में कुछ अंग्रेजी शब्द भी जगह बना लेते हैं।

        कुछ famous अनचाहे शब्द है - वाह, अम्म्म, अरे, अबे, यार, ओ के, उह i like, you know, oh, sort of आदि। अच्छे शब्दों को unnecessary repeat करना भी उन्हें अनचाहे की श्रेणी में ले आता है जैसे फ्रेण्डस, दोस्तों, कम ऑन, आदि। इन अनचाहे शब्दो से बचिए और अपने भाषण को बेहतर बनाइये।

☝ यह लिया गया है "सफल वक्ता सफल व्यक्ति" By Ujjwal Patni book से। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇


Post a Comment

Previous Post Next Post