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जीत आपकी | You Can Win By Shiv Khera - अच्छी शख्सियत बनाने के 15 तरीके

अच्छी शख्सियत बनाने के 15 तरीके | 15 STEPS TO BUILDING A POSITIVE PERSONALITY

जीत आपकी | You Can Win By Shiv Khera - अच्छी शख्सियत बनाने के 15 तरीके
जीत आपकी | You Can Win By Shiv Khera - अच्छी शख्सियत बनाने के 15 तरीके 
        💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। इस पोस्ट में जीत आपकी (You Can Win) book से अच्छी शख्सियत बनाने के 15 तरीके दिए जा रहे है जो आपको एक अच्छा इंसान बनने में मदद करेगे और जिसे शभी लोग पसंद करने लगेंगे तो इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े.......

1.ज़िम्मेदेदारी स्वीकार करें (Accept responsibility)

जब लोग अतिरिक्त ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करते हैं, तो दरअसल वे अपनी उन्नति का दरवाशा खोल रहे होते हैं।
ज़्यादातर लोग कुछ अच्छा होने पर तुरंत श्रेय (credit) ले लेते हैं, मगर बहतु कम लागे ऐसे हैं जो गल़ती होने पर अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हैं। अगर एक व्यक्ति ज़िम्मेदारियों को स्वीकार नहीं करता, तो उनसे उसे छुटकारा नहीं मिलता है, इसलिए आपका मक़सद ज़िम्मेदार व्यवहार का विकास होना चाहिए।

इल्ज़ाम लगाने का खेल बंद करें (Stop the Blame Game) यह कहना छोड़ दें कि — 
  • हर कोई ऐसा करता है, 
  • ऐसा तो कोई नहीं करता, 
  • सारा दोष तुम्हारा है।
जो लोग ख़ुद ज़िम्मेदारी नहीं उठाते, वे लोग माँ-बाप, गुरु, ऊपरवाले, भाग्य या ग्रह-नक्षत्रों को दोष देते हैं। ज़िम्मेदार व्यवहार का विकास बचपन से ही किया जाना चाहिए। 

2.औरों की परवाह (Show Consideration) 

एक दिन एक दस साल का बच्चा एक आइसक्रीम की दुकान पर गया और टेबल पर बैठ कर एक महिला वेटर से पूछा, “एक कोन (cone) आइसक्रीम कितने की है?” उसने कहा, “पचहत्तर सेंट की।” बच्चा हाथ में पकड़े सिक्कों को गिनने लगा, फिर उसने पूछा कि छोटी कप वाली आइसक्रीम कितने की है? वेटर ने बेसब्री से कहा, “पैंसठ सेंट्स की।” लड़का बोला, “मुझे छोटा कप ही दे दो।” लड़का ने अपनी आइसक्रीम खायी, पैसे दिए आरै चला गया। जब वेटर ख़ाली प्लटे उठाने के लिए आई तो उसने जो कुछ देखा, वह बात उसके मन को छू गई। वहाँ दस सेंट्स ‘टिप’ के रखे हुए थे। उस छोटे बच्चे ने उस वटेर का ख़याल किया। उसने संवेदनशीलता दिखाई थी। उसने ख़ुद से पहले दूसरे के बारे में सोचा। 

अगर हम सब एक-दूसरे के लिए उस छोटे बच्चे की तरह सोचें, तो यह दुनिया कितनी हसीन हो जाएगी। दूसरों का  ख़याल करें और नम्रता व शिष्टता दिखाएँ। दुसरों का ख़याल रखना यह दिखाता है कि हम उनकी परवाह करते हैं।

3.सबकी जीत के बारे में सोचें (Think Win-Win) 

एक आदमी के मरने के बाद सेंट पीटर (St. Peter) ने उससे पूछा कि तुम स्वर्ग में जाना चाहोगे या नर्क में। उस आदमी ने पूछा कि फ़ैसला करने से पहले क्या मैं दोनों जगहें देख सकता हूँ। सेंट पीटर पहले उसे नर्क में ले गए, वहाँ उसने एक बहुत बड़ा हॉल देखा जिसमें एक बड़ी मेज पर तरह-तरह की खाने की चीज़ें रखी थीं। उसने पीले और उदास चेहरे वाले लोगों की कतारें भी देखीं। वे बहुत भूखे जान पड़ रहे थे, और वहाँ कोई हँसी-ख़ुशी न थी। उसने एक और बात पर ग़ौर किया कि उनके हाथों में चार फुट लंबे काँटे और छुरियाँ बँधी थीं जिनसे वे मेज़ के नीचे पर पड़े खाने को खाने की कोशिश कर रहे थे। मगर वे खा नहीं पा रहे थे। फिर वह आदमी स्वर्ग देखने गया। वहाँ भी एक बड़े हॉल में एक बड़ी मेज़ पर ढेर सारा खाना लगा था। उसने मेज़ के दोनों तरफ़ लोगों की लंबी कतारें देखीं, जिनके हाथों में चार फुट लंबी छुरी और काँटे बँधे हुए थे, ये लोग खाना लेकर मेज़ की दूसरे तरफ से एक-दूसरे को खाना खिला रहे थे, जिसका नतीजा था — ख़ुशहाली, समृद्धि, आनंद और संतुष्टि। वे लोग सिर्फ़ अपने बारे में ही नहीं सोच रहे थे, बल्कि सबकी जीत के बारे में सोच रहे थे। 

यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। जब हम अपने ग्राहकों, अपने परिवार, अपने मालिक, अपने कर्मचारियों की सेवा करते हैं, तो हमें जीत ख़ुद-ब-ख़ुद मिल जाती है।

4.अपने शब्दों को सावधानी से चुनें (Choose Your Words Carefully) 

जो मन में आए, वही बोलने से आदमी को बाद में वह सुनना पड़ता है, जो उसे पसंद नहीं होता। व्यवहार में चतुर बनें। व्यवहार में चतुर होने का मतलब है कि हम अपने शब्दों का चुनाव समझदारी और होशियारी से करें
एक बेवकूफ़ बिन सोचे-समझे बोलता है; एक बुद्धिमान सोच-समझ कर कहता है। कड़वाहट भरे शब्द भरपाई न किया जा सकने वाला नुक़सान पहुँचा सकते हैं।

5.दूसरों के व्यवहार का सही अर्थ निकालें (Put Positive Interpretation on Other People’s Behaviour) 

पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से लोग आदतन दूसरों द्वारा किए गए या नहीं किए गए काम का ग़लत अर्थ लगाते हैं। कुछ लोग एक भ्रम के शिकार हैं। वे समझते हैं कि दुनिया उनके ख़िलाफ़ है, और पीछे पड़ी हुई है। मगर ऐसा नहीं है। सोच सकारात्मक होने से हमें शख़्सियत को आकर्षक बनाने का अच्छा मौका मिलता है, जिससे हमारे रिश्ते बेहतर बनते हैं।

6.उत्साही बनें (Be Enthusiastic)

उत्साह और सफलता साथ-साथ चलते हैं, मगर उत्साह का नंबर पहला है। उत्साह — आत्मविश्वास, आत्मबल और वफ़ादारी को बढ़ाता है। यह अमूल्य है। उत्साह एक से दूसरे में फैलता है। हम किसी व्यक्ति के बात करने, चलने और हाथ मिलाने के ढंग से उसके उत्साह को महसूस कर सकते हैं। उत्साह एक तरह की आदत है। इसे अपनाया जा सकता है, और इसका अभ्यास किया जा सकता है।

जब तक ज़िंदगी है, ज़िंदादिली से जीएँ। मौत आने से पहले ही मुर्दा न बनें।  सिर्फ़ एक डिग्री के फ़र्क़ से पानी भाप बन जाता है, और भाप बड़े-से-बड़े इंजन को खींच सकती है। उत्साह हमारी ज़िंदगी के लिए वही काम करता है।

7.ईमानदारी और सच्चाई से प्रशंसा करें (Give Honest and Sincere Appreciation)

मनोवैज्ञानिक (Psychologist) विलियम जेम्स (William James) का कहना है, 
“इंसान की सबसे गहरी इच्छाओं में से एक है — प्रशंसा पाने की इच्छा। अनचाहा महसूस होने का भाव तकलीफ़ देह हो सकता है।”
सच्ची तारीफ़ करना उन सबसे बड़े उपहारों में से है, जो हम किसी को दे सकते हैं। इससे दूसरा व्यक्ति ख़ुद को महत्त्वपूर्ण समझता है। ज़्यादातर लोगों में ख़ुद को महत्त्वपूर्ण माने जाने की इच्छा काफ़ी गहरी होती है। यह इंसान के लिए एक बड़ी प्रेरणा हो सकती है।

8.जब हम कोई ग़लती करते हैं, तो उसे क़बूल करते हुए बढ़ें (When You Make Mistake, Accept It And Move On)

 “जब मैं ग़लती करूँ, तो मुझमें इतनी शक्ति हो कि ख़ुद को बदल सकूँ ; आरै जब मैं सही काम करूँ, तो मुझमें  इतनी शक्ति हो कि मुझमें अहंकार न आए।” यह जीने की अच्छी फ़िलॉसफी है। कुछ लोग सीखते हुए जीते हैं, और कुछ लोग जीते हैं लेकिन कभी सीखते ही नहीं। ग़लतियों से सीखना चाहिए। ग़लती को दोहराना सबसे बड़ी ग़लती है। अपनी ग़लती के लिए न तो किसी पर दोष लगाएँ, और न ही बहाने बनाएँ। इस पर अड़े न रहें। जब हम अपनी ग़लती महसूस करें, तो बहुत अच्छा होगा कि उसे स्वीकार करके माफ़ी माँगे। अपनी सफ़ाई न पेश करें। 

9.तर्क करें, पर तकरार न करें (Discuss But Don’t Argue) 

तकरार और बहस से बचा जा सकता है, और थोड़ी सावधानी बरतकर इंसान मन की बहुत सी तकलीफ़ों से बच सकता है। किसी बहस को जीतने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि उसमें पड़ा ही न जाए। बहस एक ऐसी चीज़ है जिसे जीता नहीं जा सकता, क्योंकि अगर हम जीतते हैं तो भी हारेंगे और अगर हारते हैं तो भी हारेंगे। अगर हम एक बहस में जीतते हैं मगर एक अच्छी नौकरी, ग्राहक, दोस्त, या जीवनसाथी खो देते हैं, तो यह कैसी जीत है? बिल्कुल खोखली। बहसबाज़ी झूठे अहंकार से पैदा होती है।

बहस में दोनों व्यक्ति अपनी-अपनी बात मनवाने पर तुले होते हैं। बहसबाज़ी केवल अहंकार की ऐसी लड़ाई है, जिसमें एक-दूसरे पर चिल्लाने की होड़-सी लगी होती है। जो यह समझता है कि वह सब-कुछ जानता है वह तो बेवकूफ़ है ही; लेकिन उससे बड़ा बेवकूफ़ वह है जो उससे बहस करता है !

10.पीठ पीछे बातें न करें (Don’t Gossip)

याद रखें, जो लोग हमारे सामने दूसरों की बातें करते हैं, वे हमारी पीठ पीछे हमारे बारे में भी बातें करते हैं। गप हाँकने आरै झूठ बोलने के बीच क़रीबी रिश्ता है। एक गप्पी बातें सनुता तो जल्दबाज़ी में है, मगर उन्हें मज़े ले-लेकर सुनाता है। वह अपने काम पर ध्यान नहीं देता, क्योंकि न तो उसके पास काम होता है, और न ही दिमाग़। गप्पी की दिलचस्पी काम की बातों से ज़्यादा उड़ती ख़बरों को सुनने में होती है। गप्प मारना एक ऐसी कला है, जिसमें कुछ ख़ास कहा भी नहीं जाता, आरै न ही कुछ अनकहा छूटता है। किसी ने ठीक ही कहा है, “छोटे लोग दूसरों के बारे में बातें करते हैं, मध्यम स्तर के लोग चीज़ों के बारे में बातें करते हैं, और महान लोग विचारों के बारे में बातें करते हैं।”

11.अपने वादो को वचनबद्धता में बदलिए (Turn Your Promises into Commitments) 

वादा और वचनबद्धता (commitment) में क्या अंतर है? वादा इरादे को ज़ाहिर करता है। वचनबद्धता का मतलब यह होता है कि वादा हर हाल में निभाया जाएगा, चाहे कछु भी हो। चाहे कछु भी हो में ग़ैरक़ानूनी आरै अनैतिक बातों को शामिल नहीं करना है। वचनबद्धता चरित्र की देन होती है, और विश्वास को बढ़ाती है। क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि अगर लोग एक-दूसरे को दिए गए वचन को न निभाएँ, तो यह संसार कैसा होगा? फिर इनके बीच कैसा रिश्ता होगा — 
  • पति-पत्नी के बीच? 
  • मालिक और कर्मचारी के बीच? 
  • माँ-बाप और बच्चों के बीच? 
  • ख़रीदार और बेचने वाले के बीच? 
  • छात्र और शिक्षक के बीच?

12.भरोसेमंद और वफ़ादार बनें (Be Dependable and Practice Loyalty) 

पुरानी कहावत है, “एक छटाक वफ़ादारी एक सेर चालाकी से ज़्यादा अच्छी है।”, क़ाबिलीयत (ability) बहुत ज़रूरी है, लेकिन भरोसेमंद (dependability) होना अनिवार्य (crucial) है। अगर हमारे साथ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसमें सारी ख़ूबियाँ हैं, लेकिन वह भरोसेमंद नहीं है, तो क्या हम ऐसे व्यक्ति को अपनी टीम में रखना पसंद करेंगे? नहीं, बिल्कुल नहीं। 

मुझे यक़ीन था कि तुम ज़रू़र आओगे (I KNEW YOU WOULD COME) 
बचपन के दो ऐसे दोस्त थे जो स्कूल, कॉलेज और यहाँ तक कि फौज में भी साथ ही भर्ती हुए। युद्ध छिड़ गया और दोनों एक ही यूनिट में थे, एक रात उन पर हमला हुआ, चारों तरफ़ गोलियाँ बरस रही थीं। ऐसे में अंधेरे से एक आवाज़ आई, “हैरी (Harry), इधर आओ, मेरी मदद करो।” हैरी ने अपने बचपन के दोस्त बिल (Bill) की आवाज़ फ़ौरन पहचान ली। उसने अपने कैप्टन से पूछा, “क्या मैं जा सकता हूँ?” कैप्टन ने जवाब दिया, “नहीं, मैं तुम्हें जाने की इजाज़त नहीं दे सकता, मेरे पास पहले से ही आदमी कम हैं, मैं अपने एक और आदमी को नहीं खोना चाहता। साथ ही बिल की आवाज़ से भी ऐसा लगता है कि वह बचेगा नहीं।” हैरी चुप रहा। फिर वही आवाज़ आई, “हैरी, आओ, मेरी मदद करो।” हैरी चुप बैठा रहा क्योंकि कैप्टन ने उसे जाने की इजाज़त नहीं दी थी। वही आवाज़ बार-बार आई। हैरी अपने को और ज़्यादा रोक नहीं सका और उसने कैप्टन से कहा, “कैप्टन, वह मेरे बचपन का दोस्त है, मुझे उसकी मदद के लिए जाना ही होगा।” कैप्टन ने बेमन से उसे जाने की इजाज़त दे दी। हैरी अंधेरे में रेंगता हुआ आगे बढ़ा और बिल को खींचकर अपने खड्डे में ले आया। उन लोगों ने पाया कि बिल तो मर चुका था। अब कैप्टन नाराज़ हो गया और हैरी पर चिल्लाया, “मैंने कहा था न कि वह नहीं बचेगा, वह मर गया है और तुम भी मारे जाते, मैं अपना एक और आदमी खो बैठता, तुमने वहाँ जाकर ग़लती की थी।” हैरी ने जवाब दिया, कैप्टन, मैंने जो किया, वह ठीक था। जब मैं बिल के पास पहुँचा तो वह ज़िंदा था, और उसके आख़िरी शब्द थे “हैरी, मुझे यक़ीन था कि तुम ज़रूर आओगे।”

13.मन में मैल न रखें (Avoid Bearing Grudges) 

कूड़ा इकट्ठा करने वाले न बनें। क्या हमने वह कहावत सुनी है “माफ़ तो कर सकता हूँ, लेकिन भूल नहीं सकता?” जब एक व्यक्ति माफ़ करने से इंकार कर देता है, तो वह उन सभी दरवाज़ों को बंद कर देता है, जिन्हें खोलने की किसी दिन उसे ज़रूरत पड़ सकती है। जब हम मन में वैर और द्वेष का भाव रखते हैं, तो सबसे ज़्यादा नुक़सान किसको पहुँचाते हैं? ख़ुद अपने को।

14.सच्चे, ईमानदार और निष्कपट बनें (Practice Honesty, Integrity and Sincerity)

ईमानदारी का मतलब नकली और झूठा बनने से बचना, और सच्चा एवं असली बनना है। भरोसेमंद आदमी के रूप में बनइए। अगर घर दफ़्तर, और समाज में रिश्तों को बनाने वाली कोई चीज़ है तो वह है — सच्चाई। अपना वचन न निभाना बेईमानी है।

एक किसान एक बेकर (Baker) को रोज़ एक सेर मक्खन बेचा करता था। एक दिन बेकर ने यह परखने के लिए मक्खन एक सेर है या नहीं, उसे तौला और पाया कि मक्खन कम था। इस बात से वह गुस्सा हो गया और किसान को अदालत में ले गया। जज ने किसान से पूछा कि उसने तौलने के लिए किस बाट का इस्तेमाल किया था? किसान ने जवाब दिया, “हुजूर, मैं अज्ञानी हूँ। मेरे पास तौलने के लिए कोई सही बाट नहीं है, लेकिन मेरे पास एक तराजू है।” जज ने पूछा, तो तुम मक्खन को कैसे तौलते हो? किसान ने जवाब दिया, “इसने मक्खन तो मुझसे अब ख़रीदना शुरू किया, मैं तो बहुत पहले से इससे एक सेर ब्रेड ख़रीद रहा हूँ। रोज़ सुबह जब बेकर ब्रेड लाता है तो मैं ब्रेड को बाट बना कर बराबर का मक्खन तौल कर दे देता हूँ। अगर इसमें किसी का दोष है तो वह है बेकर का ! जिंदगी में हमें वही वापस मिलता है, जो हम दूसरों को देते हैं।

15. विनम्र बनें (Practice Humility)

 विनम्रता के बिना आत्मविश्वास अहंकार बन जाता है। विनम्रता सारी ख़ूबियों की बुनियाद है। यह आदमी की महानता को दर्शाती है। विनम्रता का अर्थ अपनी प्रतिष्ठा घटा कर कद को छोटा करना नहीं है। सच्ची विनम्रता लोगों को आकर्षित करती है, लेकिन बनावटी विनम्रता दूसरों को हमसे परे धकेलती है। 

बहुत साल पहले एक घुड़सवार ने कुछ सैनिकों को देखा, जो एक लकड़ी का गट्ठा उठाने की असफल कोशिश कर रहे थे। उस समय उनका नायक भी वहीं खड़ा था। घुड़सवार ने नायक से पूछा कि वह उनकी मदद क्यों नहीं करता। नायक ने जवाब दिया, “मैं इनका नायक हूँ, और मेरा काम इनको आदेश देना है।” घुड़सवार अपने घोड़े से उतर कर उन सैनिकों के पास गया और उसने उस गट्ठे को उठाने में मदद की। उसकी मदद से वह गट्ठा उठा दिया गया। घुड़सवार चुपचाप अपने घोड़े पर सवार हो गया, और उस नायक से बोला, “अगली बार जब तुम्हारे आदमियों को सहायता की ज़रूरत पड़े, तो तुम अपने कमांडर-इन-चीफ को बुलवा लेना।” जब वह घुड़सवार चला गया तो नायक और सिपाहियों को पता चला कि वह घुड़सवार और कोई नहीं, बल्कि जॉर्ज वाशिंगटन (George Washington) थे।

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☝ यह जीत आपकी (You Can Win) By Shiv Khera Book के एक chapter से बताया गया है। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहा से खरीद सकते है :-




















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