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कौन रोएगा आपकी मृत्यु पर? | Who Will Cry When You Die? By Robin Sharma Book Summary In Hindi

Kaun Roega Aapki Mrityu Par? | Who Will Cry When You Die? By Robin Sharma Book Summary In Hindi 

Kaun Roega Aapki Mrityu Par? | Who Will Cry When You Die? By Robin Sharma Book Summary In Hindi
Kaun Roega Aapki Mrityu Par? | Who Will Cry When You Die? By Robin Sharma Book Summary In Hindi

        💕Hello Friends,आपका स्वागत है learningforlife.cc में। "कौन रोएगा आपकी मृत्यु पर? (Who Will Cry When You Die?)" By Robin Sharma Book में 101 important lession है जिन्हे follow करके हम अपनी life को बदल सकते है। इस पोस्ट में 20 lession दिए जा रहे और इस Book के 15 lession पहले से ही है जिन्हे देखे (Watch) या पढ़े (Read)

1.शिकायत छोड़कर जीना शुरू करिए

        यह शिकायत करना छोड़ दीजिए कि आपके पास time नहीं है और एक घन्टा जल्दी उठना शुरु करिए। आपके पास choice है तो क्यों न उसका use करें। यह कहना छोड़िए कि आपको अपनी busy life के वजह से Exercise करने का time नहीं मिलता। अगर हर रोज आप seven hours की नींद लेते हैं और eight hours काम करते हैं आपके पास उसके बाद भी sixty three hours का खाली Time हर week होता है जिसमें आप जो भी चाहें वह कर सकते हैं। इसका मतलब two hundred fifty-two hours हर month और three thousand twenty four hours हर साल हमें मिलते हैं जिसे हम अपनी life के बाकी कामो के लिए use कर सकते हैं। आपको यह समझना चाहिए कि दुनिया के इतिहास में इससे ज्यादा बेहतर समय कभी नहीं हुआ है जो इन infinite possibilities को हर दिन हमारे सामने अवसर के रुप में लाता है।

2.क्षमादान करें

        माफी देकर आप अपने अन्दर की दुश्मनी और नफ़रत की भावना से छुटकारा पा लेते हैं और यह क्षमादान पाने वाले से ज्यादा लाभ आपको देती है। जब आपका किसी से नफ़रत करते है तो वह बोझ उस व्यक्ति के बोझ के समान होता है जिसे आप लगातार अपनी पीठ पर उठाए हुए ढ़ो रहे होते है। वह आपकी ताक़त, उत्साह और मन की शान्ति सब निचोड़ लेता है परन्तु जैसे ही आप उसको माफ कर देते हैं वह बोझ आपकी पीठ से हट जाता है और आप निश्चिन्त रुप से अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

3.एक अच्छे अभिभावक (Guardian) बनें

        जिस तरह से आप अपने बच्चों को पालते हैं वही निर्णायक होता है कि आप किस प्रकार अपने आने वाली पीढ़ी को संवारते हैं। चूंकि शायद ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने बच्चों को पालने की औपचारिक शिक्षा ली हो और इसी बजह हममें से ज्यादातर लोग अपने बच्चों के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा हमारे Parents ने हमारे साथ किया होता है। हमें और कोई तरीका नहीं आता है।

हम यह आशा नहीं कर सकते हैं कि जिस प्रकार हम अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं वही सही तरीका है और हमें Prayer करनी चाहिए कि हमारी किस्मत अच्छी हो कि हमारे बच्चे समझदार, फिक्रमन्द और बुद्धिमान वयस्क बनें। हमें अपनी तरफ से अपनी बाल विकास और पालन पोषण की कला को संवारने के लिए teaching schools में जाना चाहिए और books पढ़नी चाहिए। 

4.ताजे फलों का रस पीजिए

        जो खाना हम खाते हैं उसका असर हमारे Emotion और ideas पर होता है। यही reason है कि पुराने दिनों में साधु सन्त सिर्फ हल्का भोजन करते थे। वे जानते थे कि इससे ज्यादा खाना उनके शान्त मन, जिसका विकास करने के लिए उन्होनें कठिन परिश्रम किया था, को असन्तुलित कर देगा और उनके सत्य की खोज की तलाश में भी रुकाबट डालेगा। अपने शरीर को वही भोजन दें जो आपके शरीर के लिए सबसे अच्छा है। गलत खाना ज्यादा खाकर आप अपनी energy में कमी लाते हैं, आपकी Health खराब होती है और आपके मन को पूरी क्षमता के साथ काम करने से रोकता है। 

5.जंगल की ओर भ्रमण को जाएं

        आप प्रकृति का आनन्द लेते हुए समय बिताने में कभी भी गलत नहीं हो सकते। जंगल की ओर भ्रमण करने में एक विशिष्टता (Specialty) है। आपको अपने कदम हल्के लगेंगे, एक महान शान्ति की भावना आपके शरीर में प्रवेश करेगी और आपकी Creativity बढ़ेगी।

6.तीन महान मित्र बनाइए

        अच्छी friendship के relation बनाना प्रसन्नता और खुशी का एक पक्का रास्ता है। कुछ studies बताती हैं कि जिन लोगो के friends और relatives का एक बड़ा दायरा होता है वे ज्यादा लम्बा जीवन जीते हैं, ज्यादा हंसते हैं और कम चिन्ता करते हैं।

7.ध्यान लगाना सीखिए

फ्रांस के mathematician ब्लेज पास्कल ने लिखा है, 
हर इन्सान की परेशानियां अपने कमरे में चुपचाप न बैठ पाने के कारण आती हैं।
        हम अपने जीवन को शोर शराबे की प्रक्रियाओं से भरने के आदी हो चुके हैं। हम रेडियो की तेज आवाज के साथ उठते हैं और टेलीविज़न के news के साथ ready होते हैं। हम जब काम पर जाते हुए गाड़ी चलाते हैं तो भी हम Business की Latest Report सुन रहे होते हैं और अगले आठ घन्टे हम office के कोलाहाल में बिता देते हैं। जब हम शाम को घर आते हैं तब हम फिर से अपनी प्रक्रियाओं में व्यस्त हो जाते हैं जहां पीछे से टेलीविज़न की आवाज, फोन की घन्टियां, कम्प्यूटर की भिनभिनाहट हमारा पीछा नहीं छोड़ती है। 

        बिना ध्यानरुपी गुण के सम्पूर्ण और परिपूर्ण जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। अगर आप एक काम पर लगातार अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं तो आप कभी भी अपने goal को नहीं पा सकेंगें और न ही रोजमर्रा के जीवन का आनन्द ले पाएंगे। बिना mental discipline के तुच्छ विचार और चिन्ताएं आपका पीछा करेंगी और आप में कभी भी अपने आपको ज्यादा meaningful Procedures में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाएगा। बिना गहन मनोयोग के आपका दिमाग आपका मालिक बनकर आपको गुलाम बना लेगा।

8.दकियानूसी न रहें

        रुसों ने लिखा था, “आप अपनी विचारधारा को रिवाजों के विरुद्ध ले जाइए और आप जीवन में ज़रुर अच्छा करेंगें।” एक परिपूर्ण और संतुष्ट जीवन जीने के लिए यह बहुत जरुरी है कि आप अपनी दौड़ खुद दौड़िए। अपनी विशिष्टता (Specialty) को छोड़कर Social pressure की मांगों के सामने झुकिए मत। जब आप दुनिया के सबसे प्रभावशाली और बुद्धिमान लोगों की Biography पढ़ेंगें तो आप पाएंगे कि उन लोगो ने इस बात की कभी फिक्र नहीं की कि दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। इसके बजाए कि public opinion उनके talent पर असर डाले उनमें यह हिम्मत थी कि वे अपने दिल की बताए direction में चल सकें। और उस पथ पर चलने में जिसमें कम लोग चल पाते हैं उन्होंने उस Success को अपने कदमों को चूमता हुआ पाया जो उनकी कल्पना के बाहर थी।

        अगले कुछ महीने आप जो कुछ भी करेंगे उसके बारे में दोबारा सोचिए। चीज़ें सिर्फ इसलिए मत कीजिए क्योंकि हर दूसरा इन्सान वह कर रहा है। वही कीजिए जो आपके लिए सही है। अपने सही कारण के लिए अगर दूसरों से भिन्न हुआ जाए तो जीने का सही तरीका है। अगर आप चाहें तो आइन्सटाईन, पिकासो, गैलेलिओ या बिथोवन से पूछ लीजिए।

9.साधारण का स्वाद लीजिए

        कोई भी इन्सान मरने के बाद अपनी Property अपने साथ नहीं ले जाता है। अपनी life के आखिरी पालो में हम अपने साथ सिर्फ उन यादों को ले जा सकते हैं जो हमारे अनुभव थे और जिन्होंने हमारे जीवन को और अर्थपूर्ण बना दिया था। इसके अनुसार हमें अपने दिन ऐसे काम करने में बिताना चाहिए जो हमें प्रसन्नता की यादें दे न कि भौतिक सम्पत्ति की। डेल कार्नेजी ने लिखा है, “जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है कि हम लोग अपने जीवन को तरीके से नहीं जीते हैं। हम सब उस स्वप्नलोक में जादुई गुलाबों के इन्तजार में दूर क्षितिज की ओर निहारते रहते हैं और अपनी खिड़की के बाहर खिलने वाले गुलाबों की प्रशंसा से वंचित रह जाते हैं।" जैसा कि एमा गोल्डन ने लिखा है, “मैं अपने गले में हीरों के हार के बजाए अपनी मेज पर गुलाबों को पसन्द करुंगी।”

10.भर्त्सना करना बन्द करिए

        शिकायत करने की बुरी आदत की तरह दूसरों को अपराधी ठहराने की आदत के भी लोग आसानी से शिकार बन जाते हैं। हम इस बात की आलोचना करते हैं कि कौन कैसे खा रहा है और कौन किस प्रकार बात कर रहा है। हम अत्यन्त तुच्छ बातों पर ध्यान देते हैं और असार्थक चीज़ों में गल्तियां निकालते हैं। लेकिन हम जिस पर ध्यान देते हैं वह बढ़ती है। और अगर हम दूसरों की छोटी छोटी कमियां पर ध्यान देते रहेगें जो हमारे दिमाग में पनपती रहती हैं और जल्द ही एक बड़ी चिन्ता का कारण बन जाती है।

11.अपने जीवन के सी.ई.ओ. बनिए

        “अगर ऐसा होगा तो वह मेरे कारण होगा।” यह एक अद्भुत मन्त्र है। अपने आपको खुद के जीवन का सी.ई.ओ. बनाकर आप अपने जीवन के दृष्टिकोण में एक बुनियादी परिवर्तन ला सकते हैं। अपने जीवन में सिर्फ एक यात्री बने रहने के बजाए अपने जहाज का कप्तान बनिए और समय के प्रवाह के साथ गलत दिशा में जाने के बजाए उसे अपनी मनचाही दिशा में मोड़ दीजिए।

12.विनम्र बनिए

        एक गुण जो हर इन्सान में होना चाहिए वह है विनम्रता। जो लोग सबसे ज्यादा ज्ञानी होते हैं, या जिनकी life में सबसे ज्यादा उपलब्धि होती है, और जिन्होंने जीवन पूरी पूर्णता के साथ जिया है ऐसे लोग हमेशा धरातल पर रहते हैं और एक शब्द में विनम्र होते हैं।
वह वृक्ष जमीन तक झुका होता है जिस पर सबसे ज्यादा फल होते हैं।
👉 इस Book के और 15 Chapter की Summary - Watch or Read

13.हर पुस्तक को पढ़कर समाप्त मत कीजिए

        जिस भी Book को हम पढ़ना शुरु करते हैं उसे खत्म करने के लिए हम विवश हो जाते हैं क्योकि हमने अपनी मेहनत की कमाई खर्च की होती है। परन्तु हर Book इसलिए नहीं होती हैं कि उसे पूरा पढ़कर खत्म कर दिया जाए। जैसा कि फ्रान्सिस बेकन का कहना है, 
कुछ पुस्तकें स्वाद लेने के लिए होती हैं, कुछ निगलने के लिए और कुछ चबाने और पचाने के लिए।
        जिसका अर्थ है कि कुछ Books के कुछ part पढ़े जाते हैं, कुछ और Books पूरी पढ़ी जाती हैं पर उत्सुकता के साथ नहीं और कुछ Books पूरे ध्यान और रुचि से पढ़ी जाती हैं।

14.शान्त रहने की प्रतिज्ञा कीजिए

        ज्यादातर लोग जरूरत से ज्यादा बात करते हैं। अपनी बात को संक्षिप्त करके सिर्फ वही बताने के बजाए जो जरुरी है, लोग बस बोलते जाते हैं। यह अपने खुद के Discipline की कमी को दिखता है। Discipline वह है जो यह बताता है कि सिर्फ ज़रूरत की बात करें और अपनी बहुमूल्य शक्ति को आवश्यकता से अधिक बात न करके बचा कर रखें। नाप तौल कर कही गई संक्षिप्त बातचीत शुद्ध विचार और शान्त दिमाग का प्रतीक है।

15.फोन पर घन्टी बजने पर हर बार फोन न उठाएं

        टेलीफोन आपकी खुशी के लिए है न कि उन लोगों के आराम के लिए जो आपको फोन करते हैं। फिर भी जैसे ही हम फोन की घन्टी सुनते हैं हम ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे हम fire department के Staff हों। हम इस प्रकार दौड़कर फोन को उठाते हैं जैसे हमारी life सिर्फ इस पर depend है। Author ने लोगों को खाना खाने के समय, पढ़ने के समय और अपने ध्यान लगाने के समय फोन को सुनने के लिए रुकावट डालते देखा है जिसमें से अनेक फोन ऐसे होते हैं जो बाद में भी सुने जा सकते थे।

16.परिवार के खाने का समय रखिए

        Author कहते है जब मैं बड़ा हो रहा था तब मेरी आदरणीय माँ के द्वारा जो कई परिवारिक रिवाज़ बनाए गए थे उनमें से एक यह था कि घर के सभी सदस्य खाना एक साथ खाये। चाहे किसी भी तरह के कामो में हम busy हो पर मेरे पिता, मेरे भाई और मैं खुद इस फर्ज़ से बंधे हुए थे कि हमें रात का खाना साथ में खाना होता था, जहां हम सब आपस में अपने पूरे दिन की कहानी एक दूसरे को सुनाकर अपने daily routine का लेन–देन करते थे।

17.उन बातों के लिए चिन्तित न हों जिन्हें आप बदल नहीं सकते

        जब भी Author खुद की जिन्दगी में किसी चुनौती का सामना करते है, तो वे राइनहोल्ड नीब्हूर की “दि सिरेनिटि प्रेयर” की ओर चले जाते है “ईश्वर हमें वह शिष्टता दो हमें शान्ति के साथ उस स्थिति को स्वीकार करने दे जो हम बदल नहीं सकते, वह हिम्मत दो जिससे हम उन चीज़ों को बदल सकें जो बदलना चाहिए, और वह ज्ञान दो जिससे हम इन दोनों में भेद कर सकें।”

18.अपने काम से प्रेम करिए

        अपनी life को खुसी से जीने का एक और रहस्य है, अपने काम से प्यार करना। यदि History देखे तो सबसे ज्यादा सन्तुष्ट लोग वे थे जो अपनी जीविका के लिए अपनी पसन्द का काम करते थे। अपना समय ऐसे काम में बिताना जो आपको लाभकारी, बौद्धिक एवं मनोरंजक रुप से चुनौतीपूर्ण लगते हैं वे आपके उत्साह को ऊंचा रखने और आपके हृदय को लीन करने में दुनिया की किसी भी छुट्टियों से ज्यादा बढ़िया असर डाल सकते हैं। थॉमस एडिसन वह इन्सान जिसके 1,093 अविष्कारों का अभिलेख है, फोनोग्राफ से शुरु होकर चमकते बल्ब और फिल्मों के माइक्रोफोन तक के अविष्कारक का कहना था, “मैने जीवन में एक भी दिन काम नहीं किया, बल्कि सिर्फ आनन्द लिया है।”

19.स्वार्थहीन सेवा करिए

अल्बर्ट श्वाइट्जर ने कहा,
मानवीय सेवाओं से ज्यादा बड़ा कोई धर्म नहीं है। जनहित के लिए काम करना सबसे बड़ा धार्मिक मत है।
और प्राचीन चीनी विश्वास करते थे कि 
थोड़ी सी खुशबू उस हाथ में ज़रुर रह जाती है जो दूसरों को गुलाब देता है।
        एक happy life के लिए यह जरुरी है कि हम Success का पीछा करना छोड़कर एक meaningful life की तलाश में अपने आप को झोक दें। सारे महान नेताओं, विचारकों और समाज सुधारकों ने अपने स्वार्थी जीवन को त्याग कर स्वार्थहीन जीवन जिया और ऐसा करके उन्होने पूर्ण प्रसन्नता, प्रचुरता और सन्तुष्टि का जीवन अपनी कल्पनानुसार पा लिया। वे सब समझ चुके हैं कि life की सबसे बड़ी मानवीय सच्चाई है कि आप Success के पीछे भागकर उसे नहीं पा सकते हैं। Success एक result है यह स्वभाविक और अनिवार्य रुप से आपकी life का हिस्सा बन जाती है, अगर आप अपना जीवन लोगों की सेवा में लगा देते हैं और दुनिया मे कुछ महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

20.परिपूर्ण जीवन जिएं जिससे आप प्रसन्नता के साथ मृत्यु प्राप्त करें

        ज्यादातर लोग जीवन का अर्थ अपनी मृत्यु तक नहीं खोज पाते हैं जब हम युवा होते हैं हम अपना समय संघर्ष करते हुए और समाज की अपेक्षाओं को पूरा करते हुए बिता देते हैं। हम जीवन में बड़ी खुशियां ढूंढ़ने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम छोटी खुशियां जैसे बारिश के दिन किसी पार्क में अपने बच्चों के संग नंगे पांव नाचना या गुलाब का बगीचा बोना या सूर्य को निकलते हुए देखने से वंचित रह जाते हैं। हम उस युग में रह रहे हैं जहां हमने सर्वोच्च पर्वत की ऊँचाइयों को जीत लिया है परन्तु अपने आप को नहीं जीत पाए हैं। हमारे पास ऊंची इमारते हैं पर हमारा पारा अपने बस में नहीं है, भौतिक संपत्ति है पर खुशी नहीं के बराबर है, दिमाग में प्रचुरता है पर जीवन खोखला है।

        ज्यादातर लोग अपने जीवन को अतीत में जीने की कोशिश करते हैं। वे अपना समय उन चीज़ों को पाने के संघर्ष में नष्ट कर देते हैं जो उनको खुशी दे सकती है। वे यह नहीं समझ पाते हैं कि प्रसन्नता कोई स्थान नहीं है जहां पहुंचा जा सकता है बल्कि वह मानसिक अवस्था है जिसकी हम स्वयं संरचना करते हैं। खुशी और गहन सन्तोष का जीवन तब आता है जब हम अपने आप को अपनी आत्मा की गहराईयों से अपने सर्वोच्च मानवीय विशेष गुणों को दूसरों के जीवन में आशा की किरण लाने के उद्देश्य के लिए लगा देने की जिम्मेदारी उठाते हैं। जब सब प्रकार का कोलाहल आपके जीवन से हट जाएगा तो इसका वास्तविक अर्थ स्पष्ट हो जाएगा जो यह है कि हमें अपने संकीर्ण दायरें से निकलकर दूसरों के लिए भी जीना है। सरल शब्दों में जीवन का उद्देश्य है, उद्देश्य से भरा हुआ जीवन।

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