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कॉपीकैट मार्केटिंग 101 - आपके दौलतमंद बनने की राह | Copycat Marketing 101 By Burke Hedges Book Summary In Hindi

Copycat Marketing 101 By Burke Hedges Book Summary In Hindi

Copycat Marketing 101 By Burke Hedges Book Summary In Hindi
कॉपीकैट मार्केटिंग 101 - आपके दौलतमंद बनने की राह

दो चीज़ों की बड़ी सख्त ज़रूरत है : पहली, अमीरों को यह पता चलना चाहिए कि ग़रीब लोग कैसे ज़िंदगी जीते हैं; और दूसरी, ग़रीबों को यह पता चलना चाहिए कि अमीर लोग कैसे काम करते हैं।
- जॉन फॉस्टर

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। ज़्यादातर औद्योगिक देशों (industrialized countries) में 95% काम करने वाले लोग कर्मचारी हैं... उनकी annual income 40,000 डॉलर से कम है और वे year में 2,000 डॉलर से कम बचा पाते हैं। ज़्यादातर लोगो को यह आँकड़े काफ़ी आकर्षक लगते होंगे, खास तौर पर 40,000 डॉलर से कम income वाले लोगों को। मगर reality यह है कि इस दुनिया के 95% लोग तेज़ी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं - वे तो बस जैसे-तैसे घिसटकर चल रहे है।

        आपका अंजाम क्या होगा? क्या आप ऐसे आर्थिक दरवाज़े खोल रहे हैं, जो आपको 95% लोगों में पहुँचा देंगे? या फिर आप ऐसे दरवाज़े खोल रहे हैं, जो आर्थिक स्वतंत्रता या दौलत की ओर ले जाएँगे, जैसा सिर्फ 5% लोगों के मामले में ही होता है? ज़्यादातर लोग 95% लोगो में शामिल इसलिए होते हैं, क्योंकि वे ग़लत लोगों की नक़ल करते हैं। जो सीमित salary, नीरस नौकरियों और आर्थिक पराधीनता की ओर ले जाते हैं। यदि आप 5% लोगो में शामिल होना चाहते है तो यह पोस्ट आप के लिए ही है। इस पोस्ट में "Copycat Marketing 101" By Burke Hedges Book से आप सीखेंगे कि आर्थिक स्वतंत्रता का रहस्य सिर्फ यह जानना है कि किसकी नक़ल की जाये।

1. हम नक़लचियों की दुनिया में रहते हैं

बच्चे कभी बड़ों की बात सुनने में माहिर नहीं होते। लेकिन वे उनकी नक़ल करने में कभी नहीं चुकते हैं।
-जेम्स बाल्डविन, लेखक

        हममें से हर एक को ख़ास गुणों और योग्यताओं का gift मिला है, जिनकी बदौलत हम unique बनते हैं। लेकिन हममें से हर व्यक्ति एक चीज़ में बड़ा माहिर होता है और वह चीज़ है नक़ल। नक़ल के क्षेत्र में हममें प्रतिभा कूट-कूटकर भरी है। हम कॉपीकैट (नक़ल करने में) जीनियस हैं! नक़ल करने के मामले में हम सभी बहुत अच्छे होते हैं,चाहे हम कहीं भी रहते हों या हमारी योग्यता कितनी भी हो। नक़ल उसी दिन से शुरू हो जाती है, जिस दिन हम पैदा होते हैं। हम भाषा, खान-पान, Hairstyle, चाल-ढाल, कपड़े पहनने की शैली - हर चीज़ की नक़ल करते हैं। जब हम नक़ल में इतने माहिर है तो फिर हम दौलत बनाने की नक़ल का तरीक़ा क्यों नहीं ढूंढ़ पाए?

        पैसा कमाने के क्षेत्र में भी हम नक़ल ही करते हैं। हज़ारों सालों तक किसानों के बेटे अपने पिता की नक़ल करके किसान बने मोचियों के बेटे मोची बने । इसी कारण हमारे बहुत से सरनेम व्यवसायों के नाम पर हैं, जैसे Farmer, Smith, Carpenter, Taylor वगैरह। औद्योगिक क्रांति के बाद फ़ार्मर, स्मिथ, कारपेंटर और टेलर जैसे सरनेम वाले लाखों बच्चों ने पुश्तैनी व्यवसाय छोड़ दिया और वे काम की एक नई अवधारणा - नौकरी - की नक़ल करने शहर आ गए।

        ज़िंदगी की लगभग हर चीज़ की तरह ही नक़ल का भी एक बुरा पहलू होता है। हम किसी चीज़ की नक़ल करते हैं, इसका यह मतलब नहीं होता कि वह अच्छी है। या कार्यकुशल है या उपयोगी है। दुर्भाग्य से, अक्सर सोचने के आलस की वजह से हम नक़ल का बहाना बना लेते हैं। ठीक यही होता है, अगर नौकरी करने से पहले हम अच्छी तरह सोच-विचार न कर लें कि हमने नौकरी का विकल्प क्यों चुना।

        Author के हिसाब से ज़्यादातर लोगों का यह मानना है कि नौकरी करना ही दौलत बनाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। सच्चाई कुछ और है। दरअसल, नौकरी से सच्ची दौलत नहीं बनती है - नौकरी से तो सिर्फ़ temporary income मिलती है। और दोनों में ज़मीन-आसमान का फ़र्क होता है।

        Author को लगता है कि अगर लोग जैसे-तैसे ज़िंदगी गुज़ारने के बजाय वाक़ई तरक्क़ी करना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी ग़लत मान्यताओं (misconceptions) को बाहर निकालना होगा और दौलत बनाने के लिए दूसरे तरीक़ों के प्रति अपने दिमाग को खोलना होगा। 95% लोग - यानी नौकरी वाले लोग जहा से शुरू करते है - वापस लौटकर उसी जगह पर आते रहेंगे, जहाँ से उन्होंने शुरू किया था। बहरहाल, मुझे यक़ीन है कि अगर हम अलग परिणाम पाने और 5% लोगों में शामिल होने के बारे में वाकई गंभीर हैं, तो हमें उन दरवाज़ों को खोलना होगा, जो दौलत बनाने की ओर ले जाते हैं।

2. "सच्ची" दौलत क्या है?

अगर आपको लोगों को बताना पड़े कि आप अमीर हैं, तो आप नहीं हैं।
- जो ई. ब्राउन, कॉमेडियन

        दौलत का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है। दौलत का मतलब यह नहीं है कि हम मनचाही चीज़े खरीद सके, हालाँकि यह फ़ायदा भी कुछ कम नहीं है। सच्ची दौलत का मतलब है पूरी स्वतंत्रता। Author के हिसाब से दौलत का मतलब इतना पैसा और समय होना है, ताकि आप जो चाहें, जब चाहें, कर सकें।

        ज्यादातर लोग सोचते हैं कि सच्ची दौलत का मतलब है ढेर सारा पैसा, जिससे आप भौतिक वस्तुएँ ख़रीद सरकें। बहरहाल, सबसे समझदार लोग समझते हैं कि सच्ची दौलत का मतलब ज़्यादा चीजें खरीदने में सक्षम होना ही नहीं है। इसका असल मतलब है अपनी मनचाही चीज़ें करने के लिए ज्यादा समय होना। इस बारे में सोचें। जब आप बुढ़ापे में किसी नर्सिंग होम के सामने वाले पोर्च में बैठकर अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी के बारे में सोचेंगे, तो आपको किस बात का ज़्यादा अफ़सोस होगा - ज़्यादा महँगा घर न ख़रीद पाने का ?... या अपने बच्चों के बचपन में उनके साथ ज़्यादा वक्त न गुज़ार पाने का? आपको किस बात का ज़्यादा अफ़सोस होगा - ऑफ़िस में प्रमोशन पाने के लिए चौबीसों घंटे काम न करने का? ... या अपने माता-पिता और दोस्तों के साथ ज़्यादा समय न बिता पाने का, जब उन्हें आपकी ज़रूरत थी? समय हमारी सबसे क़ीमती वस्तु है। इसका मोल सोने-चाँदी से भी बहुत ज्यादा है, क्योंकि एक बार जब यह चला जाता है, तो आप इसे दोबारा कभी नहीं पा सकते!

        क्या आप ऐसे मेहनती डॉक्टरों या वकीलों को जानते हैं, जो साल भर में 1,50,000 डॉलर से ज़्यादा कमाते हैं - लेकिन फिर भी खुश नहीं हैं? क्या वे सच्ची दौलत बना रहे हैं ? दौलत की definition के हिसाब से answer है, "नहीं!" Income कमाने का जाल कुछ इस तरह का होता है कि आप अपना समय देकर उसके बदले में डॉलर कमाते हैं। इसका मतलब है कि आपको पैसे तब तक नहीं मिलते हैं, जब तक कि आप खुद काम न करें। आमदनी कमाने वाले सिस्टम में 10 घंटों के काम के बदले में 10 घंटों की salary मिलती है।

        दुर्भाग्य से, income कमाने की चक्की अंतहीन है, जिसे लगातार पीसना पड़ता है। इसीलिए Author income कमाने को पैसे-के-बदले-समय का जाल कहते है। सबसे बुरी बात यह है कि जब चक्की रुक जाती है, तो income भी रुक जाती है। इसका मतलब है कि जो कर्मचारी बीमार हो जाते हैं... या घायल हो जाते हैं... या बर्नआउट से पीड़ित हो जाते हैं... तब उनकी income zero हो जाती है।

        सौभाग्य से, short-term income के अलावा एक दूसरी तरह की income भी होती है। इसे रेसिड्युअल (अवशिष्ट) income कहते हैं। short-term income के opposite रेसिड्युअल income तब भी पैसे कमाती है, जब आप काम पर नहीं जाते हैं! रेसिड्युअल income पैसे-के-बदले-समय का शिकार नहीं होती है, क्योंकि यह पैसे और समय की अदला-बदली पर depend नहीं होती।

        इस example से समझते है कि रेसिड्युअल income कैसे कमाई जाती है, एक व्यक्ति ने अपने समृद्ध करियर के last 40 years में अपनी कुल income का 10% बचाया और समझदारी से उसका निवेश किया। अब वे रिटायर हो चुके हैं, लेकिन आज उनके 1.5 मिलियन डॉलर म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेशित हैं, जो हर साल 10% कमा रहे हैं। इससे उनकी रेसिड्युअल आमदनी 1,50,000 डॉलर हो जाती है। हालाँकि उनकी income बहुत से अच्छे डॉक्टरों या वकीलों के समान है, लेकिन इसे कमाने के तरीक़े में बहुत फ़र्क है। अब आप बताइये कि, आप कौन सी आमदनी पाना चाहेंगे - short-term income?...या फिर रेसिड्युअल income?

        मेहरबानी करके यह समझ लें कि Author नौकरियों को बुरा नहीं कह रहे हैं। वे तो नौकरी से मिलने वाले परिणामों को बुरा कह रहे है। अगर नौकरी करने से सच्ची दौलत बनती होती, तो वे सबसे पहले हम सबको नौकरी की राह पर चलने की सलाह देते। लेकिन ऐसा नहीं होता है - यही इसकी कठोर, कटु सच्चाई है! सच्चाई यह है कि आप आमदनी कमाने वाले सिस्टम की नक़ल करके कभी सच्ची दौलत नहीं बना पाएँगे, क्योंकि यह सामान्य वृद्धि पर आधारित है। सच्ची दौलत बनाने का सिस्टम लीवरेज्ड ग्रोथ पर आधारित होता है। जिसके बारे में इस पोस्ट में आगे बताया जा रहा है।

3. सामान्य वृद्धि : पैसे-के-बदले-समय-देना

सारा दिन काम करो, घास पर जियो। जब तुम मरते हो, तो स्वर्ग नहीं जाते हो।
-जो हिल, 1920 के दशक के यूनियन ऑर्गेनाइज़र

        ज़्यादातर कर्मचारी 40/40/40 plan पर चलते हैं यानि वे हफ्ते में 40 घंटे काम करते हैं... 40 साल तक ऐसा करते हैं... और रिटायर होते time उन्हें रिटायरमेंट डिनर के साथ 40 डॉलर की घड़ी मिलती है! लेकिन हमारी तेज़ी से बदलती दुनिया में बहुत सी चीज़ों की तरह ही 40/40/40 plan भी पुराना हो गया है। आज हममें से ज़्यादातर लोग 50/50/50/50 plan पर चलने लगे हैं। आजकल हम week में 50 घंटे काम करते हैं...साल में 50 हफ्ते काम करते हैं।... 50 साल तक ऐसा करते हैं।... और रिटायर होने पर हमें अपने salary का 50% हिस्सा मिलता है, जिस पर हम आज भी गुज़ारा नहीं कर पाते हैं! 50/50/50/50 plan income कमाने का आदर्श उदाहरण है. क्योंकि यह सामान्य वृद्धि पर आधारित है। सामान्य वृद्धि वाली आमदनी का formula है :

H(hourly wage) ⤬ N (number of hours worked) = I (income)
प्रति घंटे तनख़्वाह ⤬ काम के घंटे = आमदनी

        2008 में सीईओ की salary 10.5 मिलियन डॉलर थी और कर्मचारी की salary 30,000 डॉलर थी। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि कंपनी के एक व्यक्ति की value तो 10.5 मिलियन डॉलर हो, जबकि उसी कंपनी के सामान्य कर्मचारी की value सिर्फ 30,000 डॉलर हो? आपके मन में यह question आ रहा होगा, यह कैसे हो सकता है? इस question का answer है। लीवरेज। देखिए, जब आम कर्मचारी डॉलर की ख़ातिर समय की अदला-बदली करता है, तो उसकी income सामान्य तरीक़े से बढ़ रही है। कर्मचारी की income उसी की 100% कोशिशों का नतीजा है। दूसरी ओर, सीईओ अपने कर्मचारियों के माध्यम से अपने समय और योग्यताओं की लीवरेजिंग करता है। अपनी 100% कोशिशों की बजाय वह अपने सभी कर्मचारियों की कोशिशों का एक निश्चित हिस्सा कमाता है। जे. पॉल गेटी ने कहा था, मैं अपनी 100% कोशिशों के बजाय 100 व्यक्तियों की कोशिशों का 1% कमाना चाहूँगा। इसीलिए लीवरेजिंग में इतना दम है - आप पूरे समूह की कोशिशों का थोड़ा सा हिस्सा कमाते हैं।

4. लीवरेज वाली वृद्धि : ज्यादा कड़ी नहीं, बल्कि ज्यादा स्मार्ट मेहनत करना
व्यस्त होना ही काफ़ी नहीं है; चींटियाँ भी व्यस्त रहती हैं। असल सवाल तो यह है : हम किस काम में व्यस्त हैं?
-हेनरी डेविड थोरो

        लीवरेज आखिर क्या है? लीवरेज शब्द लीवर से बना है, जो एक पुराने फ़्रेंच शब्द से आया है, जिसका मतलब है, "ज़्यादा हल्का बनाना।" यह लीवरेज की शक्ति का सटीक वर्णन है। कुछ लीवर्स या औज़ारों का समझदारी से use करके difficult काम कम कोशिश से कम time में किए जा सकते हैं, जिससे वे काम वाक़ई "ज़्यादा हल्के" हो जाते हैं।

        लीवरेज का इस्तेमाल करके सदियों से मेहनती लोग अपने कामों को "ज्यादा हल्का बना रहे हैं - यानी ज़्यादा लाभकारी और उत्पादक बना रहे हैं। उत्पादकता में वृद्धि का यही मतलब है : ज़्यादा मेहनत के बजाय ज़्यादा स्मार्ट तरीक़े से काम करना। ऐसा तरीक़ा खोजना, जिससे काफ़ी कम time में काफ़ी ज़्यादा पैसा बनाया जा सके।

        लीवरेज वाली वृद्धि कैसे काम करती है यह कोका-कोला के example से समझते है। एक दिन कैंडलर का एक अच्छा friend उनके ऑफ़िस में आया। उसने दावा किया कि अगर कैंडलर उसे एक मोटी रक़म दें, तो वह उन्हें एक ऐसा राज़ बता सकता है, जिससे कोका-कोला के profit में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी। दोनों में दिन भर काफ़ी मोल-भाव हुआ। आख़िरकार कैंडलर की जिज्ञासा (curiosity) ने जवाब दे दिया और उन्होंने अपने friend के नाम एक चेक काट दिया। Friend ने चेक लिया और फिर आगे झुककर कैंडलर के कान में दो छोटे शब्द कहे: bottle it! (इसे बोतल में बेचो!) जिनसे एक world famous brand का जन्म हुआ। सौभाग्य से कैंडलर इतने समझदार थे कि उन्होंने अपने friend की सलाह पर अमल कर लिया। और बाक़ी history देख ले।

        बोतल में आने से पहले कोक पीने के लिए आपको अपने क़रीबी सोडा फ़ाउंटेन जाना पड़ता था। बोतल में आने से पहले कोक की बिक्री तभी बढ़ सकती थी, जब सोडा फ़ाउंटेन्स की संख्या बढ़े। बॉटलिंग से यह सब बदल गया। अब दुनिया का लगभग हर व्यक्ति अपने घर में आराम से बैठकर कोका-कोला के ताज़गी भरे पेय का आनंद ले सकता है, चाहे दिन हो या रात। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कोका-कोला कंपनी में इतनी समझदारी थी कि उसने अपना प्रॉडक्ट बोतल में बेचकर समय, प्रयास और जगह की लीवरेजिंग की।

        कर्मचारियों को नौकरी पर रखना वह सबसे स्पष्ट तरीक़ा है, जिससे बिज़नेस मालिक अपने समय की लीवरेजिंग करते हैं। फ़ोर्ड मोटर कंपनी से लेकर सोनी तक दुनिया की लगभग हर बड़ी कंपनी एक अकेले मालिक से शुरू हुई, जिसने कर्मचारियों के माध्यम से अपने समय और योग्यताओं की लीवरेजिंग की।

        फ्रैंचाइज़िंग ने लीवरेजिंग की अवधारणा को रियल एस्टेट ऑफ़िससे भी ज़्यादा ऊँचे स्तर पर पहुँचा दिया। हालाँकि फ़्रैंचाइज़िंग काफ़ी समय से हमारे बीच मौजूद थी, लेकिन 1950 के दशक तक इसे "वैध" व्यवसाय के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। फ़्रैंचाइज़िंग का सितारा तब चमका, जब रे क्रॉक नामक मिल्क शेक अप्लाएंस सेल्समैन ने मैकडॉनल्ड्स नामक फ़ास्ट-फूड रेस्तराँ के फ्रैंचाइज़ी अधिकार ख़रीदे।

        फ्रैंचाइज़िंग की अवधारणा इतनी कारगर इसलिए है, क्योंकि यह बहुत सरल है। यह आदर्श जीत/जीत स्थिति होती है, जिसमें फ्रैंचाइज़ी देने और लेने वाले दोनों को ही फ़ायदा होता है। अगर मॉडल आज़माया हुआ है और आम आदमी उसकी नक़ल कर सकता है, तभी फ्रैंचाइइज़िंग सफल हो सकती है। बहरहाल, अगर मॉडल की सफलता लाखों-करोड़ों में एक "सितारे" की प्रतिभा पर निर्भर है, तो फ़्रैंचाइज़िंग सफल नहीं हो सकती, क्योंकि उस सितारे की नक़ल नहीं की जा सकती। अभिनेता टॉम क्रूज़ एक फ़िल्म के दो करोड़ डॉलर लेते हैं। इसकी वजह यह है कि वे बेजोड़ सितारे हैं। उनकी बदौलत ज़बर्दस्त आमदनी की जा सकती है। जब टॉम क्रुज़ किसी फ़िल्म में होते हैं, तो इस बात की गारंटी सी रहती है कि फ़िल्म पैसे बनाएगी - ढेर सारे पैसे!

5. तीव्र घातांकीय वृद्धि (Rapid Exponential Growth) : दौलत बनाने का फ़ॉर्मूला

अगर आप अमीर बनना चाहते हैं, तो बस किसी ऐसे व्यक्ति को खोज लें, जो बहुत सारे पैसे बना रहा हो और वही करें, जो वह कर रहा है।
-जे. पॉल गेटी

        Exponential Growth को ओसियोला मैकुकार्टी नाम की 88 साल की धोबन की story से समझते है। यह story आपकी आँखें खोल देगी और आप दुनिया में दौलत बनाने वाले लीवरेज के सबसे powerful, सबसे सर्वसुलभ रूप को देख सकेंगे। इसे चक्रवृद्धि (compounding) कहा जाता है और इसमें रंक को राजा बनाने की शक्ति होती है। ओसियोला मैकुकार्टी की ज़िंदगी मुश्किल थी। दूसरे ग्रेड में ही उन्हें स्कूल की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। आठ साल की उम्र में ही वे पड़ोसियों के कपड़े धोने और प्रेस करने में अपनी माँ की मदद करने लगीं। सत्तर साल बाद भी ओसियोला धोबन का ही काम कर रही थीं।

        Second World War के अंत तक वे एक बंडल के डेढ़-दो डॉलर लेती थीं - बंडल का मतलब था चार लोगों के परिवार की हफ्ते भर की लॉन्ड्री। युद्ध के बाद उन्होंने भाव बढ़ाकर 10 डॉलर प्रति बंडल कर दिए। अपने सबसे अच्छे साल में भी, दिन में 10 घंटे काम करने और week में छह दिन तक काम करने के बाद भी ओसियोला को कभी 9,000 डॉलर से ज़्यादा income नहीं हुई।

        40 साल की उम्र में ओसियोला आख़िरकार पैसे save करने में कामयाब हुईं। उन्होंने अपनी saving एक स्थानीय बैंक में जमा कर दी और उसे पलटकर नहीं देखा। वक्त के साथ उनकी बचत बढ़ती गई और मूल धन तथा saving पर interest बढ़ता चला गया। 1995 की गर्मियों में ओसियोला मैकुकार्टी ने - जो प्राइमरी स्कूल की ड्रॉप-आउट थीं और जिनकी income कभी एक साल में 9,000 डॉलर से ज़्यादा नहीं रही - यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न मिसिसिपी को 1,50,000 डॉलर का दान दिया!

        ऐसा कैसे possible हुआ? लगभग अशिक्षित और औसत से कम income वाली आम महिला इतनी दौलत कैसे इकट्ठी कर पाई? ओसियोला के खुद के शब्दों में, "दौलत बनाने का रहस्य है compounding interest।"

        वेब्स्टर ने चक्रवृद्धि व्याज को इस तरह परिभाषित किया है: "मूल धन और संग्रहीत ब्याज दोनों पर ब्याज का भुगतान।" इस परिभाषा में प्रमुख शब्द है "संग्रहीत।" अगर दोबारा निवेश करने के बजाय मूल धन या ब्याज को खर्च कर दिया जाए, तो चक्रवृद्धि की शक्ति कम हो जाती है। चक्रवृद्धि को "दोगुना होने की अवधारणा" (doubling concept) भी कहा जाता है। इसने इतिहास में जितनी दौलत पैदा की है, उतनी किसी निवेश साधन ने नहीं की।Compounding की बदौलत आपका पैसा आपके लिए हमेशा काम करता रहता है, भले ही आप काम न कर रहे हों। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने तो Compounding को "संसार का 8वाँ अजूबा" कहा था। वाक़ई Compounding दौलत बनाने का ऐसा सिद्धांत है, जो वॉल स्ट्रीट और बैंकिंग उद्योग को चलाता है।

        तीव्र घातांकीय वृद्धि की ज़बर्दस्त शक्ति को ज़्यादा अच्छी तरह समझने के लिए आइए हम 72 के नियम की दोगुनी करने वाली अवधारणा पर नज़र डालते हैं। 72 का नियम एक सरल फ़ॉर्मूला है, जिससे आप यह पता लगा सकते हैं कि कोई निवेश कितने सालों में दोगुना होगा।

        इसका तरीक़ा यह है : निवेशित राशि कितने साल में दोगुनी होगी, यह पता लगाने के लिए सबसे पहले तो वार्षिक ब्याज दर मालूम करें। फिर 72 में ब्याज दर का भाग दे दें। जवाब में आने वाली संख्या बताती है कि कितने साल में आपका पैसा दोगुना हो जाएगा। मिसाल के तौर पर, मान लें कि आपने 10,000 डॉलर की राशि शेयर बाज़ार में लगाई है, जिससे आपको 10 प्रतिशत का सालाना लाभ होता है (पिछले 50 सालों में शेयर बाज़ार का सालाना लाभ 10 प्रतिशत है)।

72 के नियम का उदाहरण
10,000 डॉलर का मूल निवेश
निवेश पर 10 प्रतिशत लाभ
72÷ 10 =7.2 साल

        चक्रवृद्धि से तीव्र घातांकीय वृद्धि की शक्ति की आदर्श मिसाल देखना चाहेंगे? यह है दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक वॉरेन बफ़ेट द्वारा स्थापित इनवेस्टमेंट फ़ंड। अगर आप बफ़ेट द्वारा 1956 में स्थापित बर्कशायर हैथअवे फ़ंड में 10,000 डॉलर का निवेश करते और साल दर साल डिविडेंड का दोबारा निवेश करते, तो आज आपका निवेश 8 करोड़ डॉलर हो जाता! असंभव लगता है, है ना ?... सिफ्फ 10,000 डॉलर के निवेश से 8 करोड़ डॉलर की रक्म!

        मैं चक्रवृद्धि को "आम आदमी का लीवरेज" कहता हूँ और ओसियोला मैकुकार्टी उसकी आदर्श मिसाल हैं। पिछले point में लीवरेज के दो अन्य प्रकारों के बारे में बात हुई थी - कर्मचारी और फ्रैंचाइज़िंग। ये दोनों ही लीवरेजिंग के शक्तिशाली साधन हैं। लेकिन उनसे फ़ायदा उठाने के लिए आपके पास या तो बहुत सारा पैसा होना चाहिए या फिर बहुत सारी योग्यता होनी चाहिए।

        दूसरी ओर, लगभग हर व्यक्ति चक्रवृद्धि की ज़बर्दस्त शक्ति से फ़ायदा उठा सकता है। चक्रवृद्धि दौलत बनाने के तीव्र घातांकीय सिस्टम की रीढ़ है। यह आपके समय, योग्यताओं, मेहनत और पैसे के लीवरेज का बड़ा सशक्त साधन है। आगे पोस्ट में आप जो कॉपीकैट सिस्टम सीखने जा रहे हैं, वह चक्रवृद्धि की दो सबसे बड़ी सीमाओं को ख़त्म कर देता है - समय और पैसा। आज ज़्यादातर लोगों के पास निवेश करने के लिए 1,00,000 डॉलर या 50,000 डॉलर ...यहाँ तक कि 10,000 डॉलर की बचत भी नहीं है। और अगर है भी, तो वे इसकी तीव्र घातांकीय वृद्धि के लिए 40-50 साल तक इंतज़ार नहीं करना चाहते। जीवन-यापन का ख़र्च आसमान छूने लगा है और दो आमदनी वाले परिवारों को भी ख़र्च चलाने में मुश्किल आ रही है। ऐसे में मेहनत से कमाए पैसे के निवेश का विचार उतना कारगर नहीं लगता। एक तो उनकी बचत न के बराबर है और दूसरे, उनकी वर्तमान समस्याएँ आरामदेह रिटायरमेंट की भावी उम्मीद पर भारी पड़ जाती हैं।

6. सिनर्जी : स्वर्ग में बना जोड़ा

अगर आपने आसमान में महल बनाए हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका काम निरर्थक है। महल तो वहीं होने चाहिए। अब बस उनके नीचे नींव रख दे।
-हेनरी डेविड थोरो

        सिनर्जी को इस कहानी से समझते है:- अर्नेस्ट हाम्वी नामक एक संकल्पवान अप्रवासी (immigrant) 1905 के विश्व मेले में पेपर-थिन पर्शियन वैफ़ल्स बेचने की पूरी कोशिश कर रहा था। वह सूरज उगने से डूबने तक खड़ा रहता था... अपने वैफ़ल स्टैंड के पास से गुज़रने वाले हर व्यक्ति को मुफ़्त सैंपल भी देता था... लेकिन किसी चीज़ से सफलता नहीं मिल रही थी। कोई भी उसके वैफ़ल्स नहीं ख़रीद रहा था।

        वह यह देख-देखकर और भी ज़्यादा दुखी था कि उससे दो बूथ छोड़कर लगे आइसक्रीम बूथ पर भीड़ लगी रहती थी। हर दिन मेले में घूमने वाले हज़ारों लोग गर्मी और भूख से परेशान होकर अर्नेस्ट के सूने वैफ़ल बूथ के पास से गुज़रते थे और आइसक्रीम बूथ के सामने लाइन में खड़े हो जाते थे। अर्नेस्ट दिन भर देखता था कि आइसक्रीम बेचने वाला दोनों हाथों से कमाई कर रहा था। यह जले पर नमक छिड़कने जैसा था! एक गर्म, भीड़ भरी दोपहर को अर्नेस्ट की क़़िस्मत अचानक पलट गई। आइसक्रीम इतनी तेज़ी से बिक रही थी कि वह जिस कप में भरकर बेची जा रही थी, वे कप ही ख़त्म हो गए। आइसक्रीम वाला दौड़कर अर्नेस्ट के वैफ़ल स्टैंड तक आया और अतिरिक्त प्लेट्स माँगने लगा।

        अर्नेस्ट के पास एक भी प्लेट नहीं थी। उसके पास तो नर्म, मीठे पर्शियन वैफ़ल्स के ढेर थे, जिन्हें कोई free में भी लेने को तैयार नहीं था। अचानक अर्नेस्ट के मन में एक idea आया। क्यों न वह अपने वैफ़ल का एक कोन बना ले, जिसमें आइसक्रीम बेची जा सके। उसने अपने idea पर अमल करते हुए वैफ़ल का कोन बनाया और यह जादू की तरह कामयाब हुआ - और यह आइसक्रीम कोन के साथ दुनिया की प्रेम कहानी की शुरुआत थी।

        आइसक्रीम कोन का संग सिनर्जी की अवधारणा का बेहतरीन example है। इसका मतलब है कि दो अलग-अलग प्रॉडक्ट्स या अवधारणाओं का तालमेल अक्सर इसके हिस्सों के योग से ज़्यादा होता है। आइसक्रीम कोन सक्रिय सिनर्जी की मिसाल है :

आइसक्रीम का स्वाद अच्छा होता है।
वैफ़ल्स का स्वाद अच्छा होता है।
उन्हें एक साथ मिला दें - उनका स्वाद गज़ब का होता है!

7. नेटवर्क मार्केटिंग : सर्वोच्च कॉपीकैट सिस्टम!

मैंने हमेशा महसूस किया है कि मुझे आविष्कारक नहीं - सिर्फ अच्छा नक़लची बनना है।
-मैक्स कूपर, मैकडॉनल्ड्स के 45 फ्रैंचाइज़ीज़ के मालिक

        डुप्लीकेशन या नक़ल ही फ़रैंचाइज़िंग की सफलता की कुंजी है। Compounding के ज़रिए Rapid exponential growth ही दौलत बनाने का समय सिद्ध तरीक़ा है। इसीलिए Author नेटवर्क मार्केटिंग को "सर्वोच्च सिनर्जी" (ultimate synergism) कहते है - यह फ़्रैंचाइज़िंग के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं को... Rapid exponential growth की अवधारणा के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं के साथ मिला देती है।

        एक बड़ा व लाभकारी फ्रैंचाइज़ी बनाना दरअसल वैसा ही है, जैसा कि एक बड़ी, लाभकारी नेटवर्क मार्केटिंग डिस्ट्रिब्यूटरशिप बनाना। दोनों के लिए आपको हुनरमंद नक़लची के रूप में अपनी ईश्वर द्वारा मिली योग्यताओं का लाभ उठाने की ज़रूरत होती है। नेटवर्किंग के माध्यम से आप फ्रैंचाइज़िंग जैसी अवधारणा की नक़ल करते हैं, जिससे सच्ची दौलत मिलती है। दूसरी ओर, नौकरी के मार्ग की नक़ल करने से आपको सिर्फ temporary income ही मिलती है।

        फ़रैंचाइज़िंग और नेटवर्क मार्केटिंग दोनों ही पहले से बने सिस्टम पर based है। आपकी सफलता नए प्रयोग नहीं, बल्कि नकल करने की आपकी योग्यता पर depend करती है। आप पहले से बने सिस्टम की नक़ल में जितने माहिर होंगे, उतने ही ज़्यादा सफल बनेंगे। चाहे आप नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में कभी भी शामिल हों, आप हमेशा अपनी कंपनी के मुखिया होते हैं... और आपका हर स्वतंत्र डिस्ट्रिब्यूटर भी अपनी कंपनी का मुखिया होता है। यह सचमुच सीईओज़ का नेटवर्क है।

        दूसरे शब्दों में, फ्रैंचाइज़ी के मालिक हमेशा सामान्य वृद्धि (Linear growth) के चक्र में ही फँसे रहेंगे, चाहे वे कितने ही फ्रैंचाइज़ी के owner बन जाएँ। फ्रैंचाइज़ी बिज़नेस का सामान्य वृद्धि का चार्ट कुछ इस तरह दिखेगा:


        चाहे आप कितने ही अतिरिक्त फ्रैंचाइज़ी के मालिक बन जाएँ, वृद्धि हमेशा सामान्य ही रहेगी। इसका मतलब है कि आप कभी भी अपने छह फ्रैंचाइज़ीज़ के कुल लाभ से ज़्यादा नहीं कमा सकते।

        दूसरी तरफ, हम यह मान लेते हैं कि आप स्वतंत्र डिस्ट्रिब्यूटर्स के बढ़ते हुए नेटवर्क के मुखिया हैं। समय के साथ आपने छह प्रमुख डिस्ट्रिब्यूटर्स को स्पॉन्सर कर लिया है। आपने उन्हें अपनी नक़ल करना सिखा दिया है और इसकी बदौलत उन्होंने भी छह प्रमुख डिस्ट्रिब्यूटर्स को स्पॉन्सर कर लिया है। उनमें से हर डिस्ट्रिब्यूटर सिस्टम की नक़ल करता है और छह अन्य डिस्ट्रिब्यूटर्स को स्पॉन्सर कर लेता है। इस तरह यह सिलसिला चलता रहता है। आपके नेटवर्किंग बिज़नेस का Rapid exponential growth चार्ट कुछ इस तरह दिखेगा :


        जैसा आप साफ़-साफ़ देख सकते हैं, छह डिस्ट्रिब्यूटर्स को स्पॉन्सर करके और उन्हें अपने कामों की नक़ल करना सिखाकर आप अपने बिज़नेस की लीवरेजिंग करेंगे और सैकड़ों "वैकल्पिक फ्रैंचाइज़ी" (सिर्फ़ छह पारंपरिक फ़्रैंचाइज़ीज़ के विपरीत) तैयार कर लेंगे।

निष्कर्ष : अब आपकी बारी है!

सेना के हमले का प्रतिरोध किया जा सकता है। लेकिन उस विचार का नहीं, जिसका समय आ चुका हो।
-विक्टर ह्यूगो

        इस पोस्ट को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीक़ा प्रकृति के सबसे अच्छे नक़लची प्रोसेशनरी कैटरपिलर - की कहानी से होना चाहिए। इन आकर्षक छोटे कीड़ों का यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि उनमें लाइन में चलने की अजीब आदत होती है - एक के पीछे एक।

        कैटरपिलर्स अपने साथियों के behaviour की नक़ल करने में माहिर होते हैं। दरअसल, उन्हें और कुछ आता ही नहीं है, सिर्फ नक़ल करना आता है। उनकी "झुंड प्रवृत्ति" (herd instinct) इतनी शक्तिशाली होती है कि वे एक-दूसरे के पीछे चलते रहते है - एक वक्त में कई मील।

        बरसों पहले एक फ्रांसीसी scientist ने एक अनौपचारिकexperiment करके यह पता लगाने की कोशिश की कि प्रोसेशनरी कैटरपिलर की झुंड प्रवृत्ति कितनी शक्तिशाली होती है। उसने एक बड़े फूलदान के गोल घेरे (rim) पर कुछ कैटरपिलर्स रख दिए। भीतर कैटरपिलर्स की प्रिय पत्तियों का आहार और ताज़े पानी की भरपूर मात्रा थी। कैटरपिलर्स आगे वाले कैटरपिलर के पीछे-पीछे फूलदान के गोल घेरे में ही घूमते रहे। वे बिना रुके . घंटों .. दिनों तक चलते रहे।

        आश्चर्यजनक बात यह थी कि भोजन और पानी कैटरपिलर्स से सिर्फ़ कुछ इंच ही दूर थे। लेकिन नक़ल करने की प्रवृत्ति इतनी शक्तिशाली थी कि एक भी कैटरपिलर ने चक्र नहीं तोड़ा। सात दिन तक लगातार चलने के बाद सभी कैटरपिलर थकान और भूख-प्यास से मर गए।

        प्रोसेशनरी कैटरपिलर की तरह ही हम इंसानों में भी झुंड प्रवृत्ति होती है। इसी वजह से हम इतने बेहतरीन नक़लची होते हैं। सौभाग्य से हमारी सोचने की योग्यता हमारी झुंड प्रवृत्ति को संतुलित कर देती है। चूँकि हम सोच सकते हैं और तर्क कर सकते हैं, इसलिए हम चुनाव कर सकते हैं, जबकि कीड़े-मकोड़े अपने सहज बोध या भाव के रहमोकरम पर ही निर्भर होते हैं ।

        प्रोसेशनरी कैटरपिलर के विपरीत इंसान झुंड से अलग होने का विकल्प चुन सकते हैं। हम उन लोगों की नक़ल करना बंद कर सकते हैं, जिनका सिस्टम हमें क़र्ज़... निर्भरता...शंका, और बहुत सारे लोगों के मामले में, तबाही की ओर ले जाएगा! या फिर हम उन लोगों की नक़ल करना शुरू करने का विकल्प चुन सकते हैं, जिनका सिस्टम हमें समृद्धि और प्रचुरता की ओर ले जाएगा। आपकी स्थिति कैसी है? क्या आप प्रोसेशनरी कैटरपिलर जैसे हैं, जो अंधों की तरह अपने सामने वाले कैटरपिलर की योजना की नक़ल कर रहे हैं, जब तक कि आपका अंत भी 95% "इंसानी प्रोसेशनरी कैटरपिलर्स" जैसा न हो जाए - स्वर्गवासी...कड़के...या सरकारी पेंशन पर गुज़ारा करने वाले ? या फिर आप समूह से अलग होने के इच्छुक हैं और सच्ची दौलत की ओर ले जाने वाली एक आज़माई हुई योजना की नक़ल करके 5% लोगों में पहुँचना चाहते हैं?

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