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सीक्रेट्स ऑफ़ द मिलियनेअर माइंड | Secrets of the Millionaire Mind By T. Harv Eker Book Summary In Hindi

Secrets of the Millionaire Mind By T. Harv Eker Book Summary In Hindi

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Secrets of the Millionaire Mind By T. Harv Eker Book Summary In Hindi
       💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। इस पोस्ट में सीक्रेट्स ऑफ़ द मिलियनेअर माइंड by T. Harv Eker book, की summary दी जा रही है , जो आपको बतायेगी, क्यों कुछ लोगों का अमीर बनना और बाक़ी लोगों का ग़रीब बने रहना तय होता है। सफलता, दोयमता (mediocrity) या वित्तीय असफलता के मूल कारण क्या है। बचपन में हम पर पड़े प्रभाव किस तरह हमारा वित्तीय ब्लूप्रिंट तैयार करते हैं और हमें असफलता दिलाने वाले विचारों तथा आदतों की और ले जाते हैं। यह जानने के बाद आप अपने भविष्य को बेहतर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। अगर आप सफलता की मूल जड़ो के बारे में सीखना चाहते है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े..........


सबसे पहले बात करते है धन के ब्लूप्रिंट के बारे में ➤

Author एक बहुत ही महत्वपूर्ण फ़ॉर्मूला बताते है। यह फ़ॉर्मूला तय करता है कि आप अपनी वास्तविकता और दौलत किस तरह उत्पन्न करते हैं। वह फार्मूला है -

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आपका वित्तीय ब्लूप्रिंट धन के क्षेत्र में आपके विचारों (Thoughts), भावनाओं (Feelings) और कार्यों (Actions) के तालमेल का परिणाम (Result) है। तो धन का आपका ब्लूप्रिंट कैसे बनता है? जवाब आसान है। आपका वित्तीय ब्लूप्रिंट मुख्यत: उस जानकारी या "प्रोग्रामिंग" से बनता है, जो आपको अतीत में मिली है, ख़ास तौर पर बचपन में।

इस प्रोग्रामिंग के मूल स्रोत कौन हैं? ज़्यादातर लोगों के मामले में इस सूची में उनके माता-पिता, अभिभावक, भाई-बहन, दोस्त, सम्मानित लोग, शिक्षक, धर्मगुरु, मीडिया और संस्कृति शामिल होंगे। अब फार्मूला कुछ ऐसा हो जाता है -

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आपकी प्रोग्रामिंग (Programming) आपके विचारों (Thoughts) को उत्पन्न करती है; आपके विचार आपकी भावनाओं (Feeling) को उत्पन्न करते हैं; आपकी भावनाएँ आपके कार्यों (Actions) को उत्पन्न करती हैं; आपके कार्य आपके परिणामों (Results) को उत्पन्न करते हैं।

इसलिए, पर्सनल कंप्यूटर की तरह ही आप भी अपनी प्रोग्रामिंग बदलकर अपने परिणामों को बदलने की दिशा में पहला क़दम उठा लें। हमरे जीवन के हर क्षेत्र में, जिसमें धन भी शामिल है, तीन मूल तरीक़ों से प्रोग्रामिंग होती हैं :

1.शाब्दिक प्रोग्रामिंग (verbal programming): बड़े होते समय आपने धन, दौलत और अमीर लोगों के बारे में क्या सुना था? क्या आपने इस तरह के वाक्य सुने थे : पैसा ही सारी बुराई की जड़ है। मुसीबत के समय के लिए पैसे बचाएँ। अमीर लोग लालची होते हैं। अमीर लोग अपराधी होते हैं। अमीर लोग बदमाश होते हैं। पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पैसा पेड़ों पर नहीं उगता है। आप एक साथ अमीर और आध्यात्मिक नहीं हो सकते। पैसा ख़ुशी नहीं ख़रीद सकता। पैसा गंदा होता है। पैसा हम जैसे लोगों के लिए नहीं है। हर कोई अमीर नहीं बन सकता। और सबसे मशहूर वाक्य, हम इसका ख़र्च नहीं उठा सकते?

यही असली मुद्‌दा है। आपने पैसे के बारे में बचपन में जो भी सुना है, वह सब आपके अवचेतन मस्तिष्क के उस ब्लूप्रिंट में रहता है, जो आपके वित्तीय जीवन को चला रहा है।

2.मॉडलिंग (अनुसरण): आपने बचपन में क्या देखा था? जब आप बड़े हो रहे थे, तो पैसों के मामले में आपके माता-पिता या अभिभावक कैसे थे? क्या उनमें से एक ने या दोनों ने अपने धन का अच्छा Management किया या ख़राब Management किया? वे फ़िज़ूलख़र्च थे या किफायती? वे चतुर निवेशक थे या वे निवेश ही नहीं करते थे? वे जोखिम लेने वाले थे या सुरक्षित मानसिकता वाले थे? उनके पास पैसा टिका रहता था या फिर पैसे के मामले में हमेशा उतार-चढ़ाव का सिलसिला चलता रहता था? आपके परिवार में पैसा आसानी से आता था या फिर इसके लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता था? पैसा आपके परिवार में ख़ुशी का स्रोत था या फिर इसे लेकर हमेशा बहस होती रहती थी?

यह जानकारी महत्वपूर्ण क्यों है? शायद आपने यह कहावत सुनी होगी, "बंदर जैसा देखते हैं, वैसा ही करते हैं।" इंसान भी ज़्यादा पीछे नहीं हैं। बचपन में हम हर चीज़ अनुसरण से ही सीखते हैं।

3.विशेष घटनाएँ: आपने बचपन में क्या अनुभव किया था? बचपन में धन-दौलत और अमीर लोगों के मामले में आपके अनुभव कैसे थे? ये अनुभव बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये आपकी धारणाओं - या भ्रमों - को आकार देते हैं, जिनके अनुरूप आप जी रहे हैं।

अब हमें पता चल गया है कि हमारा ब्लूप्रिंट कैसे बनता है। इस ब्लूप्रिंट को बदलने के लिये Author हमें सत्रह तरीक़े दे रहे है, जिनसे यह पता चलता हे कि अमीर लोग ग़रीब और मध्य वर्गीय लोगों से अलग तरह से सोचते और काम करते हैं।

#1 अमीर लोग मानते हैं "मैं अपनी ज़िंदगी ख़ुद बनाता हूँ।" ग़रीब लोग मानते हैं "ज़िंदगी में मेरे साथ घटनाएँ होती हैं।"

       अगर आप दौलत उत्पन्न करना चाहते हैं, तो यह मानना अनिवार्य है कि आप अपने जीवन, ख़ास तौर पर अपने वित्तीय जीवन, के स्टियरिंग व्हील पर बैठे हैं। अगर आप ऐसा नहीं मानते हैं, तो इसका मतलब यह है कि अपने जीवन पर आपका बहुत कम नियंत्रण है या नियंत्रण है ही नहीं और इसीलिए अपनी वित्तीय सफलता पर भी आपका बहुत कम नियंत्रण है या नियंत्रण है ही नहीं। यह अमीरों का नज़रिया नहीं है। आपको यह यक़ीन करना होगा कि धन और सफलता के मामले में आप ही अपनी सफलता का निर्माण करते हैं, आप ही अपनी दोयमता का निर्माण करते हैं और आप ही अपने संघर्ष का निर्माण करते हैं। चेतन या अचेतन रूप से ज़िम्मेदार आप ही हैं।

       जीवन में होने वाली घटनाओं की ज़िम्मेदारी लेने के बजाय ग़रीब लोग पीड़ित (victim) की भूमिका निभाने का चुनाव करते हैं। पीड़ित लोगों का प्रमुख विचार अक्सर "बेचारा मैं" होता है। इसलिए इरादे के नियम के कारण पीड़ित लोगों को यही मिलता है : वे "बेचारे" ही बने रहते हैं।

       दोष देना, ख़ुद को सही ठहराना और शिकायत करना दवा की गोलियों की तरह हैं। ये असफलता के तनाव को कम करती हैं। आगे से जब आप ख़ुद को दोष मढ़ते, सही ठहराते या शिकायत करते सुनें, तो तत्काल रुक जाएँ। ख़ुद को याद दिलाएँ कि आप अपने जीवन का निर्माण कर रहे हैं और हर पल सफलता या असफलता को आकर्षित कर रहे हैं। यह बेहद ज़रूरी है कि आप अपने विचारों और शब्दों का चयन सावधानी से करें!

#2 अमीर लोग पैसे का खेल जीतने के लिए खेलते हैं। ग़रीब लोग पैसे का खेल हार से बचने के लिए खेलते हैं।

       ग़रीब लोग पैसे का खेल आक्रामक नहीं, सुरक्षात्मक तरीक़े से खेलते हैं। Author पूछते है : अगर आप किसी खेल को पूरी तरह सुरक्षात्मक खेलते हैं, तो उस मैच में आपके जीतने की कितनी संभावना है? बहुत ही कम या बिलकुल भी नहीं। ज़्यादातर लोग पैसे का खेल इसी तरह से खेलते हैं। दौलत और प्रचुरता उत्पन्न करने के बजाय वे हमेशा बचे रहने और सुरक्षित रहने की ही चिंता करते रहते हैं। अब बताएँ, आपका लक्ष्य क्या है? आपका उद्‌देश्य क्या है? आपका सच्चा इरादा क्या है?

       अमीर लोगों का लक्ष्य प्रचुर दौलत और समृद्धि होता है। सिर्फ़ थोड़ा पैसा नहीं, बल्कि ढेर सारा पैसा। दूसरी तरफ़, ग़रीब लोगों का बड़ा लक्ष्य क्या होता है? "बिल चुकाने लायक़ पैसे ... अगर समय पर मिल जाएँ, तो चमत्कार होगा!" यदि आपका इरादा बिल चुकाने लायक़ पैसा पाना है, तो आपको उतना ही मिलेगा - सिर्फ़ बिल चुकाने लायक़ ... इससे एक पैसा भी ज़्यादा नहीं मिलेगा।

       जो लोग वित्तीय दृष्टि से सिर्फ़ आरामदेह होते हैं, वे आम तौर पर खाने की चीज़ का फ़ैसला मीनू के right हिस्से की तरफ़ देखकर करते हैं, जहाँ क़ीमतें लिखी रहती हैं। मूल मुद्‌दा यह है : अगर आपका लक्ष्य आरामदेह बनना है, तो इस बात की संभावना है कि आप कभी अमीर नहीं बन पाएँगे। लेकिन अगर आपका लक्ष्य अमीर बनना है, तो इस बात की संभावना है कि आप बहुत आरामदेह तो बन ही जाएँगे।

#3 अमीर लोग अमीर बनने के प्रति समर्पित होते हैं। ग़रीब लोग अमीर बनना चाहते हैं।

       अगर आप लोगों से यह पूछें कि क्या वे अमीर बनना चाहते हैं, तो ज़्यादातर लोग आपकी ओर ऐसे देखेंगे, जैसे आप पागल हो गए हों। वे कहेंगे, "ज़ाहिर है, मैं अमीर बनना चाहता हूँ।" बहरहाल, सच्चाई यह है कि ज़्यादातर लोग वास्तव में अमीर नहीं बनना चाहते हैं। क्यों? क्योंकि उनके अवचेतन मन में दौलत की बहुत सारी नकारात्मक फ़ाइलें रहती हैं, जो उनसे कहती हैं कि अमीर बनने में कुछ ग़लत है।

       कई लोगों का धन का ब्लूप्रिंट उन्हें बताता है कि अमीर बनना शानदार क्यों होगा और यह भी बताता है कि अमीर बनना इतना शानदार क्यों नहीं होगा। इसका मतलब है कि दौलत के बारे में उनके आतरिक संदेश मिले-जुले होते हैं। उनका एक हिस्सा ख़ुशी से कहता है, "ज़्यादा पैसे का मतलब है ज़िंदगी में ज़्यादा मज़ा।" लेकिन दूसरा हिस्सा चीख़ता है "हाँ, लेकिन मुझे गधे की तरह काम करना पड़ेगा! इसमें क्या मज़ा है?" एक हिस्सा कहता है, "मैं दुनिया भर की सैर कर सकूँगा।" लेकिन तभी दूसरा हिस्सा कहता है, "हाँ और दुनिया का हर आदमी मेरे सामने मदद का हाथ फैलाएगा।" ये मिले-जुले संदेश मासूम लग सकते हैं, लेकिन सच तो यह है कि यही वे प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से ज़्यादातर लोग कभी अमीर नहीं बन पाते हैं।

#4 अमीर लोग बड़ा सोचते हैं। ग़रीब लोग छोटा सोचते हैं।

       इसे इस example से समझते है : Author के बिज़नेस में कुछ Trainers एक समय में बीस लोगों के छोटे समूहों को सिखाना पसंद करते हैं। कई Trainers कमरे में सौ participants के साथ आरामदेह होते हैं। बाक़ी पाँच सौ लोगों को सिखाना पसंद करते हैं और कुछ तो हज़ार से पाँच हज़ार या इससे ज़्यादा participants को सिखाना पसंद करते हैं। क्या इन Trainers की आमदनी में अंतर है? बिलकुल है! और नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस पर ग़ौर करें। अगर एक व्यक्ति की डाउनलाइन में दस लोग हों और दूसरे व्यक्ति की डाउनलाइन में दस हज़ार लोग हों तो क्या उनकी आय में अंतर होगा? निश्चित रूप से होगा!

       जिस पल Author ने रिटेल फ़िटनेस बिज़नेस में जाने का विचार किया, उसी पल से Author का इरादा सौ सफल स्टोर खोलकर लाखों लोगों को प्रभावित करना था। दूसरी तरफ़, Author से छह महीने बाद काम शुरू करने वाली उनकी प्रतियोगी का इरादा सिर्फ़ एक सफल स्टोर खोलना था। अंत में, उसे अच्छी आमदनी मिली, जबकि Author अमीर बन गए ! आप अपनी ज़िंदगी कैसे जीना चाहते हैं? आप खेल को कैसे खेलना चाहते हैं? आप मेजर लीग में खेलना चाहते हैं या माइनर लीग में? बड़े-बड़ों में या छुटभैयों में? आप बड़ा खेलना चाहते हैं या छोटा? चुनाव आपका है।

#5 अमीर लोग अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ग़रीब लोग बाधाउरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

       अमीर लोग अवसरों को देखते हैं। ग़रीब लोग बाधाओं को देखते हैं। अमीर लोग विकास की संभावनाएँ देखते हैं। ग़रीब लोग हानि की आशंकाएँ देखते हैं। अमीर लोग पुरस्कारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ग़रीब लोग जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

       ग़रीब लोग डर के आधार पर विकल्प चुनते हैं। उनका दिमाग़ लगातार यह खोजता है कि किसी स्थिति में क्या ग़लत है या ग़लत हो सकता है। उनकी मूलभूत मानसिकता होती है, "अगर यह काम नहीं करेगा, तो क्या होगा?" या अक्सर, "यह काम नहीं करेगा।" मध्य वर्गीय लोगो की मानसिकता होती है, "मुझे उम्मीद है कि यह काम करेगा।" और अमीर लोग अपने जीवन में मिलने वाले परिणामों की ज़िम्मेदारी लेते हैं और इस मानसिकता से काम करते हैं, "यह काम करेगा, क्योंकि मैं इससे काम करवाऊँगा।"

#6 अमीर लोग दूसरे अमीर और सफल लोगों की प्रशंसा करते हैं। ग़रीब लोग अमीर और सफल लोगों से द्वेष रखते हैं।

       ग़रीब लोग अक्सर दूसरों की सफलता को द्वेष और ईर्ष्या भरी दृष्टि से देखते हैं। या वे कहते हैं "वे बहुत खुशक़िस्मत हैं," या फिर बुदबुदाते हैं, "घटिया अमीर लोग।" आपको यह एहसास करना होगा कि अगर आप अमीर लोगों को किसी भी तरह, प्रकार या आकार से बुरा मानते हैं और ख़ुद अच्छा बनना चाहते हैं, तो आप कभी अमीर नहीं बन सकते। आप वैसे व्यक्ति कैसे बन सकते हैं, जिससे आप नफ़रत करते हैं? कई ग़रीब मानते हैं कि अमीर लोगों के कारण ही वे ग़रीब हैं। "हाँ, यह सही है, अमीर लोगों ने सारा पैसा हड़प लिया इसलिए मेरे लिए कुछ भी नहीं बचा।" ज़ाहिर है, यह पीड़ित व्यक्ति (victim) का आदर्श वाक्य है।

#7 अमीर लोग सकारात्मक और सफल लोगों के साथ रहते हैं। गरीब लोग नकारात्मक और असफल लोगों के साथ रहते हैं।

       सफल लोग दूसरे सफल लोगों को Inspiration की तरह देखते हैं। वे दूसरे सफल लोगों को रोल मॉडल की तरह देखते हैं, जिनसे सीखा जा सकता है। वे खुद से कहते हैं, "अगर वे यह काम कर सकते हैं, तो मैं भी कर सकता हूँ।" दौलत बनाने का सबसे तेज़ और आसान तरीक़ा यह सीखना है कि अमीर लोग यानी पैसे के महारथी यह खेल किस तरह खेलते हैं। आपका लक्ष्य उनकी अंदरूनी और बाहरी रणनीतियों की नकल करना है।अगर आप उनके जैसे काम कर सकें और उनके जैसी मानसिकता रख सकें, तो इस बात की अच्छी संभावना है कि आपको उनके जैसे परिणाम भी मिलेंगे।

       जब ग़रीब लोग दूसरों की सफलता के बारे में सुनते हैं, तो वे अक्सर उनकी ख़ामियाँ खोजते हैं, आलोचना करते हैं, खिल्ली उड़ाते हैं और उन्हें खींचकर अपने स्तर तक लाने की कोशिश करते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति को नीचा दिखाते हैं, तो आप उससे कुछ कैसे सीख सकते हैं या प्रेरणा कैसे पा सकते हैं? Author का परिचय किसी बहुत अमीर व्यक्ति से कराया जाता है, तो वे उसके साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने का तरीक़ा खोजते है। वे उससे बात करना चाहता है और यह जानना चाहता है कि वह कैसे सोचता है।

       कुछ समय पहले Author से किसी महिला ने पूछा : "अगर मैं सकारात्मक हूँ और तरक़्की करना चाहती हूँ, लेकिन मेरा पति बिलकुल नकारात्मक है, तो मैं क्या करूँ? क्या उसे छोड़ दूँ? या फिर उसे बदलने की कोशिश करूँ? मैं क्या करूँ?" Author ने जवाब में कहा, पहली बात, नकारात्मक लोगों को बदलने की कोशिश करने की जहमत न उठाएँ। उनकी दिशा बदलकर उन्हें सही दिशा में लाने की कोशिश न करें। यह आपका काम नहीं है। आपका काम तो सीखी हुई बातों पर अमल करके ख़ुद को और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाना है। रोल मॉडल बनें, सफल बनें, सुखी बनें, फिर शायद - और मैं शायद पर जोर देता हूँ - वे आपमें रोशनी देख लेंगे और आप जैसा बनना चाहेंगे। एक बार फिर, ऊर्जा संक्रामक होती है। अँधेरा प्रकाश में ग़ायब हो जाता है। जब आस-पास प्रकाश हो, तो लोगों को दरअसल "अँधेरे" में रहने में बहुत मुश्किल आती है। आपका काम तो यही है कि यथासंभव अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में रहें। अगर वे आपसे इसका रहस्य पूछने का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें बता दें।

#8 अमीर लोग अपना और अपने मूल्य का प्रचार करने के इच्छुक होते हैं। ग़रीब लोग बेचने और प्रचार के बारे में नकारात्मक राय रखते हैं।

       Author की कंपनी पीक पोटेंशियल्स ट्रेनिंग एक दर्जन से ज़्यादा Training चलाती है। शुरुआती सेमिनार में यानी आम तौर पर मिलियनेअर माइंड इनटेंसिव में Author अपने अन्य कोर्सों के बारे में संक्षेप में बताते हैं और इसके बाद participants को "सेमिनार" के ख़ास डिसकाउंट्‌स और बोनसों की जानकारी देते हैं। ज़्यादातर लोग रोमांचित हो जाते हैं। बाकी कोर्सों की जानकारी और डिसकाउंट पाना उन्हें अच्छा लगता है। जबकी, कुछ लोग ज़रा भी रोमांचित नहीं होते हैं। उन्हें किसी भी तरह के प्रचार से चिढ़ होती है, भले ही उससे उन्हें लाभ मिल सकता हो। अगर आप भी ऐसे ही हैं, तो यह आपका एक महत्वपूर्ण लक्षण है, जिस पर ग़ौर किया जाना चाहिए।

       प्रचार से चिढ़ना सफलता की राह में एक बहुत बड़ी बाधा है। जो लोग बेचने और प्रचार करने से चिढ़ते हैं, वे आम तौर पर कड़के होते हैं। यह स्पष्ट है। आप अपने बिज़नेस या सेल्समैनशिप में भारी आमदनी कैसे कर सकते हैं, अगर आप लोगों को यही न बताएँ कि आप, आपका प्रॉडक्ट या आपकी सेवा मौजूद है? कर्मचारी के रूप में भी अगर आप अपने गुणों का प्रचार नहीं करना चाहते हैं, तो कोई दूसरा इच्छुक व्यक्ति कंपनी की सीढ़ी पर आपसे आगे निकल जाएगा।

#9 अमीर लोग अपनी समस्याओं से ज़्यादा बड़े होते हैं। ग़रीब लोग अपनी समस्याओं से ज़्यादा छोटे होते हैं।

       अमीर बनना पार्क में टहलने जितना आसान नहीं है। यह तो एक ऐसी यात्रा है, जिसमें बहुत से मोड़ हैं, घुमाव हैं, मुश्किलें हैं और बाधाएँ हैं। दौलत की राह में बहुत से जाल और गड्‌ढे हैं और इसीलिए ज़्यादातर लोग इस पर नहीं चलते हैं। वे मुश्किलें, सिरदर्द और जिम्मेदारियाँ नहीं चाहते हैं। संक्षेप में, वे समस्याएँ नहीं चाहते हैं।

       ग़रीब लोग समस्याओं से बचने के लिए लगभग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। वे चुनौती देखकर भाग खड़े होते हैं। विडंबना यह है कि समस्याओं से बचने की अपनी कोशिश में वे सबसे बड़ी समस्या को आमंत्रित कर लेते हैं ... वे कंगाल और दुखी हैं। मेरे दोस्तो, सफलता का रहस्य समस्याओं से बचने या उनसे पीछा छुड़ाने या उनसे कतराने की कोशिश करना नहीं है; रहस्य तो ख़ुद को इतना बड़ा बनाना है कि आप किसी भी समस्या से ज़्यादा बड़े बन जाएँ।

#10 अमीर लोग उत्कृष्ट प्राप्तकर्ता होते हैं। ग़रीब लोग खराब प्राप्तकर्ता होते हैं।

       अधिकांश लोग खराब "प्राप्तकर्ता" (receivers) होते हैं। देने के मामले में वे अच्छे हों या न हों, लेकिन पाने के मामले में वे निश्चित रूप से ख़राब होते हैं। और चूँकि वे पाने के मामले में ख़राब होते हैं, इसलिए उन्हें कुछ नहीं मिलता है! लोगों को कई कारणों से पाने में दिक्कतें आती हैं। कई लोग खुद को नाक़ाबिल या अयोग्य मानते हैं। यह बीमारी हमारे पूरे समाज में फैली हुई है। 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोगों की नसों में यह भावना बह रही है कि वे पर्याप्त अच्छे नहीं हैं।

       यह जान लें कि आप क़ाबिल हैं या नहीं, यह एक गढ़ी गई "कहानी" है। किसी चीज़ का कोई अर्थ नहीं होता है, सिवाय उस अर्थ के जो हम उसे देते हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो पैदा होते ही "ठप्पे" की लाइन में खड़ा हो गया हो। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि हर व्यक्ति के पैदा होने के बाद ईश्वर उसके माथे पर ठप्पा लगा रहा हो? "क़ाबिल ... नाक़ाबिल ... क़ाबिल ... क़ाबिल ... नाक़ाबिल। कोई भी आप पर "क़ाबिल" या "नाक़ाबिल" का ठप्पा नहीं लगाता है। यह काम आप ख़ुद करते हैं। यह तस्वीर आप ख़ुद बनाते हैं। इसका फ़ैसला आप ख़ुद करते हैं। आप, और सिर्फ़ आप, ही यह तय करते हैं कि क्या आप क़ाबिल बनने वाले हैं। यह सीधे-सीधे आपका दृष्टिकोण होता है। अगर आप कहते हैं कि आप क़ाबिल हैं, तो आप हैं। अगर आप कहते हैं कि आप क़ाबिल नहीं हैं, तो आप नहीं हैं। दोनों ही तरह से आप अपनी लिखी कहानी के अनुसार जीवन जिएँगे।

#11 अमीर लोग अपने परिणामों के आधार पर भुगतान का विकल्प चुनते हैं। ग़रीब लोग अपने लगाए गए समय के आधार पर भुगतान चाहते हैं।

       क्या आपने कभी यह सलाह सुनी है : "स्कूल जाओ, अच्छे नंबर लाओ, अच्छी नौकरी करो, स्थायी वेतन पाओ, समय पर काम पर जाओ, कड़ी मेहनत करो ... और फिर तुम हमेशा सुखी रहोगे?" दुर्भाग्य से, यह समझदारी भरी सलाह परी कथाओं की पुस्तक से आती है। स्थायी वेतन पाने में कुछ ग़लत नहीं है, बशर्ते यह अपनी पूरी क़ाबिलियत के मुताबिक अधिकतम कमाने की आपकी क्षमता में हस्तक्षेप न करे। यही तो दिक़्कत है।

       ग़रीब लोग भुगतान के लिए स्थायी तनख़्वाह या घंटे के आधार पर पारिश्रमिक पाने का चुनाव करते हैं। उन्हें "सुरक्षा" के इस एहसास की ज़रूरत होती है कि हर महीने उनके पास निश्चित राशि आ रही है। वे यह जानते ही नहीं हैं कि इस सुरक्षा की एक क़ीमत होती है और वह क़ीमत है दौलत।

       अमीर लोग अपने परिणामों के आधार पर भुगतान पाना पसंद करते हैं, अगर पूरी तरह नहीं, तो कम से कम आंशिक रूप से ही सही। अमीर लोग आम तौर पर किसी न किसी तरह अपने ख़ुद के बिज़नेस के मालिक होते हैं। वे अपने लाभ से अपनी आमदनी हासिल करते हैं। अमीर लोग कमीशन या लाभ के प्रतिशत पर काम करते हैं। वे ऊँची तनख़्वाह के बजाय स्टॉक ऑप्शन या लाभ में हिस्सेदारी लेने का विकल्प चुनते हैं। ग़ौर करें कि इन चीज़ों में कोई गारंटी नहीं होती है। जैसा पहले बताया जा चुका है, पैसों की दुनिया में पुरस्कार आम तौर पर जोखिम के अनुपात में होते हैं। अमीर लोगों को ख़ुद पर यक़ीन होता है। उन्हें अपने मूल्य और इसे जनता तक पहुँचाने की अपनी योग्यता पर यक़ीन होता है। ग़रीब लोगों को ख़ुद पर यक़ीन नहीं होता है। इसीलिए उन्हें "गारंटी" की ज़रूरत होती है।

#12 अमीर लोग ''यह भी और वह भी" सोचते हैं। ग़रीब लोग ''यह या वह" सोचते हैं।

       अमीर लोग प्रचुरता की दुनिया में जीते हैं। ग़रीब लोग सीमाओं की दुनिया में जीते हैं। दोनों एक ही भौतिक संसार में रहते हैं, लेकिन उनके नजरिए में ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ होता है। ग़रीब और अधिकांश मध्य वर्गीय लोग अभाव में जीते हैं। वे इन सूत्रों के आधार पर जीते हैं, जैसे "इतना ही है जो मिल सकता है, कभी पर्याप्त नहीं होता है और आपको हर चीज़ नहीं मिल सकती।" और हालाँकि आपको शायद "हर चीज़" नहीं मिल सकती, जैसे दुनिया की सारी चीज़ें, लेकिन आपको निश्चित रूप से "हर वह चीज़ मिल सकती है, जिसे आप सचमुच चाहते हैं।"

       आप सफल कैरियर चाहते हैं या अपने परिवार के साथ मधुर संबंध चाहते हैं? दोनों! आप बिज़नेस पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं या मौज-मस्ती करना चाहते हैं? दोनों! आप जीवन में पैसा चाहते हैं या सार्थकता? दोनों! आप दौलत कमाना चाहते हैं या अपना मनचाहा काम करना चाहते हैं? दोनों! ग़रीब लोग हमेशा किसी एक को चुनते हैं; अमीर लोग दोनों को चुनते हैं।

#13 अमीर लोग अपनी नेट वर्थ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ग़रीब लोग अपनी आमदनी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

       जब पैसे की बात आती है, तो हमारे समाज में लोग आम तौर पर यह सवाल पूछते हैं, "आपकी आमदनी कितनी है?" आप यह सवाल बहुत कम सुनते हैं, "आपकी नेट वर्थ कितनी है?" बहुत कम लोग इस तरह से बात करते हैं। ज़ाहिर है, इस तरह की बात अमीरों के कंट्री क्लब में ही सुनाई देती है।

       कंट्री क्लब्स में वित्तीय चर्चा लगभग हमेशा नेट वर्थ पर केंद्रित होती है : "जिम ने हाल ही में अपने स्टॉक ऑप्शन बेचे हैं। उसकी नेट वर्थ तीन मिलियन से ज़्यादा हो गई है। पॉल की कंपनी अभी-अभी सार्वजनिक हुई है। अब उसकी नेट वर्थ आठ मिलियन हो गई है। स्यू ने अपना बिज़नेस बेच दिया है। उसकी नेट वर्थ अब बारह मिलियन हो गई है।" कंट्री क्लब में आप यह नहीं सुनेंगे, "हे, क्या तुमने सुना कि जो की तनख़्वाह बढ़ गई है? हाँ, और दो प्रतिशत जीवन-निर्वाह भत्ता अलग से?"

       अमीर लोग आमदनी और नेट वर्थ के भारी अंतर को समझते हैं। आमदनी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह आपकी नेट वर्थ तय करने वाले चार तत्वों में से सिर्फ़ एक तत्व है। नेट वर्थ के ये चार तत्व हैं :

1.आमदनी

2.बचत

3.निवेश

4.सरलीकरण

#14 अमीर लोग अपने पैसे का अच्छा प्रबंधन करते हैं। ग़रीब लोग अपने पैसे का बुरा प्रबंधन करते हैं।

       वित्तीय सफलता और वित्तीय असफलता के बीच का सबसे बड़ा फ़र्क़ यह है कि आप अपने पैसे का प्रबंधन किस तरह करते हैं। सरल सी बात है : पैसे का मालिक बनने के लिए आपको उसका प्रबंधन करना होगा। ग़रीब लोग या तो अपने पैसे का बुरा प्रबंधन करते हैं या फिर पैसे के विषय से बिलकुल ही कतराते हैं। बहुत से लोग अपने पैसे का प्रबंधन करना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि एक तो उन्हें लगता है कि इससे उनकी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है और दूसरे, वे कहते हैं कि उनके पास प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त पैसे ही नहीं हैं।

       जहाँ तक पहले बहाने का सवाल है, धन का प्रबंधन करने से आपकी स्वतंत्रता सीमित नहीं होती है - इसके विपरीत, आपकी स्वतंत्रता बढ़ जाती है। अपने पैसे का प्रबंधन करने से आपको वित्तीय स्वतंत्रता मिल जाएगी, जिससे आपको दोबारा कभी काम करने की ज़रूरत नहीं होगी। यही असली स्वतंत्रता है।

       जहाँ तक उन लोगों का सवाल है, जो "मेरे पास प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त पैसे ही नहीं हैं" का तर्क देते हैं, वे दरअसल टेलिस्कोप के ग़लत सिरे से देख रहे हैं। वे कहते हैं, "जब मेरे पास बहुत सारा पैसा होगा, तो मैं इसका प्रबंधन शुरू करूँगा," जबकि सच्चाई तो यह है, "जब मैं पैसे का प्रबंधन शुरू करूँगा, तो मेरे पास बहुत सारा पैसा होगा।"

#15 अमीर लोग पैसे से अपने लिए कड़ी मेहनत करवाते हैं। ग़रीब लोग अपने पैसे के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

       अगर आप अधिकांश लोगों जैसे हैं तो बचपन से आपकी प्रोग्रामिंग इस तरह हुई होगी कि "आपको पैसे के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।" बहरहाल, ज़्यादा संभावना इस बात की है कि आप इस तरह की महत्वपूर्ण कंडीशनिंग के साथ बड़े नहीं हुए होंगे कि आप "पैसे से अपने लिए कड़ी मेहनत करवाएँ।"

       बेशक कड़ी मेहनत महत्वपूर्ण है लेकिन सिर्फ़ कड़ी मेहनत करके आप कभी अमीर नहीं बन सकते। हम यह बात कैसे जानते हैं? अपने आस-पास की दुनिया पर एक नजर डालकर ख़ुद देख लें। करोडों - नहीं इसे अरबों कर लें - लोग दिन-रात बुरी तरह काम करते हैं और अपना खून-पसीना एक कर देते हैं। क्या वे सभी अमीर हैं? नहीं! उनमें से ज़्यादातर या तो कंगाल हैं या उसके बहुत क़रीब हैं।

       दूसरी तरफ़, दुनिया के कंट्री क्लबों में मनोरंजन कौन करता है? दोपहर में गोल्फ़, टेनिस या तैराकी के शौक कौन पूरे करता है? कौन हर दिन शॉपिंग करता है और हर सप्ताह छुट्‌टियाँ मनाता है? अमीर लोग, और कौन! हम एक बात साफ समझ लें : अमीर बनने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी, यह विचार बकवास के सिवाय कुछ नहीं है!

       अमीर लोग दिन भर खेल सकते हैं, और आराम कर सकते हैं क्योंकि वे स्मार्ट तरीक़े से काम करते हैं। वे लीवरेज के सिद्धांत को समझते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं। वे दूसरे लोगों को नौकरी पर रख लेते हैं, जो उनके लिए काम करते हैं। इसके अलावा, वे अपने पैसे से भी अपने लिए काम करवाते हैं। हाँ, ये सच है कि आपको पैसे के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। बहरहाल, अमीर लोगों के लिए यह स्थिति अस्थायी होती है। ग़रीब लोगों के लिए यह स्थायी होती है। अमीर लोग जानते हैं कि "आपको" तब तक कड़ी मेहनत करनी होती है, जब तक कि आपका "पैसा" आपकी जगह कड़ी मेहनत न करने लगे। वे यह बात समझते हैं कि आपका पैसा जितना ज़्यादा काम करेगा, आपको उतना ही कम काम करना पड़ेगा।

#16 अमीर लोग डर के बावजूद काम करते हैं। ग़रीब लोग डर के कारण रुक जाते हैं।

       विचारों और भावनाओं की ओर देखें। वे अंदरूनी जगत का हिस्सा हैं या बाहरी जगत का? अंदरूनी जगत का। अब परिणामों की ओर देखें। वे किस जगत का हिस्सा हैं? बाहरी जगत का। इसका मतलब है कि काम अंदरूनी और बाहरी जगत के बीच का "पुल" है। अगर काम इतना महत्वपूर्ण है, तो हमें कौन सी चीज़ उस काम को करने से रोक रही है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि हमें वह करना ही चाहिए?

       डर, शंका और चिंता सबसे बड़ी बाधाओं में से हैं, न सिर्फ़ सफलता, बल्कि ख़ुशी की राह में भी। अमीरों और ग़रीबों के बीच एक बड़ा अंतर यह भी है कि अमीर लोग डर के बावजूद काम करने के इच्छुक होते हैं। ग़रीब लोग डर के कारण रुक जाते हैं। लोग सबसे बड़ी ग़लती यह करते हैं कि वे काम करने से पहले डर की इस भावना के कम होने या ख़त्म होने का इंतज़ार करते हैं। आम तौर पर ये लोग हमेशा इंतज़ार ही करते रहते हैं।

#17 अमीर लोग लगातार सीखते और विकास करते हैं। ग़रीब लोग सोचते हैं कि वे पहले से ही सब कुछ जानते हैं।

       अगर आप सचमुच अमीर और ख़ुश नहीं हैं, तो इस बात की काफ़ी संभावना है कि आपको धन, सफलता और जीवन के बारे में कुछ चीज़ें अब भी सीखनी हैं। Author कहते है अपने "कड़के" दिनों में मैं ख़ुशक़िस्मत था, जो मुझे अपने पिता के मल्टीमिलियनेअर मित्र की सलाह मिल गई, जिन्होंने मेरी हालत पर तरस खाया था। उन्होंने मुझसे कहा : "हार्व, अगर तुम उतने सफल नहीं हो, जितने बनना चाहते हो, तो कोई ऐसी चीज़ है, जो तुम नहीं जानते हो।" सौभाग्य से, मैंने उनके सुझाव को दिल पर ले लिया और "सर्वज्ञ" (know-it-all) से "जिज्ञासु" (learn-it-all) बन गया। उस पल के बाद सब कुछ बदल गया।

       ग़रीब लोग हमेशा ख़ुद को सही साबित करने की कोशिश करते हैं। वे एक मुखौटा लगा लेते हैं, जैसे उन्हें सब कुछ पता है और अगर वे दिवालिया या कड़के हैं, तो यह सिर्फ़ बदकिस्मती या ब्रह्मांड की भूल है।

       Author की एक और मशहूर पंक्ति है, "आप सही हो सकते हैं या आप अमीर हो सकते हैं, लेकिन आप एक साथ दोनों नहीं हो सकते।" "सही" होने से Author मतलब है सोचने और जीने के अपने पुराने तरीक़ों पर अड़े रहना। दुर्भाग्य से, यही वे तरीक़े हैं, जो आपको वहाँ तक लाए हैं, जहाँ आप इस समय हैं। यह दर्शन सुख पर भी लागू होता है, "आप सही हो सकते हैं या आप सुखी हो सकते हैं।"

"अगर आप वही करते रहते हैं, जो आपने हमेशा किया है, तो आपको वही मिलता रहेगा, जो आपको हमेशा मिला है।"

 

☝ यह Summary है Secrets of the Millionaire Mind By T. Harv Eker Book की। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇

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