संतुलित जीवन से ही चित्त को शांति मिलती है | Hindi Motivational Story
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संतुलित जीवन से ही चित्त को शांति मिलती है | Hindi Motivational Story |
सेक्रेटरी ने बेबाक उत्तर दिया- 'सर! मैं तो सेक्रेटरी ही बनना चाहूँगा।' अरबपति कार्नेगी बोले- 'क्यों?' इस पर सेक्रेटरी ने कहा- मैं आपको 40 साल से देख रहा हूँ। आप दफ्तर में चपरासियों से भी पहले आ धमकते हैं
और सबके बाद जाते हैं। आपने जितना धन आदि इकट्ठा कर लिया उससे अधिक के लिए निरंतर चिंतित रहते हैं। आप ठीक से खा नहीं सकते, रात को सो नहीं सकते मैं तो स्वयं आपसे पूछने वाला था कि आप दौड़े बहुत, लेकिन पहुँचे कहा? यह क्या कोई सार्थक जिंदगी है? आपकी लालसा, चिंता और संताप देखकर ही मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि हे भगवान! तेरी बड़ी कृपा, जो तूने मुझे एंड्रयू कार्नेगी नहीं बनाया।'
यह सुनकर कार्नेगी ने अपने सेक्रेटरी से कहा मेरे मरने के बाद तुम अपना निष्कर्ष सारी दुनिया में प्रचार कर देना। तुम सही कहते हो। मैं धनपति कुबेर हूँ लेकिन काम से फुर्सत ही नहीं मिली-बच्चों को समय नही दे पाया, पत्नी से अपरिचित ही रह गया, मित्रों को दूर ही रखा, बस अपने साम्राज्य को बचाने-बढ़ाने की निरंत
चिंता। अब लग रहा है कि यह दौड़ व्यर्थ थी। कल ही मुझसे किसी ने पुछा था, क्या तुम तृप्त होकर मर पाओगे?' मैंने उत्तर दिया- 'मैं मात्र दस अरब डॉलर छोड़कर मर रहा हूँ। सौ खरब की आकांक्षा थी, जो आज रह गई।'
सबकः👇
यह उदाहरण उन लोगों के लिए शिक्षाप्रद सिद्ध हो सकता है, जो पाश्चात्य संस्कृति की दौड़ में धन कीलालसा लिए चिंता, भय, तनाव, ईर्ष्या आदि जैसे मनोरोगों से ग्रसित होकर सार्थक जीवन के वास्तविक आनंद
से वंचित हो रहे हैं। कार्नेगी के सेक्रेटरी की भांति उत्तम चरित्र वाले व्यक्ति पॉजिटिव लाइफ में विश्वास करते
हैं, जिससे उनका जीवन संतुलित रहता है, क्योंकि वे जानते हैं कि वर्तमान में ही भावी जीवन का निर्माण होता
है और इसके लिए धन संचय की प्रवृत्ति निर्मूल है।