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बातचीत और भाषण के 8 'C' सिद्धांत | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi

The 8 'C' Principles of Conversation and Speech | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi

बातचीत और भाषण के 8 'C' सिद्धांत | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi
बातचीत और भाषण के 8 'C' सिद्धांत | Safal Vakta Safal Vyakti By Ujjwal Patni in Hindi 

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। चाहे आप अपने ऑफिस में कोई रिपोर्ट पेश कर रहे हैं, एक सेल्समैन के रूप में उत्पाद की मार्केटिंग कर रहे हैं, शिक्षक के रूप में छात्रों को पढ़ा रहे हैं या एक भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हों, यह जरुरी है कि शब्दों का विस्तृत ज्ञान और उनका उपयोग करने की तकनीक आपको मालूम हो। तो इस पोस्ट में "सफल वक्ता सफल व्यक्ति" Book से 8 'C' सिद्धांत दिए जा रहे है जिनकी मदद से आप बोलने की कला के हर क्षेत्र में महारत हासिल कर सकते है।

1.CLARITY (स्पष्टता)

        चाहे सामान्य बातचीत हो या कोई भाषण, यदि आपके शब्द स्पष्ट नहीं होंगे तो श्रोता समझ नहीं पाएंगे। स्पष्ट कहने के लिए जरुरी है कि- आपको यह मालूम हो कि आप क्या कहना चाहते हैं। आपके पास वे शब्द हों जिनसे आप सरलता से दूसरे व्यक्ति को समझा सकें। आप जो कह रहे हो, आपकी body language वैसी ही हो। हम सबको यह भ्रम होता है कि हमारी बातें स्पष्ट होती है लेकिन एक बार फिर से ध्यान दें और दैनिक जीवन में गौर करें कि
  • क्या आपके साथी अक्सर आपसे बात दोहराने को या फिर से कहने को कहते हैं।
  • क्या दूसरों को आपकी बात समझने में अतिरिक्त ध्यान देना पड़ता है।
  • क्या अक्सर आपकी कही हुई बात को लोग गलत समझ लेते हैं।
  • क्या आपके साथ “एक बार फिर कहिए, माफ कीजिए, मैं सुन नहीं पाया, क्या आप स्पेलिंग बतलाएंगे, कृपया लिख कर दे दीजिए, पार्डन” ऐसे शब्द अक्सर उपयोग किए जाते है।
यदि इनका जवाब "हां" है तो अवश्य ही आप स्पष्ट नहीं कहते हैं और सायद आप यह गलतियां करते हो -

1. जल्दी-जल्दी बोलना

2. कठिन शब्दों का उपयोग

        बहुत से लोग श्रोताओं को प्रभावित करने के लिए और भाषा ज्ञान दिखाने के लिए कठिन शब्दों का उपयोग करते हैं जो सामान्य श्रोता की समझ से बाहर होते हैं। कई शिक्षक अपने छात्रों के बीच भाषा की कठिनता की वजह से लोकप्रिय नहीं होते। एक हिंदी के professor ने छात्रों के बीच एक example के last में कहा- उसका सूर्य अस्त हो गया, लौहपथगामिनी की चपेट में आकर प्राण पखेरू उड़ गए। किसी छात्र की समझ में कुछ नहीं आया तो एक साथी शिक्षक ने सरलता से कहा “रेल दुर्घटना में उनका देहांत हो गया।"

3. तकनीकी शब्दों का उपयोग

        श्रोताओं की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए तकनीकी शब्दों का उपयोग करें। कंप्यूटर के क्षेत्र में अवार्ड प्राप्त समीर मलकान को जब उनके गांव के समाज ने सम्मानित करने हेतु बुलाया तो आदत के अनुसार उन्होंने अपने भाषण में दिमाग की हार्ड डिस्क, गीगाबाइट, शरीर का हार्डवेयर, भावनाओं का साफ्टवेयर जैसे शब्दों का जमकर उपयोग किया। यदि कंप्यूटर शिक्षित श्रोता होते तो उन्हें बेहद तालियां मिलतीं लेकिन उस समारोह में सब लोग उनकी बात खत्म होने का बेसब्री से इंतजार करते रहे क्योंकि श्रोता इतने तकनीकी शब्दों से अनजान थे। इसलिए हमेशा सरल शब्दों का उपयोग करें।

4. धीमा बोलना

        कुछ लोग इतनी धीमी आवाज में बात करते हैं कि सामने वाले तक आधी बात पहुंचती है और आधी नहीं। अक्सर इनकी अस्पष्ट सी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता। इन्हें दब्बू और रिजर्व समझा जाता है और साथ ही इनकी टीम वर्क की योग्यता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया जाता है।

2.CONCRETENESS (ठोस)

        हालांकि 60-70% बात हम लोग सामान्य शैली में कहते हैं फिर भी सटीक अर्थ के लिए बातें ठोस होना जरूरी है। गोलमोल बातों से गलतफहमियां पैदा होती हैं। For Example यदि हमें होंडा सिटी कार के बारे में बोलना हो तो इसे ठोस रूप में ऐसे कहेंगे-

होंडा सिटी एक लग्जरी कार है, हमें यह नहीं कहना है कि होंडा सिटी एक वस्तु या कार या वाहन या चलित वस्तु है।

जितनी ठोस और स्पष्ट बात करेंगे, उतनी ज्यादा सफल होने की गुंजाइश होगी और गलतफहमियां कम होंगी।

3.CORRECTNESS (सही)

जो लोग सही नहीं बोल पा रहे है उनमे ये गलतिया मुख्य रूप से देखने में आती हैं

1. गलत उच्चारण

        अक्सर हिन्दी भाषी लोग इंग्लिश शब्दों के उपयोग के दौरान गलतियां करते हैं जैसे सेक्रेटरी को सेकेटरी, कांग्रचुलेशन को कांग्रुलेशन, कैरेक्टर को कैलेक्टर, प्रॉब्लम को प्रलाब्लम, गवर्नमेंट को गवरमेंट ऐसी गलतियां ज्यादातर सही उच्चारण न जानने से होती है लेकिन कभी-कभी जल्दबाजी में भी हो जाती है।

2. गलत व्याकरण (ग्रामर )

For Example - द शीतल इज कन्फ्यूज्ड - इसका सही वाक्य होगा - शीतल इज कन्फ्यूज्ड

        बातचीत और वक्तव्यों में ऐसी गलतियों की भरमार होती है जो जानकार श्रोताओं को विचलित कर देती है। जिस भाषा पर आपकी पकड़ और अच्छा ज्ञान हो उसी भाषा का उपयोग करें।

3. गलत बात/ गलत तथ्य

        जब आप जानकारी न होते हुए भी कोई गलत बात कहते हैं, ये सीधे-सीधे आपकी योग्यता और ज्ञान पर सवालिया निशान लगा देती है। तथ्यों को ढूढ़ते समय इसका विशेष ध्यान रखें।

4. लहजा

        हमारे देश में अलग-अलग प्रांतों में बोलने का लहजा अलग है, कभी-कभी लहजा बदलने से पूरा अर्थ बदल जाता है। Author के एक friend रायपुर के डॉ. संजय जैन ने एक किस्सा सुनाया। हुआ यूं - एक अधिकारी ने अपनी विदाई पार्टी में विभाग के लोगों को अंतिम लाइन कही -

ना गिला करता हूं, न शिकवा करता हूं।
तुम सलामत रहो, ये दुआ करता हूं।

        एक बंगाली भाषी कर्मचारी को ये लाइनें बेहद पसंद आई। एक अन्य कार्यक्रम में बंगाली बाबू ने अपने बंगाली लहजे में इन्हें यूं दोहराया -

ना गीला करता है, ना सूखा करता है।
तुम साला मत रहो, ये दुआ करता है।

        यह example क्षेत्रीय और भाषाई परिवर्तन को समझने के लिए बेहतरीन है। इस "C" का अवश्य ध्यान रखें अन्यथा शिक्षित और बुद्धिजीवी वर्गों में आप वक्ता के रूप में स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

4.CONCISENESS (संक्षिप्त)

        नेताओं, गुरुओं और समाजसेवकों को इस 'C' को सीखना अत्यन्त आवश्यक है। यह विडंबना है कि इन तीनों वर्गों को माइक पकड़ने के लिए नहीं बल्कि छोड़ने के लिए आग्रह करना पड़ता है। पूर्व नियोजित व योजनाबद्ध कार्यक्रमों में हर वक्ता को बोलने के लिए कुछ समय पहले से ही दिया जाता है। उसी समय में श्रेष्ठतम और अधिकतम कहना वक्ता की जिम्मेदारी होती है।

        अमेरिकन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रुजवेल्ट ने अपने पुत्र जेम्स को भाषण का मूल मंत्र दिया कि जब भी आपको बोलने को कहा जाए - सत्य कहो, सरल कहो, संक्षिप्त कहो, और स्थान ले लो

5.COLOUR (चित्रात्मक/ध्यान खींचने वाला)

        इससे Author का मतलब है, विशिष्ट चित्रात्मक या भावनात्मक वर्णन करना। एक ही अर्थ वाले वाक्यों को कई तरीकों से कहा जा सकता है और शैली और शब्द रचना बदलते ही उस वाक्य के प्रभाव में जबरदस्त परिवर्तन आता है। इससे आप श्रोताओं को अपनी बात के साथ किसी दृश्य की कल्पना करने को मजबूर कर सकते हैं। For Example:

        एक बार मैं अपनी कार से जा रहा था, अचानक मुझसे कुछ ही दूरी पर एक कार पलट गई। कार में एक दंपती और दो बच्चे थे। शायद वह पुरुष बेहद साहसी था। चोटिल होने के बाद भी उसने महिला और एक बच्चे को सकुशल बाहर निकाल लिया। दूसरा बच्चा अचेत था। डैशबोर्ड और सीट के बीच फंसा था। उसकी सांसें मंद होती जा रही थीं। उस व्यक्ति ने उस बच्चे को तुरंत कृत्रिम श्वांस (artificial respiration) दी और विभिन्न आपात पद्धतियों का उपयोग किया। कुछ ही क्षणों बाद उस बच्चे ने आँखें खोलीं और धीरे से कहा-पापा! उसके पिता ने उसे नवजीवन दे दिया।

        क्या हम और आप ऐसी परिस्थितियों में अपने बच्चों की रक्षा कर पाएंगे। यदि आपका जवाब नकारात्मक है तो आप जानते हैं आज आपको क्या करना है? आइए, आपातकालीन चिकित्सा सीखें।

        सारे सुनने वाले अंदर तक विचलित और चिंतित हो चुके थे और मनोयोग से सीखने को तैयार थे। अपनी बातों में हमें ऐसा रंग भरना कि हमारी शैली हमेशा दूसरों से अलग नजर आए।

6.COMMONSENSE (सामान्य ज्ञान)

यह लोक व्यवहार की कुंजी है। संसार के सभी ज्ञानों में सबसे महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान है।
  • क्यों बोलना है?
  • क्या बोलना है?
  • कहां बोलना है?
  • किससे बोलना है?
  • क़ब बोलना है?
        यह जानने और समझने के लिए सामान्य ज्ञान अति आवश्यक है जिसे हम 'कॉमनसेंस' कहते हैं। इस book को लिखते हुए Author ने कामनसेंस का विशेष ध्यान रखा है ताकि यह हर वर्ग के लिए उपयोगी सिद्ध हो सके। कामनसेंस का नियम कहता है कि जब भी आप बोलें, दूसरों की जाति, सम्प्रदाय, धर्म, परिवार, व्यवसाय, संस्कार और संस्कृति का सम्मान करें। उस व्यक्ति के स्वभाव को भी ध्यान में रखें। For Example:

        “Author को चिकित्सकों की एक पार्टी याद है जहां एक समाज सेवक को मुख्य अतिथि बनाया गया था। समाज सेवक ने भाषण प्रारंभ करते ही सीधा चिकित्सकों और चिकित्सा के व्यवसायीकरण का मुद्दा उठा दिया। चिकित्सक असहज हो उठे परन्तु वह व्यक्ति लगातार चिकित्सक समुदाय के आचरण की आलोचना करता रहा। आक्रोशित चिकित्सकों ने मुख्य अतिथि को जबरदस्ती मंच से नीचे उतार दिया और शर्मिन्दा होकर उन्हें कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा। चिकित्सकों की सभा में चिकित्सा जगत पर आघात करने वाले व्यक्ति में शायद कामनसेंस या सामान्य ज्ञान का अभाव था इसलिए यह परिणति हुई।”

        सामान्य बातचीत में भी लोग ऐसी गलती कर बैठते हैं। दूसरों से किसी निजी विवाद के बारे में, आर्थिक स्थिति के बारे में व पारिवारिक कलह जैसे विषयों पर सवाल पूछ बैठते हैं और विवाद पैदा हो जाता है।

7.CREATIVITY (रचनात्मक)

        आप जितने रचनात्मक और प्रयोगशील होंगे, उतने ही श्रोता आपसे प्रभावित होंगे। आपको बातचीत और भाषणों में विशिष्ट तत्त्व पैदा करने होंगे जिससे आप सुननेवालों को बांध कर रख सकें। शायरी, कहावत, लघु कहानी, संस्मरण, घटना, दुर्घटना आदि विशिष्ट सामग्री के माध्यम से अपना विशेष प्रभाव छोड़ सकते हैं।

        बातचीत में भी सुस्त और ऊबाऊ लोगों की संगत किसी को रास नहीं आती, सब ऊर्जा से भरे हंसमुख साथी चाहते हैं। दैनिक जीवन में हम बहुत से लोगों से मिलते हैं और कुछ दिन बाद भूल जाते हैं परंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं जो दिल पर स्थायी छाप छोड़ जाते हैं। यह छाप रचनात्मकता अर्थात क्रिऐटिविटी से पैदा होती है।

        आप भी शब्दों में, इशारों में और प्रस्तुति के समस्त क्षेत्रों में अपनी कल्पना शक्ति और रचनात्मकता से मौलिकता ले जिससे आपसे मिलने वाला व्यक्ति कभी आपको भूल न सके।

8.COURTESY (विनम्रता-सौजन्यता-शिष्टाचार)

        हृदय से धन्यवाद देना, गलतियों पर विनम्रता से क्षमा याचना करना और दूसरों के प्रति आदरभाव रखना, ये व्यक्तित्व के अनमोल गुण है। अपनी उपलब्धियों पर खुश होना मगर अहंकार से बचे रहना विनम्रता का ही रूप है।

        “महान प्रेरक डेल कारनेगी एक पार्टी में गये थे। एक भद्र महिला जो उनके बगल में बैठी थी, उन्होंने डेल से बात शुरू की। वह महिला लगातार लगभग दो घंटे बोलती रही और डेल चुपचाप सिर हिलाते हुए सुनते रहे, एक शब्द भी नहीं कहा। डेल के पास और कोई रास्ता भी नहीं था सिवाय सुनने के क्योंकि उठकर जाना अभद्रता होती। जैसे ही पार्टी खत्म हुई, उस महिला ने डेल से कहा- डेल-तुम एक अद्भुत वक्ता हो। डेल ने मन ही मन झुंझलाते हुए सोचा कि मैंने तो एक शब्द भी नहीं कहा। डेल जो कि अत्यंत विनम्र व्यक्ति थे, उन्होंने महिला के अनुरूप जवाब देते हुए कहा- आप भी अद्भुत श्रोता हैं। मुझे सुनने हेतु धन्यवाद।”

        भारत के सिनेमा सुपरस्टार अमिताभ बच्चन Author के आदर्श हैं। उनके जैसा विनम्र व्यक्ति Author ने दूसरा नहीं देखा। करोड़ों लोग उनकी झलक देखने को तरसते हैं लेकिन वे हमेशा दोनों हाथ जोड़े हुए अपनी सफलताओं का श्रेय दूसरों को देते हुए नजर आते हैं। फिल्मों में दिये गये उनके भाषण Author की कार्यशाला का अटूट हिस्सा है।

        जो लोग थोड़ी सी सफलता हासिल करते ही अहंकार में चूर हो जाते हैं, दूसरों से दुर्व्यवहार करने लगते हैं, उन्हें अमिताभ बच्चन जैसे शिखर पुरूष से सबक लेना चाहिए।

इस पोस्ट के मुख्य बिन्दु

  • अपनी बात विराम व अर्द्धविराम के साथ स्पष्टता से कहें।
  • गोलमोल और अस्पष्ट कहने की बजाय ठोस बाते कहें। जो कहें, सही कहें, उच्चारण, व्याकरण व विश्वसनीयता का ध्यान रखें।
  • संक्षिप्त कहें, कम शब्दों में ज्यादा कहने की कोशिश करें।
  • सभी ज्ञानों के ऊपर सामान्य ज्ञान को रखते हुए बात करें।
  • अपनी बातों में रचनात्मकता व मौलिकता पैदा करें।
  • विनम्रता और शिष्टाचार के नियमों का पालन करें।

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