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अपने विचारों को अपना दोस्त बनाएँ | Badi Soch Ka Bada Jadoo | The Magic of Thinking Big by David J. Schwartz Book Summary in Hindi

Make Your Attitudes Your Allies | Badi Soch Ka Bada Jadoo | The Magic of Thinking Big by David J. Schwartz Book Summary in Hindi

Make Your Attitudes Your Allies | Badi Soch Ka Bada Jadoo | The Magic of Thinking Big by David J. Schwartz Book Summary in Hindi
अपने विचारों को अपना दोस्त बनाएँ | Badi Soch Ka Bada Jadoo by David J. Schwartz Book Summary


        💕Hello Friends,आपका स्वागत है www.learningforlife.cc में। इस पोस्ट में "Badi Soch Ka Bada Jadoo | The Magic of Thinking Big" By David J. Schwartz Book के 8th chapter से हम जानेगे कि सफलता की तरफ़ आगे ले जाने वाले 3 रवैया कौन से है और इन रवैयों को कैसे विकसित करें। तो पढ़ते रहिए.......

        क्याआप सामने वाले के विचार पढ़ सकते हैं? किसी के विचार पढ़ना कोई मुश्किल काम नहीं है। आप इस काम को जितना कठिन समझते हैं, यह दरअसल उससे बहुत आसान है। शायद आपने इस बारे में ठीक से सोचा नहीं है, परंतु यह सच है कि आप हर दिन दूसरों के विचार पढ़ते हैं और आप अपने ख़ुद के विचारों को भी पढ़ते हैं। हम ऐसा किस तरह करते हैं? ऐसा अपने आप होता है और हम रवैए के मूल्यांकन से ऐसा कर पाते हैं।

        कुछ बाते ऐसी है जिन्हे कहने के लिए शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता, जैसे "मैं आपको पसंद करता हूँ” या “मैं आपसे नफ़रत करता हूँ" या “मैं समझता हूँ कि आप महत्वपूर्ण हैं।” या “महत्वहीन हैं” या “मैं आपसे ईर्ष्या करता हूँ।” या “मैं अपने काम को पसंद करता हूँ” या “मैं बोर हो चुका हूँ” या “मैं भूखा हूँ।” लोग इन वाक्यों को बिना आवाज़ किए बोल लेते हैं।

        हम क्या सोच रहे हैं, यह हमारे हावभाव से समझ में आ जाता है। हमारे हावभाव हमारे मस्तिष्क के प्रतिबिंब (reflection) हैं। वे बताते हैं कि हम क्या सोच रहे हैं। आप ऑफ़िस की कुर्सी पर बैठे किसी व्यक्ति के विचार पढ़ सकते हैं। आप उसके हावभाव देखकर समझ सकते हैं कि अपने काम के बारे में उसका दृष्टिकोण क्या है। आप सेल्समैन, विद्यार्थियों, पतियों और पत्नियों के विचार समझ सकते हैं, आप न सिर्फ़ ऐसा कर सकते हैं, बल्कि आप अक्सर ऐसा करते हैं।

        हावभाव से, आवाज़ की टोन से और आवाज़ के उतार–चढ़ाव से हम किसी के भी रवैए को समझ जाते हैं। भाषा के जन्म से पहले, करोड़ों सालों से इंसान सिर्फ़ आवाज़ और इशारों और हावभाव से अपनी बात कहता आया है।

        करोड़ों सालों तक इंसान दूसरे इंसानों के साथ Communication के लिए शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता था, बल्कि अपने शरीर, अपने चेहरे के भाव और अपनी आवाज़ का इस्तेमाल करता था। और हम आज भी अपने दृष्टिकोण और अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त (express) करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। बच्चों के साथ व्यवहार करते समय हमारे पास सीधे शारीरिक स्पर्श के अलावा सिर्फ़ आवाज़, हावभाव और शरीर की गतिविधियाँ ही तो संप्रेषण (Communication) का माध्यम हैं। और बच्चों में ऐसी छठी इंद्रिय होती है कि वे असली और नक़ली का फ़र्क़ तत्काल समझ लेते हैं।

        रवैए से फ़र्क़ पड़ता है। सही रवैए वाला सेल्समैन अपने लक्ष्य को प्राप्त ही नहीं करता, बल्कि उससे आगे निकल जाता है। सही रवैए वाला विद्यार्थी परीक्षा में फ़र्स्ट डिवीज़न लाता है। सही रवैए वाले दंपति सुखी वैवाहिक जीवन बिताते हैं। सही रवैए से आप लोगों के साथ प्रभावी व्यवहार करते हैं, आप लीडर बन जाते हैं। सही रवैए से आप हर तरह की परिस्थिति में जीत जाते हैं। तो सही रवैया विकसित कैसे करे?

इसके लिए इन तीन रवैयों (attitudes) को विकसित करें। इन्हें अपने हर काम में अपना साथी बनाएँ।

1."मुझमें उत्साह है" का रवैया विकसित करना

        जिस व्यक्ति में उत्साह नहीं होता, वह दूसरों को उत्साहित नहीं कर सकता। परंतु जो उत्साही होता है, उसके पीछे जल्दी ही बहुत से उत्साहित अनुयायी (follower) जमा हो जाते हैं।

        उत्साही सेल्समैन को इस बारे में फ़िक्र नहीं होनी चाहिए कि उसके ग्राहकों में उत्साह की कमी हो सकती है। उत्साही टीचर को उत्साहहीन विद्यार्थियों (students) के बारे में फ़िक्र नहीं करनी पड़ेगी। उत्साहित धर्मोपदेशक (preacher) नींद से भरी हुई भीड़ को देखकर कभी दु:खी नहीं होगा। उत्साह से चीज़ें 1100 प्रतिशत बेहतर हो सकती हैं। जितना उत्साह होगा, परिणाम उतने ही मिलेंगे।

        यहाँ 3 तरीके बताया जा रहा है जो उत्साह की शक्ति को विकसित करने में आपकी मदद करेगे।

1. गहराई में जाएँ

        यह छोटा सा प्रयोग करें। दो ऐसी चीज़ों के बारे में सोचें जिनमें आपकी बिलकुल भी रुचि नहीं है या बहुत कम रुचि है– जैसे ताश के पत्ते, किसी ख़ास क़िस्म का संगीत, कोई खेल। अब ख़ुद से पूछें, “मैं इन चीज़ों के बारे में कितना जानता हूँ?” 100 में से 99 मामलों में आपका जवाब होगा, “ज़्यादा नहीं।”

        For example: कई सालों तक Author को आधुनिक चित्रकला में कोई रुचि नहीं थी। उन्हें आधुनिक चित्रकला में कुछ आड़ी–तिरछी लकीरें ही दिखा करती थीं। परंतु तभी उन्होंने अपने एक चित्रकार दोस्त से आधुनिक चित्रकला की जानकारी ली। वे इसमें जितनी गहराई तक गए, उन्होंने पाया कि यह बहुत दिलचस्प थी। इसी तरह उत्साह बढ़ाने के लिए, उस चीज़ के बारे में ज़्यादा जानें जिसके बारे में आपमें कम उत्साह हो।

2.हर काम दिल से करें

        उत्साह या उत्साह की कमी आपके हर काम में दिखती है, आपकी हर बात में प्रकट होती है।

दिल से हाथ मिलाएँ - जब आप हाथ मिलाएँ, तो ज़रा कसकर मिलाएँ। अपने हाथ को यह कहने दें, “मुझे आपसे मिलकर ख़ुशी हुई।” “मैं आपसे दुबारा मिलकर ख़ुश हुआ।” कमज़ोर चूहे की तरह हाथ मिलाने से तो अच्छा है कि हाथ ही न मिलाया जाए। इससे लोग यह सोचते हैं, “यह व्यक्ति ज़िंदा नहीं, बल्कि मुर्दा है तभी मुर्दों की तरह हाथ मिला रहा है।” यह देखने की कोशिश करें कि क्या कोई सफल व्यक्ति चूहे की तरह हाथ मिलाता है।

दिल से मुस्कराएँ - अपनी आँखों से मुस्कराएँ। कोई भी नक़ली, चिपकी हुई, रबर जैसी मुस्कान पसंद नहीं करता। जब मुस्कराएँ, तो दिखना चाहिए कि आप मुस्करा रहे हैं।

दिल से “धन्यवाद” दें - रुटीन “धन्यवाद" का मतलब तो "ग्लिप, ग्लिप" कहने की तरह मशीनी अंदाज़ है। यह सिर्फ़ एक अभिव्यक्ति है। इससे कुछ भी संप्रेषित (communicate) नहीं होता। इससे परिणाम हासिल नहीं होते। अपने “धन्यवाद" को इस तरह कहें ताकि सामने वाला यह सुने, “बहुत – बहुत धन्यवाद।”

दिल से बात करें - डॉ. जेम्स एफ़. बेन्डर, जो मानी हुई हस्ती हैं, अपनी book हाऊ टु टॉक वेल (न्यूयॉर्क : मैकग्रॉ–हिल बुक कंपनी, 1949) में लिखते हैं, "क्या आपकी ‘गुड मॉर्निग‘ सचमुच गुड है? क्या आपकी ‘बधाई’ सचमुच उत्साह से दी गई है। जब आप कहते हैं, "आप कैसे हैं?” तो क्या आप सचमुच जानना चाहते हैं? जब आप अपने शब्दों में भावनाओं के रंग भर देते हैं तो लोग आपकी बातें ध्यान से सुनने लगते हैं और आपको महत्व देने लगते हैं।”

        लोग उस व्यक्ति के पीछे–पीछे जाते हैं जो अपनी कही हुई बातों में यक़ीन करता है। इसलिए दिल से बातें करें। अपने शब्दों में भावनाओं के रंग भरें। चाहे आप किसी गार्डन क्लब में बोल रहे हों, ग्राहक से बातें कर रहे हों, या अपने बच्चों से– अपने शब्दों में जोश झलकने दें। उत्साह से दिया गया प्रवचन महीनों तक, सालों तक याद रहता है। जबकि उत्साह के बिना दिया गया प्रवचन एक सप्ताह भी याद नहीं रहता।

3.अच्छी ख़बर फैलाएँ

        आपके और हमारे सामने कितनी ही बार किसी व्यक्ति ने अचानक आकर कहा होगा, “मैं आपको एक अच्छी ख़बर सुनाना चाहता हूँ।” तुरंत हर एक का पूरा ध्यान उस व्यक्ति की तरफ़ चला जाता है। अच्छी ख़बर से सिर्फ़ ध्यान ही आकर्षित नहीं होता, अच्छी ख़बर से लोग ख़ुश भी होते हैं। अच्छी ख़बर से उत्साह विकसित होता है। अच्छी ख़बर से पाचन तंत्र भी ठीक रहता है। चूँकि अच्छी ख़बर सुनाने वालों के मुक़ाबले आज बुरी ख़बर सुनाने वाले ज़्यादा हो गए हैं इसलिए उनके बहकावे में न आएँ। आज तक बुरी ख़बर सुनाकर किसी ने भी कोई दोस्त नहीं बनाया, किसी ने भी पैसा नहीं कमाया, न ही किसी ने कोई उपलब्धि हासिल की है।

2."आप महत्वपूर्ण हैं" का रवैया विकसित करना

        हर इंसान में – चाहे वह इंडिया में रहता हो या इंडियानापोलिस में, चाहे वह मूर्ख हो या बुद्धिमान, चाहे वह सभ्य हो या जंगली, चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा – यह इच्छा होती है : कि उसे महत्वपूर्ण समझा जाए।

        महत्वपूर्ण बनने की लालसा, महत्वपूर्ण बनने की भूख ही आपको सफलता की तरफ़ आगे ले जाती है। यह आपकी सफलता का सबसे बड़ा औज़ार है। परंतु, “आप महत्वपूर्ण हैं।" के रवैए से परिणाम मिलते हैं और इसमें कुछ भी ख़र्च नहीं होता, फिर भी बहुत कम लोग इस रवैए का इस्तेमाल करते हैं। अब यह जान ले कि ऐसा क्यों होता है।

        हम अपने आपको धोखे में न रखें। जिन लोगों में आत्म-महत्ता (self-importance) का भाव गहराई तक नहीं होता है, वे हमेशा औसत ज़िंदगी जीते रहेंगे। अच्छी तरह से इस बात को समझ लें : आपको सफल होने के लिए महत्वपूर्ण अनुभव करना होगा। दूसरे लोगों को महत्वपूर्ण अनुभव कराने से आपको इसलिए फ़ायदा होता है क्योंकि इससे आप ज़्यादा महत्वपूर्ण बन जाते हैं। दूसरे लोगों को महत्वपूर्ण अनुभव कराने के लिए इन steps को follow करे :-

1. तारीफ़ करने की आदत डालें

        दूसरों को यह बताने का नियम बना लें कि आप उनके किए काम की तारीफ़ करते हैं। कभी भी किसी को भी यह महसूस न होने दें कि आप उसके काम को रुटीन काम मान रहे हैं। गर्मजोशी से, सच्ची मुस्कराहट के साथ तारीफ़ करें। मुस्कराहट से दूसरों को पता चलता है कि आप उनकी तरफ़ ध्यान दे रहे हैं और आप उन्हें देखकर ख़ुश हुए हैं।

2. लोगों का नाम लेने की आदत डालें

        हर साल चतुर manufacturer दूसरे manufacturers से ज़्यादा ब्रीफ़केस, पेंसिल, बाइबल, और सैकड़ों दूसरे सामान बेच लेते हैं। कारण यह होता है कि वे अपने सामान पर ख़रीदार का नाम लिख देते हैं। लोगों को अपने नाम का संबोधन अच्छा लगता है। जब किसी का नाम लिया जाता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे उसके कानों में शहद घोल दिया गया हो।

3. प्रशंसा को झपटने के बजाय इसका निवेश करें

        Author कहते है - हाल ही में मैं एक कंपनी के कार्यक्रम में अतिथि के रूप में गया। उस शाम डिनर के बाद कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट ने दो डिस्ट्रिक्ट मैनेजर्स को पुरस्कार देने की घोषणा की। इनमें एक पुरुष था और दूसरी महिला थी। इन दोनों ही मैनेजर्स के संगठनों ने उस साल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। फिर वाइस प्रेसिडेंट ने इन मैनेजर्स से कहा कि वे 15 मिनट में लोगों को यह बताएँ कि उनके संगठनों ने यह काम इतनी अच्छी तरह कैसे किया।

        पहले डिस्ट्रिक्ट मैनेजर ने यह जताया जैसे उसके प्रयासों से और केवल उसके प्रयासों से ही उस संगठन की बिक्री इतनी बढ़ी है। उसके भाषण में बार-बार इस तरह के वाक्य आ रहे थे, “जब मैंने काम सँभाला, तो मैंने यह किया, मैंने वह किया;” “जब मैं आया तो हर चीज़ गड़बड़ थी; परंतु मैंने सब कुछ ठीक-ठाक कर दिया;” “यह आसान नहीं था, परंतु मैंने परिस्थिति का अध्ययन किया और मैंने निश्चय किया कि चाहे जो हो, मैं सफल होकर दिखाऊँगा।” उसके बोलते समय उसके संगठन के सेल्समैनों के चेहरे पर निराशा साफ़ दिख रही थी।

        इसके बाद, दूसरी डिस्ट्रिक्ट मैनेजर ने बताया कि उसके संगठन को जो सफलता मिली है, वह उसकी टीम के जी-जान से किए गए प्रयासों का परिणाम है। इस सफलता के असली हक़दार तो उसके सेल्समैन हैं। इसके बाद उस मैनेजर ने अपने हर सेल्समैन को खड़े होने के लिए कहा ताकि वह हर एक को उसके प्रयास के लिए बधाई दे सके, उसकी तारीफ़ कर सके।

        इन दोनों की बातो में कितना फर्क था। पहले ने प्रशंसा को झपटा जबकि दूसरे ने प्रशंसा का निवेश किया। याद रखें, प्रशंसा ही शक्ति है। अपने सुपीरियर से मिलने वाली तारीफ़ का निवेश करें। अपने अधीनस्थों तक उस तारीफ़ को पहुँचा दें ताकि वे भविष्य में बेहतर काम करने के लिए प्रेरित हों। जब आप तारीफ़ बाँटते हैं, तो आपके अधीनस्थ यह समझ लेते हैं कि आप उन्हें मूल्यवान समझते हैं, उन्हें महत्व देते हैं।

3."सेवाभाव" का रवैया विकसित करना

        वास्तव में यह बहुत अच्छी बात है कि पैसा कमाया जाए और दौलत इकट्ठी की जाए। पैसा ही वह ताक़त है जो आपके परिवार को शक्ति देती है और मनचाही जीवनशैली देती है। पैसा ही वह ताक़त है जिसकी मदद से आप बदक़िस्मत लोगों की मदद कर सकते हैं। पैसा उन साधनों में से एक है जिनके सहारे आप जीवन को पूरी तरह से जी सकते हैं।

        पैसे कमाना एक बढ़िया लक्ष्य है। यह हैरानी की बात है कि ज़्यादातर लोग पैसा कमाते समय सीधी शैली के बजाय उल्टी शैली का प्रयोग क्यों करते हैं। हर कहीं आप देखते हैं कि लोगों का रवैया “पहले पैसा” होता है। परंतु इन्हीं लोगों के पास सबसे कम पैसा होता है। क्यों ? सिर्फ़ इसलिए क्योंकि जिन लोगों का रवैया “पहले पैसा" होता है वे पैसे के बारे में दीवाने हो जाते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि पैसे की फ़सल तब तक नहीं काटी जा सकती जब तक कि आप पैसे के बीज को न बोएँ। और पैसे का बीज है सेवा। इसीलिए “पहले सेवा” वाले रवैए से ही दौलत आती है। पहले सेवा कीजिए और पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा।

संक्षेप में, सफलता की तरफ़ आगे ले जाने वाले रवैयों को विकसित करें

1. “मुझमें उत्साह है” का रवैया विकसित करें। आपमें जितना उत्साह होगा, आपको उतने ही अच्छे परिणाम मिलेंगे। आप तीन तरह से अपने आपमें उत्साह भर सकते हैं :
  • गहराई में जाएँ। जब आपको कोई चीज़ नीरस लगे, तो उसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानने की कोशिश करें। इससे उत्साह बढ़ता है।
  • हर काम दिल से करें। आपकी मुस्कराहट, आपका हाथ मिलाना, आपकी चर्चा, आपकी चाल, हर बात में उत्साह और गर्मजोशी दिखनी चाहिए। ज़िंदादिली से काम करें।
  • अच्छी ख़बर फैलाएँ। किसी भी व्यक्ति ने बुरी ख़बर सुनाकर कोई अच्छी चीज़ हासिल नहीं की है।
2. “आप महत्वपूर्ण हैं ” का रवैया विकसित करें। जब आप लोगों को महत्वपूर्ण अनुभव कराते हैं, तो लोग आपके लिए ज़्यादा काम करते हैं। तीन बातें याद रखें :
  • हर मौके़ पर तारीफ़ करें।
  • लोगों को महत्वपूर्ण अनुभव कराएँ।
  • लोगों को उनके नाम से बुलाएँ।
3. “पहले सेवा” वाला रवैया विकसित करें और पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा। हर काम में यह नियम बना लें, लोग आपसे जितनी उम्मीद करते हैं, आप उससे ज़्यादा ही दें।

        ☝ यह Summary है "बड़ी सोच का बड़ा जादू | The Magic of Thinking Big" By David J. Schwartz book के 8th chapter की। यदि detail में पढ़ना चाहते है तो इस book को यहां से खरीद सकते है 👇



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